बाबा का ढ़ाबा के पुराने दिन लौटे, रेस्तरां से वापस ढ़ाबा पर आए

बाबा का ढ़ाबा के पुराने दिन लौटे, रेस्तरां से वापस ढ़ाबा पर आए
फाइल

कोरोना की पहली लहर में रातों-रात दिल्ली का एक मामूली सा ढ़ाबा मालिक सोशल मीडिया सेंसेशन बन गया था। लेकिन एक मामूली आदमी से इंटरनेट मीडिया पर सनसनी बनकर देश-दुनिया में छा जाने वाले दिल्ली के कांता प्रसाद यानी की बाबा का ढाबा के संचालक के अजब संघर्ष की गजब कहानी सामने आई है।

दरअसल, इंटरनेट मीडिया पर यूट्यूबर गौरव वासन के वीडियो के बाद से चर्चित हुए बाबा का ढाबा के संचालक कांता प्रसाद ने दोबारा अपने पुराने ढाबे को चालू कर दिया है। इससे पहले उन्होंने बाबा का ढाबा नाम से एक रेस्तरां खोला था। बाबा कांता प्रसाद का कहना है कि आमदनी कम व लागत अधिक आने के कारण उन्होंने अपना रेस्तरां बंद कर दिया है।

कांता प्रसाद की मानें तो दिल्ली में कोरोना चलते हालात बहुत खराब हो गए थे। ऐसे में 17 दिनों के लिए अपने पुराने ढाबे को बंद करना पड़ा, इससे बिक्री प्रभावित हुई। हालात फिर वहीं आ खड़े हुए। लॉकडाउन से पहले रोजाना की बिक्री 3,500 रुपये से घटकर अब 1,000 रुपये हो गई। इससे आर्थिक संकट पैदा हो रहा था। ये हमारे परिवार के गुजारे के लिए पर्याप्त नहीं था। फिलहाल बाबा का ढाबा में चावल, दाल और दो प्रकार की सब्जियां मिल रही हैं।

कांता प्रसाद ने दिसंबर, 2020 में लोगों से मिली आर्थिक मदद के बाद अपना नया रेस्तरां खोला था। ढाबा शुरुआत में चला भी, लेकिन फरवरी में बंद हुआ। अब आलम है कि कांता प्रसाद फिर अपने ढाबे पर रोटियां बनाते हैं, कभी वह रेस्तरां में मॉनिटरिंग करते थे।

रेस्तरां के अच्छे दिनों के दौरान कांता प्रसाद की पत्नी और दो बेटे काउंटर पर बैठते थे। कांता प्रसाद का कहना है कि रेस्तरां के लिए कुल 5 लाख का निवेश किया और तीन लोगों को काम पर रखा था। रेस्तरां संचालन का महीने भर का खर्च ही लगभग 1 लाख था। रेस्तरां चलाने के लिए 35,000 रुपये बतौर किराए के देने होते थे। इसके अलावा 36,000 रुपये में तीन कर्मचारियों की तनख्वाह थी। कुलमिलाकर उन्होंने माना कि रेस्तरां खोलकर उन्होंने गलती की।