कुछ ना कहो… कुछ ना सुनो… एक धाकड़ पत्रकार का जाना खल सा गया है!

कुछ ना कहो… कुछ ना सुनो… एक धाकड़ पत्रकार का जाना खल सा गया है!
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कोरोना हर दिन सैकड़ों लोगों को अपनी आगोश में ले रहा है। लेकिन आज जो खबर सामने आई उसने देश को झकझोर दिया है। आज तक के वरिष्ठ एंकर रोहित सरदाना नहीं रहे। अपनी बेबाक शैली से करोड़ों दिलों में जगह बना लेने वाले रोहित की भरपाई मुश्किल होगी। भगवान दुख की इस घड़ी में उनके परिवार को असीम सहन शक्ति दें।

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उनके बारे में बताया जा रहा है कि वो कोरोना से संक्रमित थे। उनका इलाज नोएडा के मेट्रो अस्पताल में चल रहा था। इलाज के दौरान ही अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया और डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा सके। उनकी मौत की खबर एक बार तो लोगों को झुठी लगी। पर निर्दयी कोरोना ने हमसे हमारा एक काबिल दोस्त हमेशा-हमेशा के लिए छीन लिया।

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रोहित की मौत की खबर सुनते ही देश भर में मातम सा छा गया। प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति कोविंद, मीडिया के दिग्गजों, नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित हजारों चाहने वालों ने ट्वीट कर दुख प्रकट किया।

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पत्रकारिता जगत में अमिट छाप छोड़ने वाले दिग्गज का यूं चले जाना, लाखों चाहने वालों के लिए किसी सदमें से कम नहीं है। वो चाहे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा लोगों की जहन में जिंदा रहेगी। पत्रकारिता जगत में दशकों तक उनका नाम बड़े अदब के साथ लिया जाएगा।

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रोहित सरदाना अभी आज तक में वरिष्ठ एंकर की भूमिका में काम कर रहे थें। उससे पहले एक लंबे वक्त तक वो जी न्यूज में रहें, जहां उनका ‘ताल ठोक के’ कार्यक्रम  रोज हजारों लोग देखते थे। रोहित ने बड़े कम उम्र में पत्रकारिता जगत की बुलंदियों की छुआ था। वो सहारा समय और ईटीवी जैसे बड़े मीडिया घरानों में भी अपनी सेवा दे चुके थे।

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सरदाना का जन्म हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुआ था। रोहित ने वहीं से अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने मास कम्युनिकेशन की डिग्री हासिल की फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।