शिवपुरी की लड़की का शातिर दिमाग, खुद रची अपनी किडनैपिंग की साजिश; फिर पुलिस जांच में ऐसे सामने आए झूठ पर झूठ

शिवपुरी की लड़की का शातिर दिमाग, खुद रची अपनी किडनैपिंग की साजिश; फिर पुलिस जांच में ऐसे सामने आए झूठ पर झूठ

उमाकांत त्रिपाठी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी में एक प्राइवेट स्कूल के मालिक रघुवीर धाकड़ के मोबाइल पर एक वॉट्सऐप मैसेज आता है. उस मैसेज को पढ़ते ही रघुवीर के होश उड़ जाते हैं. मैसेज के साथ ही एक तस्वीर भी आई थी. वो तस्वीर रघुवीर की 20 साल की बेटी काव्या धाकड़ की थी. काव्या धाकड़ पिछले छह महीने से शिवपुरी से दूर कोटा के एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में नीट की तैयारी कर रही थी. काव्या को डॉक्टर बनना था. अब इस मैसेज को पढ़ते ही काव्या के पिता के होश उड़ चुके थे. उन्होंने फौरन अपनी बेटी के मोबाइल पर फोन किया. लेकिन उसका फोन बंद था.

ऐसे शुरू हुई पूरी कहानी
काव्या से उनकी आखिरी बातचीत 17 मार्च की रात को हुई थी. बदहवास मां-बाप पहले शिवपुरी के लोकल पुलिस स्टेशन में पहुंचते हैं और फिर कोटा के लिए रवाना हो जाते हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल को फोन कर काव्या की बरामदगी की गुजारिश करते हैं. मुख्यमंत्री दफ्तर से कोटा पुलिस के आला अफसरों को खबर दी जाती है. इस बीच काव्या के मां-बाप भी कोटा पहुंच चुके थे. सच्चाई जानने के बाद अब कोटा पुलिस तफ्तीश शुरू करती है और यहीं से एक अजीब कहानी की शुरुआत होती है. काव्या के मां-बाप के मुताबिक, काव्या 3 अगस्त 2023 को नीट की तैयारी करने के लिए कोटा के पीडब्ल्यू कोचिंग सेंटर पहुंची थी. वहीं उसका दाखिला हुआ था. उस रोज़ काव्या की मां भी उसके साथ कोचिंग सेंटर गई थी. कोचिंग सेंटर के बाद काव्या मां को एक पीजी में ले गई. जहां वो रहने वाली थी. बेटी को कोटा में दाखिला दिलाने और पीजी में छोड़ने के बाद काव्या की मां उसी दिन यानी 3 अगस्त की शाम को वापस शिवपुरी रवाना हो गई थी.

फिर साफ हुई तस्वीर
काव्या की किडनैपिंग का मामला दर्ज करने के बाद कोटा पुलिस अपनी तफ्तीश की शुरुआत उसी पीडब्ल्यू कोचिंग सेंटर से करती है. काव्या के मां-बाप भी पुलिस टीम के साथ थे. पुलिस कोचिंग सेंटर के मालिक और मैनेजर से पूछताछ करती है कि उन्होंने आखिरी बार काव्या को कब देखा? पुलिस उन्हें काव्या की तस्वीर भी दिखाई. लेकिन जो जवाब कोचिंग सेंटर से मिलता है, उसे सुन कर पुलिस भी सन्न रह जाती है. पता चला कि काव्या धाकड़ नाम की कोई भी लड़की उस कोचिंग सेंटर में पढ़ती ही नहीं थी. कोचिंग सेंटरवालों ने पुलिस को बताया कि काव्या नाम की किसी भी लड़की का तीन अगस्त 2023 को वहां दाखिला ही नहीं हुआ है. पुलिस के साथ-साथ अब काव्या के मां-बाप भी हैरान थे. लेकिन तभी वो पुलिस और कोचिंग सेंटर को कुछ मैसेज दिखाते हैं. जो कोचिंग सेंटर वालों ने उन्हें भेजा था. इस मैसेज को देखने के बाद कोचिंग सेंटर के लोग बताते हैं कि उनके यहां से कभी भी किसी स्टूडेंट या उसके पेरेंट्स को किसी पर्सनल नंबर से कोई मैसेज भेजा ही नहीं जाता है. जबकि काव्या के पिता के मोबाइल में ये मैसेज किसी पर्सनल नंबर से भेजे गए थे.

पुलिस ऐसे ने की तलाश
इस बात का यकीन हो जाने के बाद कि काव्या इस कोचिंग सेंटर में कभी आई ही नहीं, अब पुलिस की टीम पीजी का रुख करती है. ये वही पीजी था, जो तीन अगस्त 2023 को अपनी मां को काव्या ने दिखाया था. और इसी पीजी से उसकी मां वापस शिवपुरी लौट गई थी. पीजी पहुंचने के बाद अब पुलिस और काव्या का परिवार दूसरी बार हैरान होता है. पता चलता है कि काव्या धाकड़ नाम की कोई लड़की कभी इस पीजी में रहने के लिए आई ही नहीं. कोचिंग सेंटर और पीजी के मालिकों के जवाब से पुलिस को भी यकीन हो गया कि वो सच बोल रहे हैं.

