
उमाकांत त्रिपाठी।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मानते हैं कि देश की जनता बेहद परिपक्व है और वह सोच-समझकर वोट देती है। यही वजह है कि विपक्ष का कोई नैरेटिव-आम आदमी के दिल में नहीं उतर पा रहा। उनका कहना है कि मतदान प्रतिशत में कमी की एक वजह यह भी है कि लोगों ने मान लिया है कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार तीसरी बार आने वाली है। अपनी बात को पुख्ता करने के लिए वे कांग्रेस शासित राज्यों का उदाहरण देते हैं, जहां मत प्रतिशत पिछली दो बार से कम रहा है। नई दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर गृहमंत्री ने शशि शेखर और आर. सुकुमार से विभिन्न मुद्दों पर लंबी बात की।
शाह बोले
गृहमंत्रीजी, हिंदी पट्टी आपकी ताकत रही है। शुरुआती चार चरणों में इस क्षेत्र में शेष देश के मुकाबले वोट प्रतिशत कम रहा है। इसको लेकर आपके मन में कोई आशंका होती है?
पहले चरण में तो मुझे भी चिंता हो रही थी परंतु जब तीसरे चरण का मतदान हुआ तो मुझे पता चला कि विपक्ष के वोटर निकल नहीं रहे हैं। वे घोर निराशा में हैं कि परिणाम मोदी के पक्ष में ही है, बैठे रहो धूप में क्यों निकलना! ये डेमोक्रेसी के लिए ठीक नहीं है। वोट तो उनके भी पड़ने चाहिए, लेकिन इंडी गठबंधन के मतदाताओं में घोर निराशा के कारण मतदान में गिरावट आई है। जिन राज्यों में आपको ज्यादा मतदान प्रतिशत दिखता है- जैसे पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा तो वहां भी मत-प्रतिशत गिरा है। जहां कांग्रेस का वोट प्रतिशत ज्यादा है, वहां वोटिंग में ज्यादा गिरावट दिखी है।
शाह बोले
पहले लग रहा था कि आप लोग आसानी से जीत रहे हैं पर विदेशी सर्वेक्षण एजेंसियों को अपने सर्वे में लग रहा है कि उतनी सीटें नहीं आ रही हैं। उन्होंने अपने शेयर स्टॉक मार्केट में बेचने शुरू कर दिए हैं। इस पर आपकी क्या राय है?
विदेशी एजेंसियां देश का सर्वे कर ही नहीं सकतीं। स्टॉक मार्केट ऊपर-नीचे होने के कई कारण हैं। हम तो जमीनी स्तर पर चुनाव को देख रहे हैं, लड़ रहे हैं। मेरी कोई ऐसी सभा नहीं होती, जिसके बाद मैं लोकसभा क्षेत्र के 40-50 कार्यकर्ताओं के साथ नहीं बैठता हूं। उनका जो फीड-बैक आ रहा है, उसके अनुसार हमारे लिए चिंता की कोई बात नहीं है।
विपक्षी इस चुनाव को मोदीजी के लिए जनमत संग्रह मानते हैं। आप क्या मानते हैं?
ये तो शब्दों का खेल है। दोनों ओर प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी तय हैं।
राहुलजी को ही प्रोजेक्ट किया हुआ है, खड़गेजी के लिए कभी नहीं बोला। हम तो मोदीजी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं और मोदीजी ही तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।
शाह बोले
वर्ष 2014 और 2019 के चुनावों में आपने जातीय बंधन तोड़ दिए थे। इस बार लगता है, जातीय गोलबंदियां लौट आई हैं। आपको क्या लगता है?
मुझे ऐसा नहीं लगता। जाति से ऊपर उठकर भी वोटिंग हो रही है। उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव भी हमें वोट दे रहे हैं।
जातियों को ध्यान में रखकर ही तो आपने आरएलडी और नीतीश कुमार को अपने साथ लिया?
नीतीशजी हमारे पुराने साथी हैं। उनको दूसरी तरफ कुछ लोग गलतफहमी के कारण ले गए थे। आरएलडी को भी जाति के कारण हम साथ नहीं लाए। हम किसानों के एक महत्वपूर्ण हिस्से में अपनी पार्टी का स्थायित्व चाहते हैं, इसलिए हमने आरएलडी को साथ लिया। चुनावी हार-जीत से इसका कोई संबंध नहीं है।
दक्षिणी प्रदेशों में आपको क्या उम्मीद है?
कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु, इन पांच राज्यों में हम सबसे बड़ी पार्टी बनेंगे।
बंगाल और ओडिशा में?
बंगाल और ओडिशा में बहुत अच्छा करेंगे। बंगाल में 30 के करीब और ओडिशा में हम सरकार बनाने जा रहे हैं। वहां 17 से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतेंगे।
शाह बोले
कश्मीर घाटी में भी 370 हटने के बाद रिकॉर्डतोड़ मतदान हुआ है। घाटी में जिस तरह लोग उमड़े, वह सबको हैरत में डाल गया। क्या आगे घाटी में आपका खाता खुलेगा?
हम वहां लड़े ही नहीं। कश्मीर में ज्यादा वोटिंग जमायते इस्लामी और हुर्रियत ने किया है, जो पहले मतदान का बहिष्कार करते थे, भारत के संविधान को स्वीकार नहीं करते थे। इन दोनों ने वोट भी दिया, स्टेटमेंट भी दिया कि हम भारत के संविधान के तहत चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा ले रहे हैं। जहां तक कश्मीर का सवाल है, यह बहुत बड़ा बदलाव है और महत्वपूर्ण भी है।
कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब होंगे? आप उसमें हिस्सा लेंगे?
सुप्रीम कोर्ट ने जो समय सीमा निर्धारित की है, वहां उसी के अनुसार विधानसभा चुनाव होंगे- अगस्त या सितंबर जो भी है। हम विधानसभा चुनाव में जरूर हिस्सा लेंगे और सीटें जीतेंगे।
महंगाई और बेरोजगारी ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे लोग सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। आप पर आरोप है कि इन पर काम नहीं हुआ। आप क्या सोचते हैं?
शाह बोले
शशिजी, आप बहुत पुराने जर्नलिस्ट हैं। जब आपने पहली बार 21 साल की उम्र में वोट डाला होगा, तब भी ये मुद्दे सुने होंगे। नरेंद्र मोदी सरकार ने रोजगार की दिशा में बहुत काम किए हैं। वामपंथी पत्रकारों ने रोजगारी की व्याख्या करते हुए सरकारी नौकरी को ही रोजगार बना दिया। इस व्याख्या से आप दोनों भी बेरोजगार हैं। हमारा 11 लाख करोड़ का इंफ्रास्ट्रक्चर बजट है। ये कंस्ट्रक्शन का काम कोई-न-कोई करेगा ही। रेलवे और रोड बनाने की स्पीड दोगुनी हो गई है। 70 साल में जितनी ग्रिड बिछाई गई थीं, उतनी दस साल में बिछा दी गईं। तो क्या रोजगार नहीं बढ़ा? इसके साथ ही हमने स्व-रोजगार की धारणा को प्रोत्साहन दिया है। 47 करोड़ लोगों को ‘मुद्रा लोन’ दिया है। हमने इसके लिए 27 लाख 75 हजार करोड़ का लोन दिया है। मुझे खुशी इस बात की है जिन 47 करोड़ लोगों को मुद्रा लोन दिया है, उसमें 99.5 प्रतिशत एन.पी.ए. नहीं है। ठेली-पटरी वालों को स्वनिधि लोन के तहत 85 लाख लोगों को लगभग 11 हजार करोड़ दिया। 1 लाख 17 हजार स्टार्टअप खड़े हुए हैं। बेरोजगारी की दर 2016-17 में 6.1 प्रतिशत थी और 2023 में 3.1 प्रतिशत है। महंगाई लगभग 8 प्रतिशत थी, अब घटकर 4.83 परसेंट बची है।
शाह बोले
इसके अलावा एक बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि मोदीजी पहली बार जब प्रधानमंत्री बने तब डीमैट एकाउंट होल्डर्स देश में 2 करोड़ 22 लाख थे। आज यह संख्या 15 करोड़ 70 लाख है। मार्केट कैपिटलाइजेशन 2014 में 85 लाख करोड़ था, आज 400 लाख करोड़ है। 315 लाख करोड़ दो करोड़ में बंटने की बजाय आज 15 करोड़ में बंट रहा है। जो युवा स्व-रोजगार या स्टार्टअप शुरू करता है, वह अपनी बचत का पैसा म्युचुअल फंड के माध्यम से या किसी कंर्संल्टग एजेंसी को हायर करके इनवेस्ट करता है। ये बहुत बड़ा रोजगारी का जरिया बना है। विपक्ष जो पांच उद्योगपति रटता है, वे पांच नहीं 15 करोड़ हैं। ये लोग उद्योगपति नहीं हैं, उद्योग को गति देने का काम करते हैं।
शाह बोले
आप पर आरोप है कि ईडी, सीबीआई का प्रयोग करके आपने इंडिया गठबंधन बनने नहीं दिया। उसके बावजूद तीन सौ सीटों पर महज एक प्रत्याशी के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। आपको क्या लगता है?
