
उमाकांत त्रिपाठी।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारतीय प्रजातंत्र में जनजाति का स्थान रीढ़ की हड्डी के बराबर है। जनजाति ही भारतीय संस्कृति और प्रजातंत्र को बल देता है। देश के इतिहास में पहली बार एक जनजाति महिला राष्ट्रपति बनती है, पीएम को शपथ दिलाती है। यह गौरव का पल है।
डिंडौरी में बुधवार को विश्व सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन विश्व दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल डॉ. मंगू भाई पटेल की तारीफ की। कहा कि राज्यपाल का दिल जनजाति के लिए धड़कता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहुंचे डिंडौरी
उपराष्ट्रपति बुधवार सुबह करीब 11 बजे डिंडौरी पहुंचे। हेलीपैड से वह कार्यक्रम स्थल चंद्र विजय कॉलेज कैंपस पहुंचे, जहां उन्होंने पौधारोपण किया। इसके बाद बैगा आदिवासियों के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्र पर थिरके। इस दौरान उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्री ने वाद्ययंत्र भी बजाया। इसके बाद विभागों की प्रदर्शनी का निरीक्षण किया।
डिंडौरी में बैगा आदिवासियों के साथ पारंपरिक वाद्य यंत्र पर थिरकते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव।
भारत की पहचान है जनजाति कल्चर
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि 1989 में जब मैं सांसद बना, केंद्र में मंत्री बना तो हमारी अर्थव्यवस्था लंदन शहर और पेरिस से भी छोटी थी। हमारा सोना हमने स्विटजरलैंड को गिरवी रखा था। अब देखिए हम कहां से कहां आ गए। हमने बहुत सारे देशों को पीछे छोड़ दिया। इसमें जनजाति का बहुत बड़ा योगदान है, भारत की पहचान जनजाति कल्चर है।उप राष्ट्रपति लगभग 1 घंटे 45 मिनट डिंडौरी में रुके। इस दौरान उनके साथ राज्यपाल मंगू भाई पटेल, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते मौजूद रहे।
जानें-डिंडौरी जिले में सिकल सेल एनीमिया बीमारी को लेकर क्या स्थित है?.
संतोष सिंह के पांच बच्चों में से दो सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित हैं।
‘न पति और न ही हमारे परिवार का और कोई सदस्य पहले सिकल सेल एनीमिया बीमारी से पीड़ित रहा है। फिर भी हमारे दो बच्चे इसके दर्द को झेल रहे हैं। बेटा तुलसी राम 16 साल का है। दसवीं की परीक्षा पास कर चुका है। उसे चक्कर आते हैं। खून की कमी हो जाती है। शरीर में दर्द इतना बढ़ जाता है कि वो कराह उठता है। जब वो छह माह का था, तब इस बीमारी का पता चला। इलाज जारी है। राहत नहीं मिली। 11 साल की बेटी भागवती इसी बीमारी के चलते पांचवीं कक्षा की परीक्षा भी नहीं दे सकी।ये कहना है डिंडौरी की फूलबाई का। उनके पति संतोष सिंह पेशे से किसान हैं। उनके दोनों बच्चों के अलावा जिले में एक हजार 961 और भी लोग हैं, जो सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित हैं। इससे भी बड़ी तादाद सिकल सेल वाहकों की है, जो कुल 11 हजार 559 हैं।
एक चौथाई आबादी की जांच में मिले करीब दो हजार मरीज
जिला मुख्यालय से 3 किमी दूर है कनई सांग गांव। करीब 700 लोगाें की आबादी वाले इस गांव में ही रहता है संतोष सिंह का परिवार। संतोष सिंह कहते हैं कि परिवार में तीन और बच्चे हैं लेकिन वो स्वस्थ हैं। दो बच्चों में ये बीमारी है। छत्तीसगढ़ भी इलाज कराने ले गए। डॉक्टर कह रहे हैं जैसे जैसे बच्चे बड़े होंगे तो इनकी बीमारी कम होती जाएगी लेकिन खत्म होगी ये नहीं कह सकते। हालांकि बच्चों की सेहत में उम्र बढ़ने के साथ खास सुधार होता नजर नहीं आया। उनके मकान से कुछ ही दूर 14 साल की रोसी इटोरिया भी इसी बीमारी से पीड़ित हैं। खून की कमी हो जाती है। दर्द रहता है और चक्कर आते हैं।