कोरोना में पिताजी चल बसे, छोटा बेटा भूल नहीं पा रहा था, बड़े बेटे ने पिताजी के मोम का पुतला गिफ्ट किया

कोरोना में पिताजी चल बसे, छोटा बेटा भूल नहीं पा रहा था, बड़े बेटे ने पिताजी के मोम का पुतला गिफ्ट किया

ये कहानी एक ऐसे पिता-पुत्र की है जिनका रिश्ता कभी खत्म नहीं हुआ। पिता के स्वर्गवास के बाद भी बेटा उन्हें रोज याद करता है। इतना याद कि उसने अपने दोस्तों से मिलना जुलना बंद कर दिया। घर से निकलना बंद कर दिया। यहां तक कि उसने खाना-पीना भी कम कर दिया। घर में केवल एक बड़ा भाई और मां बची। वो उनसे भी नजरे चुराने लगा। दिनरात अपने कमरे में रहता और बमुश्किल ही कमरे से बाहर निकलता।

उसकी ये हालत उसके बड़े भाई और मां को नहीं देखी गई। आस-पड़ोस के लोगों ने भी काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन वो अपने पापा के बिना अपनी दुनिया ही भूल बैठा। मां चिंतित रहने लगी कि अब ऐसा क्या करूं कि मेरा बेटा अपने पिता की यादों को भूलकर सामान्य व्यवहार करने लगे।

लेकिन उन्हें कुछ ऐसा सुझ नहीं रहा था। वो अपने बेटे की इस तकलीफ को देखकर बहुत उदास रहने लगी। मां के साथ-साथ उनका बड़ा बेटा भी उदास रहने लगा। दोनों मां बेटे हर संभव प्रयास करने लगें कि किसी तरह इसे ठीक किया जाय। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी वो ठीक नहीं हो रहा था।

दिन बीतता गया और वो अपने पिता की यादो में अधिक खोता गया। अचानक से बड़े भाई को एक आइडिया आया। उसने छोटे भाई के वर्थडे के मौके पर उसे एक ऐसी गिफ्त देने की सोची जिससे वो सबकुछ भूलकर सामान्य हो जाए। इसके लिए उसने अपनी मां से बात की और उसे वर्थडे के मौके पर पिताजी का मोम का पुतला गिफ्ट देने का प्लान बनाया।

मोम का पुतला बनाने के लिए राजस्थान के एक कारीगर से संपर्क किया। जयपुर में पुतला तैयार किया गया। 30 नबंवर को छोटे भाई सुमित का बर्थडे था। उसी दिन पिता जी के पुतले को एक रुम में सजाधजाकर रखा गया और बर्थडे वाले दिन उसे पिता का मोम वाला पुतला भेंट किया। पुतले को देखकर उसे अपने आंखों पर यकीन नहीं हुआ और उनसे लिपट कर रोने लगा।

उस दिन से उसे ये लगने लगा कि उसके पिताजी उसी के पास हैं और वो उनकी खुब देखभाल करता है। और धीरे-धीरे उसका व्यवहार भी सामान्य होने लगा। अब वो दोस्तों से भी मिलता है। खाता पिता भी है। घर में व्यवहार भी सामान्य हो गया है।

दिल को झकझोर देने वाली ये कहानी महाराष्ट्र के बुलढ़ाणा जिले की है। चिखली शहर के गजानन नगर में रहने वाले टीचर दीपक विनकर की मौत कोरोना से डेढ़ साल पहले हो गई थी। तभी से उनका 14 साल का बेटा सुमित काफी चिढ़चिढ़ा हो गया। जिसके बाद बड़े बेटे 19 साल के शुभम ने उसे ठीक करने के लिए ऐसा किया जिसकी तारीफ सब लोग कर रहे हैं।