आप बताइए, कम्युनिस्ट पार्टी, तृणमूल, कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ तो इसमें ईडी का क्या रोल है? केरल में कम्युनिस्ट खेमा और कांग्रेस, पंजाब में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हुआ, तो इसमें हमारा क्या रोल है? इसके विपरीत जहां ईडी ने कार्रवाई की, वहां तो गठबंधन हो गया। पीएमएलए के कुल मामले हमारी सरकार में 5155 रजिस्टर्ड किए गए। उसमें से सिर्फ तीन प्रतिशत राजनेताओं के हैं। इनके सांसद के घर से साढ़े तीन सौ करोड़ रुपया कैश मिल रहा है, ममता बनर्जी के मंत्री के घर से 51 करोड़ रुपया, झारखंड मुक्ति मोर्चा के मंत्री आलमगीर के स्टाफ के घर से 31 करोड़ रुपये मिले, इसका क्या जवाब है? मैं सभाओं में पूछता हूं कि क्या इतना रुपया किसी ने देखा है? एक भी हाथ नहीं खड़ा होता है। आज भी आलमगीर को झारखंड मुक्ति मोर्चा और पार्थ चटर्जी को ममता बनर्जी ने सस्पेंड नहीं किया है। क्यों?
आपके यहां जो लोग आए उन पर भी केस थे, उनके यहां न रेड पड़ रही है, न समन जा रहा है?
उनका रेड-समन का स्टेज समाप्त हो चुका है। चार्जशीट फाइल हो चुकी है। इसके बाद एजेंसी के पास कोई अधिकार नहीं रहता। अदालत को निर्णय करना है। वैसे चिदंबरम साहब के खिलाफ भी चार्जशीट दायर हो चुकी है। उन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। (अदालत में) जब नंबर आएगा, तब होगी।
बीच चुनाव में ही नागरिकता के सर्टिफिकेट बंट गए?
शशिजी, ये तो ज्यादती है। मूल मुद्दा ये नहीं है कि सर्टिफिकेट कब बंटता है, मूल मुद्दा है इनको नागरिकता देनी चाहिए या नहीं। सीएए को मैं कई बार एक्सप्लेन कर चुका हूं। इससे देश में किसी की नागरिकता जानी नहीं है। जो लोग पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से शरणार्थी बनकर आए, इनको न वोट का अधिकार है, न अस्पताल में एडमिशन है, न सरकारी नौकरी मिलती है, पढ़ाई-लिखाई में भी दिक्कतें होती हैं। वे कैसे जीवन जिएंगे? अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 27 प्रतिशत थी, वहां नौ प्रतिशत रह गई। बाकी कहां गए? या तो धर्म परिवर्तन करना पड़ा या यहां आए। पाकिस्तान में तीन परसेंट रह गए।
आप कहते हैं कि चुनाव एकतरफा है, फिर भी आप क्यों कहते हैं कि राहुल गांधी शरिया लागू करेंगे। उन्होंने शरिया साठ साल में लागू नहीं किया, अब क्यों करेंगे?
साठ साल में नहीं किया। ये लागू ही है…1939 से। जो मुस्लिम पर्सनल लॉ है, वो क्या है? शरिया का ही हिस्सा है। ये तो अब हम यूसीसी लाने की बात कर रहे हैं और उत्तराखंड में ला दिया, तब वो कह रहे हैं कि हम पर्सनल लॉ लाएंगे। पर्सनल लॉ लाना है, तो पूरा शरिया लागू करो। जो देशद्रोह करता है, उसको पत्थर से मार दो, जो बलात्कार करता है, उसको सरेआम फांसी दो। चोरी करने वाले के हाथ काट डालो।
आप राम मंदिर के नाम पर वोट मांग रहे हैं?
ये मुद्दा ही न होता अगर वो सभी लोग राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा में गए होते।
वे कहते हैं संघ ने बुलाया था, ये अपमानजनक है। प्रियंका गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा है कि हमें भाजपा ने न्योता दिया था?
