ओबीसी विधेयक को लेकर शाह से मिले फडणवीस

ओबीसी विधेयक को लेकर शाह से मिले फडणवीस

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उनसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’को संसद के मॉनसून सत्र में पारित कराए जाने का अनुरोध किया। इस विधेयक में राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों को अन्‍य पिछड़ा वर्ग की सूची बनाने का अधिकार देने का प्रावधान है।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने यह विधेयक आज लोकसभा में पेश किया। सरकार मंगलवार को इस विधेयक को निचले सदन से पारित कराने का प्रयास करेगी। ज्यादातर दलों ने इस विधेयक के समर्थन के संकेत दिए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आग्रह (शाह से) किया कि यह विधेयक इसी सत्र में पारित होना चाहिए। मैं उन सभी राजनीतिक दलों, जिन्होंने संसद में गतिरोध कायम किया है, से आग्रह करूंगा कि वह ओबीसी कल्याण के लिए इसका समर्थन करें और सर्वसम्मति से पारित करें।’’

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण से संबंधित कानूनी चुनौतियों से सही तरीके से नहीं निपटने के लिए फडणवीस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आड़े हाथों लिया।

यह पूछे जाने पर कि ठाकरे ने रविवार को कहा था कि मराठा आरक्षण बहाल करने के लिए केंद्र को आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटानी चाहिए, फडणवीस ने कहा कि शिवसेना अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है।

उन्होंने कहा कि ठाकरे की मांग और ओबीसी संबंधी विधेयक अलग-अलग चीजें हैं।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है, ‘‘ यह विधेयक यह स्पष्ट करने के लिये है कि यह राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने और उसे बनाये रखने को सशक्त बनाता है।’’

इसमें कहा गया है कि देश की संघीय संरचना को बनाए रखने के दृष्टिकोण से संविधान के अनुच्छेद 342क और अनुच्छेद 338ख एवं अनुच्छेद 366 में संशोधन करने की आवश्यकता है। यह विधेयक उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये है।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 5 मई के बहुमत के फैसले की समीक्षा करने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन नौकरियों एवं दाखिले में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) को आरक्षण देने के राज्य के अधिकार को ले लेता है।

वर्ष 2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 338 बी जोड़ा गया था, जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ढांचे, कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है। जबकि 342 ए किसी विशिष्ट जाति को एसईबीसी अधिसूचित करने और सूची में बदलाव करने के संसद के अधिकारों से संबंधित है।