घर-घर में गूंजेगा जय कन्हैया लाल की…

घर-घर में गूंजेगा जय कन्हैया लाल की…

भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि सोमवार को भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण दिवस मनाया जा रहा है। श्रद्धालु व्रत रखकर भगवान के जन्म का उत्सव मना रहे हैं। मंदिरोंऔर घरों में आकर्षक झांकी सजाई गई है। भक्ति और उत्सव पूर्ण माहौल में रात 12 बजे लोग भगवान के अवतरण की खुशी में झूम उठेंगे। भजन और सोहर के साथ जय कन्हैया लाल की मदन गोपाल की धुन पर भक्त भावविभोर होंगे।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर शहर और गांव के मंदिरों में सामूहिक रूप से धार्मिक कार्यक्रम किए जाएंगे। पुलिस लाइंस, जिला कारागार एवं 18 थाने में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है। एक दिन पहले ही झांकी सजा दी गई है।

मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे। पं. राकेश शास्त्री ने बताया कि हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी होती है। इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

डुमरियागंज प्रतिनिधि के अनुसार शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने की तैयारी की गई है। ज्योतिषाचार्य ओमप्रकाश पांडेय के मुताबिक इस बार जन्माष्टमी पर विशेष संयोग बन रहा है। श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार भी जन्माष्टमी पर कृष्ण के जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि विद्यमान रहेगी।

101 साल बाद जयंती योग का संयोग बनने जा रहा है। इस दिन सोमवार भी है तो यह काफी शुभ माना जा रहा है। ऐसा दुर्लभ संयोग होने से इस जन्माष्टमी की उपासना ज्यादा सार्थक होगी।

सोमवार सुबह स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष व्रत का संकल्प करें। दिन भर श्रद्धानुसार व्रत रखें। आप चाहें तो व्रत निर्जल रहें या फलाहार। कान्हा के लिए भोग और प्रसाद आदि बनाएं। शाम को श्रीकृष्ण भगवान का भजन-कीर्तन करें।

रात 12 बजे नार वाले खीरे में लड्डू गोपाल को बैठाकर कन्हैया का जन्म कराएं। नार वाले खीरे का तात्पर्य माता देवकी के गर्भ से लिया जाता है। इसके बाद भगवान को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं।

सुंदर वस्त्र, मुकुट, माला, पहनाकर पालने में बैठाएं। फिर धूप, दीप आदि जलाकर कर पीला चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी, मिष्ठान, मेवा, पंजीरी, पंचामृत आदि का भोग लगाएं। कृष्ण मंत्र का जाप करें, श्रद्धापूर्वक आरती करें। इसके बाद प्रसाद बांटें और खुद भी प्रसाद खाकर व्रत खोलें।