भाजपा ने नहीं श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बुलाया था। उनके पास या तो इन्फॉरमेशन नहीं या तो वो झूठ बोल रही हैं।
प्रधानमंत्रीजी कहते हैं कि भ्रष्टाचारियों का पैसा हम गरीबों में बांट देंगे। क्या इसका कोई रोडमैप है?
ऐसा नहीं कहा है। उन्होंने ये कहा है कि इसकी संभावना हम तलाशेंगे। कानूनी रास्ता ढूंढ़ना पड़ेगा। कानून नहीं है, तो बनाना पड़ेगा। जैसा उन्होंने कहा है, मैं वैसा बता रहा हूं।
यूसीसी पर आप एक केंद्रीय कानून लेकर आएंगे?
यूसीसी बड़ा सोशल रिफार्म है, जिसकी सालों से ये देश राह देख रहा था। उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की एक रिटायर्ड जज साहिबा की अध्यक्षता में कमीशन बनाया था। उसी की रिपोर्ट के आधार पर यह कानून बनाया था। इसकी सोशल, रिलीजियस और लीगल स्क्रूटिनी और इस पर बहस भी होनी चाहिए। एक-दो राज्य बनाएंगे, तो अपने-आप बहस और लीगल स्क्रूटिनी होनी ही है।
गुजरात ने एनाउंसमेंट किया, लेकिन अभी कुछ किया नहीं?
गुजरात ने कमेटी बना दी है। उनकी प्रक्रिया चल रही है। जब लीगल और रिलीजियस स्क्रूटिनी हो जाए, तो हो सकता है, उसमें भी कुछ बदलाव करने की जरूरत पड़े।
पंजाब में आप अकेले चुनाव लड़ रहे हैं, आपको क्या उम्मीद दिख रही है?
पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने का मकसद हर वोटर तक अपनी पहुंच बनाना है। हमारे कार्यकर्ता इस ध्येय की पूर्ति के लिए जुटे हैं, मैं यह दावा नहीं कर रहा कि हम नंबर एक पार्टी बनकर उभरेंगे, लेकिन हमारे मत प्रतिशत और सीट दोनों में बढ़ोतरी होगी।
एक आरोप लग रहा है कि भाजपा सत्ता में आते ही संविधान बदल देगी, आप इस संबंध में क्या कहना चाहेंगे?
दस वर्षों से हमारे पास पूर्ण बहुमत है परंतु हमने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया, हमारी ऐसी कोई मंशा भी नहीं है। हमने बहुमत का प्रयोग अनुच्छेद 370 को हटाने, तीन-तलाक को खत्म करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के लिए किया। देश की जनता बहुत परिपक्व है। वो इस तरह के आरोपों पर यकीन ही नहीं करती।
पिछले दस वर्षों में आपके कई रूप दिखाई पड़े। भाजपा अध्यक्ष का, गृहमंत्री का, सहकारिता मंत्री का। तीसरा कार्यकाल मिलने पर आप अपने को किस रूप में पाते हैं?
(हंसते हुए) आप तीनों रूपों को गलत देख रहे हैं। ये तीनों ही रूप भारतीय जनता पार्टी की डिजाइन के अनुरूप थे। अगर कोई चौथी भूमिका होगी तो उसे पार्टी तय करेगी। मेरा काम बस पार्टी के निर्देशों को पूरा करना है।
नए आपराधिक कानूनों पर…
हमारा प्रयास है कि पीड़ितों को त्वरित न्याय मिले, जिससे उन्हें तारीख पर तारीख से मुक्ति मिलेगी। छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सजा का प्रावधान किया गया है। एफआईआर, केस डायरी, चार्जशीट तथा जजमेंट सभी को डिजिटाइज्ड किया जाएगा। सात साल या अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य किया गया है।
कश्मीर के संबंध में…
एक संविधान, एक ध्वज, एक प्रधान के सिद्धांत को लागू किया। पत्थरबाजी पर लगाम लगाया। आतंकियों के समर्थकों को सरकारी नौकरियों से हटाया। पर्यटन क्षेत्र को उद्योग का दर्जा मिलने से 250 करोड़ रुपए का निजी निवेश आया। कमजोर और वंचित वर्ग से ओबीसी में नामकरण की व्यवस्था की गई।
नक्सलवाद के मसले पर…
नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अंतिम दौर में है। इसके लिए त्रिआयामी रणनीति बनाई गई है। पहला बेहतर रणनीति से उग्रवादियों पर लगाम, दूसरा केंद्र व राज्य में बेहतर समन्वय और तीसरा विकास से जनभागीदारी।