
केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा रसायन और उर्वरक मंत्री, डॉ. मनसुख मंडाविया ने आज आईसीएमआर- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (एनआईई) अयप्पक्कम, चेन्नई में आईसीएमआर स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के नए भवन की वर्चुअली आधारशिला रखी। शिलान्यास समारोह की अध्यक्षता तमिलनाडु के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव डॉ. जे. राधाकृष्णन की विशिष्ट उपस्थिति में पद्म श्री, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव ने की।

आईसीएमआर स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ का यह नया भवन अगले तीन वर्षों में मध्य स्तर के कम से कम 150 पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनल्स को प्रशिक्षण देने के आईसीएमआर-एनआईई के लक्ष्य की दिशा में पहला कदम होगा। अपर्याप्त प्रशिक्षित कार्यबल वाले राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
इस अवसर पर, श्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ देश में सार्वजनिक कार्यबल को बढ़ावा देगा। आईसीएमआर सबसे आगे रहा है और यह कदम देश में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के उनके प्रयासों को और मजबूत करेगा।
इस संकट के दौरान भारत की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए, डॉ. मंडाविया ने उल्लेख किया कि स्वदेशी क्षमता निर्माण के मामले में, चाहे वह मानव संसाधन हो या टीकाकरण, भारत स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार कर रहा है और इसने वैश्विक स्तर पर भारत के कद को बढ़ाया है। आजकल देश भारत के टीकों की मांग कर रहे हैं और इससे हमें और हमारे देशवासियों को अपने प्रयासों पर गर्व होना चाहिए।
स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को दोहराते हुए, डॉ. मंडाविया ने कहा, “स्वास्थ्य कार्यबल आबादी के लिए स्वास्थ्य संबंधी गड़बडि़यों में सुधार करने का माध्यम है। स्वास्थ्य प्रणाली का प्रबंधन करने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों का एक महत्वपूर्ण समूह आवश्यक है और अक्सर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण में एक महत्वपूर्ण सीमित कारक होता है।” उन्होंने आगे कहा कि “यह देश के लिए एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली बनाकर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्कृति विकसित करने का समय है।” उन्होंने न केवल इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के समकक्ष होनी चाहिए, बल्कि देश में स्थानीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम होनी चाहिए।
समग्र स्वास्थ्य शिक्षा और समुदायों में इसके कार्यान्वयन के महत्व को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने आगे कहा कि, “सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण और समुदायों के बीच एक स्पष्ट इंटरफ़ेस बनाने की आवश्यकता है, ताकि प्रशिक्षित पेशेवर समुदाय समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपट सकें। बहु-विषयक शिक्षा, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों को स्वास्थ्य के अनेक निश्चित साधनों की पहचान करने और उन्हें विभिन्न संगठनों के बीच सहयोग कायम करने में सक्षम बनाती है, उसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा को वर्तमान स्थिति के अनुसार और अधिक दिलचस्प बनाने और समस्या के समाधान की कुशलता के साथ डॉक्टरों को समर्थ बनाने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवर प्रभावी परिवर्तन एजेंट बन सकते हैं और स्वास्थ्य प्रणाली को अधिक दक्षता और समानता की ओर ले जा सकते हैं, स्वास्थ्य प्रणाली के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा के इंटरफेस को बढ़ाना अनिवार्य है, विशेष रूप से विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ।”