बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि दो विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव के लिए वे प्रचार नहीं कर पाएंगे। इन दोनों सीटों पर उनके मौजूदा सहयोगी आरजेडी का पूर्व गठबंधन सहयोगी बीजेपी के साथ सीधा मुकाबला है।
बता दें कि हाल ही में गंगा नदी पर पुल के एक खंभे से अपनी स्टीमर के टकराने के बाद सीएम कुमार चोटिल हो गए थे।
पत्रकारों के सवाल का जबाब देते हुए सीएम ने कहा कि ‘‘मेरी पार्टी के सभी सहयोगी प्रचार कर रहे हैं। जब तक मैं पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता, तब तक मुझे सावधानी बरतने की जरूरत है।’’
ऐसी चर्चा है कि आरजेडी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए नीतीश कुमार प्रचार अभियान में शामिल होंगे । आरजेडी मोकामा सीट को अपने पास बरकरार रखना चाह रहा है जबकि गोपालगंज को बीजेपी से छीनना चाह रहा है।
इस बीच बीजेपी ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि नीतीश कुमार सत्ताधारी महागठबंधन में ‘‘असहज’’ महसूस कर रहे हैं इसलिए उन्होंने ‘‘चतुराई से’’ बहाना कर लिया है।
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, ‘‘वह मंदिर जा सकते हैं। वह सरकारी कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं तो वह अपने पुराने विश्वासपात्र अनंत सिंह की पत्नी के लिए प्रचार क्यों नहीं कर सकते हैं।’’
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव आरजेडी विधायक अनंत कुमार सिंह को अयोग्य ठहराए जाने के कारण कराया जा रहा है । बता दें कि अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को आरजेडी ने मैदान में उतारा है।
आरजेडी के राज्य मुख्यालय के अनुसार वरिष्ठ नेता एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव शुक्रवार को एक चुनावी रैली को संबोधित करने के लिए गोपालगंज जाएंगे।
गोपालगंज सीट पर उपचुनाव चार बार के बीजेपी विधायक रहे सुभाष सिंह के निधन के कारण आवश्यक हो गया है जिनकी पत्नी कुसुम देवी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं।
गोपालगंज राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी का पैतृक जिला है।
आरजेडी ने वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मोहन प्रकाश गुप्ता को चुनाव मैदान में उतारा है ।
राबड़ी देवी के भाई साधु यादव ने इसबार अपनी पत्नी इंदिरा यादव को चुनावी मैदान में उतारा है । उन्होंने 2000 में आरजेडी के लिए सीट जीती थी और 2020 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर दूसरे नंबर पर रहे थे। साधु यादव की अपनी बहन के साथ लंबे समय से अनबन चल रही है । एक आईएएस अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार के मामले में इस साल की शुरुआत में एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने पर उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था।