दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित देश में से एक है भारत, सिर्फ इतने वर्ष तक ही जी सकेंगे आप

दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित देश में से एक है भारत, सिर्फ इतने वर्ष तक ही जी सकेंगे आप
प्रदूषित देश

बढ़ती प्रदूषण की समस्या सीरियस होती चली जा रही है। सरकारें इस पर काम कर रही हैं लेकिन उस स्तर पर नहीं जितना की जरूरत है। सर्दियों के मौसम में ये दिक्कत सबसे ज्यादा हो जाती है। सबसे बुरी स्थिति दिल्ली-एनसीआर के शहरों की होती है। दरअसल हाल ही में शिकागो यूनिवर्सिटी ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके मुताबिक भारत दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित देश में से एक है। एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स नाम की इस रिपोर्ट में यह तय किया जाता है कि अगर प्रदूषण का स्तर तय मानकों से ज्यादा है तो वहां रहने वाले लोगों की उम्र पर कितना बुरा असर पड़ता है।

मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण की वजह से दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले लोगों की उम्र औसतन 10 वर्ष घट रही है, जबकि उत्तर भारत में रहने वालों की उम्र 7 वर्ष 6 महीना तक घट रही है। अगर पूरे भारत की बात करें तो प्रदूषण की वजह से लोगों की औसत उम्र में कम से कम 5 वर्ष की कमी आई है। इसका मतलब है कि अगर आप सामान्य परिस्थितियों में 70 वर्ष जीते हैं तो दिल्ली में रहने वाला व्यक्ति केवल प्रदूषण की वजह से 60 वर्ष तक ही जी पाएगा, जबकि भारत के दूसरे हिस्से में रहने वाला व्यक्ति 70 वर्ष जीने की जगह 65 वर्ष तक ही जी सकेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे भारत में एक भी जगह ऐसी नहीं है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वच्छ हवा के मानकों पर खरी उतरती हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पीएम 2.5 का स्तर 5 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से कम होना चाहिए जबकि भारत में 63% आबादी ऐसी जगह पर रहती है जो भारत के बनाए हुए खुद के मानक जो कि 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से भी ज्यादा प्रदूषण को झेल रही है और इसीलिए इस आबादी पर सबसे ज्यादा खतरा है।

भारत में इस वक्त प्रदूषण को ही जान के लिए सबसे बड़ा खतरा माना गया है इस रिपोर्ट में किए गए आकलन के मुताबिक प्रदूषण जहां औसतन किसी की उम्र 5 वर्ष घटाता है वहीं, भारत में कुपोषण की वजह से उम्र लगभग 1 वर्ष 8 महीने घटती है। अगर कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो उसकी औसत उम्र डेढ़ वर्ष कम हो जाती है। शराब के सेवन से होने वाले नुकसान के मुकाबले प्रदूषण भारत में 3 गुना ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। यही नहीं एचआईवी एड्स के मुकाबले यह नुकसान 6 गुना ज्यादा है।