मोदी-योगी का ये प्लान बीजेपी को भारत में अपराजेय बना देगा

मोदी-योगी का ये प्लान बीजेपी को भारत में अपराजेय बना देगा

2024 में बीजेपी की जीत की गणित को समझने के लिए किसी को राजनीति विज्ञान का महारथी होना जरुरी नहीं है… ये बात तो सामान्य अंकगणित समझने वाला साधारण सा व्यक्ति भी समझ सकता है जो बीजेपी के पिछले परफार्मेंस पर नजर रखता है… पिछले कई चुनावी परिणामों में ये बात साफ-साफ दिखी है कि हर चुनाव में बीजेपी करीब-करीब या तो 50 फीसदी वोट पा रही है या 50 फीसदी वोट के आसपास जा रही है… सबसे ताजा उदाहरण गुजरात विधानसभा चुनाव का है… जहां बीजेपी को 52 फीसदी से अधिक मत मिलें…

अब सोचिए अगर बीजेपी 50 फीसदी से ज्यादा मतदाताओं को हमेशा के लिए अपना बना ले तो विपक्ष के पास क्या रह जाएगा… अभी बीजेपी को जो वोट मिल रहे हैं उसमें भी देश का एक समुदाय बीजेपी को पूरी तरह से नकारता है… तब भी बीजेपी करीब-करीब हर चुनावों में 50 फीसदी या उससे अधिक मत प्राप्त करने में सफल रही है… ऐसे में यूपी को बीजेपी ने एक बार फिर से चुनावी प्रयोगशाला बनाया है… और मौका चुना है निकाय चुनाव का… पठान के रंग से अपने सियासी भगवा चोले को चोखा कर चुकी बीजेपी अब यूपी के मैदान में मुसलमानों को उतारने की तैयारी कर चुकी है… स्थानीय निकाय चुनावों के लिए बीजेपी मुसलमानों को टिकट देने की तैयारी कर चुकी है… उसमें भी सबसे ज्यादा फोकस पसमांदा मुसलमानों पर होगा…

यूपी की बात करें तो यहां की कुल आबादी में 80.61 फीसदी हिंदू और 18.50 प्रतिशत मुसलमान हैं… पूरे देश में मुस्लिमों की आबादी लगभग 20 प्रतिशत है और इनमें से तकरीबन 80 फीसदी पसमांदा मुसलमान हैं… यूपी में भी कमोबेश यही हाल है 20 फीसदी जो मुस्लिम मतदाता है उनमें से 80 फीसदी पसमांदा मुसलमान हैं… बीजेपी की नज़र अब मुस्लिमों की इसी बड़ी आबादी पर है. देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम यूपी में हैं… यहां इनकी आबादी लगभग चार करोड़ है… ज़ाहिर है इसमें सबसे ज़्यादा पसमांदा मुसलमान हैं.

पारंपरिक तौर पर मुसलमान आबादी समाजवादी, बहुजन समाजवादी पार्टी, लोकदल और कांग्रेस को वोट देती आई है… पिछले चुनावों के दौरान बीजेपी ने यूपी में गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों को खुद से जोड़ने में कामयाबी हासिल की है… अब वह पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने का प्रयास कर रही है…
इस्लाम में जाति भेद नहीं है, लेकिन जानकार बताते हैं कि भारत में मुसलमान अनौपचारिक तौर पर तीन कैटेगरी में बंटे हैं… ये हैं- अशराफ़, अजलाफ़ और अरजाल.

अशराफ़ समुदाय सवर्ण हिंदुओं की तरह मुस्लिमों में संभ्रांत समुदायों का प्रतिनिधित्व करता है. इनमें सैयद, शेख़, मुग़ल, पठान, मुस्लिम राजपूत, तागा या त्यागी मुस्लिम, चौधरी मुस्लिम, ग्रहे या गौर मुस्लिम शामिल हैं.

अजलाफ़ मुस्लिमों में अंसारी, मंसूरी, कासगर, राइन, गुजर, बुनकर, गुर्जर, घोसी, कुरैशी, इदरिसी, नाइक, फ़कीर, सैफ़ी, अलवी, सलमानी जैसी जातियां हैं.

अरजाल में दलित मुस्लिम शामिल हैं. ये जातियां अशराफ़ की तुलना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर पिछड़ी हैं. बीजेपी की नज़र अजलाफ़ और अरजाल समुदाय के इन्हीं मुसलमान वोटरों पर है जिन्हें पसमांदा कहा जाता है

मोदी और योगी जी के नेतृत्व में चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का सबसे ज्यादा फोकस इन्हीं पर है… बीजेपी मुस्लिमों के इसी वर्ग को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है… इसके लिए बीजेपी ने जोर-शोर से तैयारियां शुरु कर दी है… पहले यूपी कैबिनेट में पसमांदा मुस्लिम समुदाय से आने वाले दानिश अंसारी को कैबिनेट मंत्री बनाया… फिर यूपी के अलग-अलग प्रांतो में पसमांदा बुद्धिजीवी सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें बीजेपी की ओर से राज्य सभा में भेजे गए जम्मू-कश्मीर के गुर्जर मुस्लिम नेता गुलाम अली खटाना भी हिस्सा ले रहे हैं… अब यूपी के निकाय चुनावों में मुस्लिमों को टिकट देने की घोषणा कर दी है… इससे ये साफ संदेश देने की कोशिश है कि यूपी में सिर्फ़ पसमांदा मुस्लिमों के कल्याण के लिए ही काम नहीं हो रहा है… उन्हें राजनीतिक हिस्सेदारी भी दी जाएगी.

इससे विपक्ष का ये मुद्दा भी खत्म हो जाएगा कि बीजेपी मुस्लिमों को टिकट नहीं देती है… बीजेपी अब इस नैरेटिव को खत्म करना चाहती है… पार्टी ने आधे से अधिक अति पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों को पहले से ही अपने साथ जोड़ रखा है… अब मुसलमानों में भी पसमांदा मुसलमानों को जोड़कर ये प्रयोग किया जा रहा है जो अगर सटीक साबित हो है तो फिर बीजेपी को हराना मुश्कल काम होगा…

पसमांदा मुसलमानों को बीजेपी से जोड़ने की मुहिम सपा और बसपा के लिए सिरदर्द साबित हो सकती है… यूपी की राजनीति पर पकड़ रखने वाले लोग कहते हैं कि रातों-रात तो कुछ नहीं होता लेकिन अगर उन्हें ये लग गया कि बीजेपी उनके लिए कुछ कर रही है तो वे बीजेपी के साथ जा सकते हैं… ऐसे में पसमांदा मुसमानों का ये धड़ा सपा और बसपा से छिटकर बीजेपी में शिफ्ट हो सकता है… इससे जहां सपा और बसपा कमजोर होगी वहीं पहले से ही मजबूत बीजेपी के साथ इनका वोटबैंक जुट जाएगा जो इन्हें अपराजेय बना देगा… इससे ये भी संदेश जाएगा कि बीजेपी मुस्लिमों को दरकिनार करके नहीं चलती है अभी तक मुस्लिमों के बीच ये जो परसेप्शन बना है… वो बदलेगी और ये मैसेज जाएगा कि बीजेपी भी मुस्लिमों को खुले दिल से गले लगाने के लिए तैयार है..