इंदौर में मिला पूरा सच
पर एक सच ये भी था कि 18 मार्च को उसी काव्या की किडनैपिंग के मैसेज आए और उसी काव्या की एक बंधक के तौर पर तस्वीर भी आई. और दोनों ही सच था. कोटा पुलिस अब हैरान परेशान थी. किडनैपिंग की तस्वीर और मैसेज उसे डरा रही थी. कोटा में छात्रों की खुदकुशी को लेकर कोटा पुलिस पर वैसे ही दबाव रहता है. अब अगर कोटा में पढ़ने वाली एक स्टूडेंट को किडनैप करने के बाद उसके साथ कुछ हो जाए, तो उंगली सीधे कोटा पुलिस पर उठेगी. लिहाजा कोटा पुलिस अब फौरन कई टीमें बनाती हैं. और अलग-अलग एंगल से जांच करती है. काव्या के मां बाप से पूछताछ के दौरान पता चलता है कि कोटा आने से पहले काव्या कुछ वक्त तक इंदौर में भी रही थी. और वहीं से नीट की तैयारी कर रही थी. एक दो लड़कों की वजह से उसके पिता ने उसे इंदौर से वापस शिवपुरी बुला लिया था और फिर अगस्त में उसे कोटा भेज दिया. इस जानकारी के बाद अब पुलिस ने अपनी एक टीम इंदौर भेजी. इंदौर का काव्या का पुराना पता ठिकाना निकाला. उसके पुराने कॉल डिटेल खंगाले.

दोस्तों ने खोला राज
और आखिरकार 20 मार्च को पुलिस को इस केस में पहला सुराग मिला. और ये सुराग राहत देने वाला था. दरअसल, इंदौर में काव्या के पुराने ठिकाने से पुलिस के हाथ एक सीसीटीवी फुटेज लगता है. फुटेज 19 मार्च की रात नौ बज कर उनतालीस मिनट की थी. तस्वीर में काव्या एक घर से बाहर निकल कर एक लड़के के साथ जाती हुई नजर आ रही है. काव्या की पीठ पर पिट्ठू बैग भी है. इस तस्वीर को देख कर ये साफ हो गया कि काव्या किडनैप नहीं हुई है. बल्कि वो अपनी मर्जी से किसी लड़के साथ जा रही है. अगर काव्या किडनैप नहीं हुई, तो फिर किडनैपिंग की उसकी तस्वीर कहां से आई? उस तस्वीर में काव्या के हाथ पैर दोनों ही रस्सी से बंधे हैं, मुंह को भी कपड़े से बांध दिया गया है. जिस जगह काव्या को बंधक बना कर रखा गया है, वहां पर काई कार्टून पड़े हैं. जिसके ऊपर हेल्थकेयर लिखा हुआ है. इस तस्वीर और इसके बैकड्रॉप को ढूंढते हुए पुलिस अब इंदौर में ही इस पहेली को सुलझाने की कोशिश करती है. कोशिश रंग लाती है. काव्या के दो पुराने दोस्त पुलिस के हाथ लग जाते हैं. और इसके साथ ही कहानी की कड़ियां खुलने लगती हैं.

काव्या ने क्यों रची साजिश?
पर एक सवाल का जवाब अब भी बाकी था कि काव्या ने ऐसा क्यों किया? तो काव्या के दोनों दोस्तों ने इसकी भी कहानी सुनाई. असल में काव्या अपने दो दोस्तों के साथ डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़ने के लिए विदेश जाना चाहती थी. उसे पता था कि उसके पिता इसकी इजाजत नहीं देंगे. लेकिन उसे ये भी मालूम था कि उसके मां बाप उसे बेइंतेहा प्यार करते हैं. अगर वो किसी मुसीबत में होगी, तो वो कहीं से भी उसके लिए पैसों का इंतजाम कर सकते हैं. बस, इसी बाद काव्या ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर अपनी ही किडनैपिंग की पूरी कहानी लिख डाली.

बड़ा सवाल, कहां है काव्या
हालांकि इस कहानी का खुलासा हो जाने के बावजूद फिलहाल काव्या का कोई सुराग नहीं मिला है. यानी ना वो पुलिस के हाथ लगी है और ना ही उसने अपने घरवालों से संपर्क किया है. हालांकि कोटा पुलिस ने काव्या और उसके दोस्तों से अपील की है कि वो जहां भी हों, नजदीकी पुलिस स्टेशन में जा कर खुद को पेश कर दें. क्योंकि उसके मां बाप बहुत परेशान हैं. अजब किडनैपिंग की ये गजब कहानी हर तरफ चर्चा का विषय बनी हुई है.