SSP कुलदीप सिंह चंडीगढ़ से रिलीव, राज्यपाल ने चिठ्ठी लिखकर दिया जबाब

SSP कुलदीप सिंह चंडीगढ़ से रिलीव, राज्यपाल ने चिठ्ठी लिखकर दिया जबाब

जिसने पंजाब के सबसे बड़े गैंगस्टर को ठिकाने लगाया, उसे किन अधिकारियों ने किनारे लगाया? लारेंस बिश्नोई कौन है. कितना बड़ा शातिर है. वो क्या क्या करता है पूरी दुनिया ये जानती है. एक ईमानदार अधिकारी जिसने फिल्मी स्टाइल में लारेश बिश्नोई को दौड़ा दौड़ा कर पकड़ा. जिसने घसीटकर लारेंस को सलाखों में डाला वो अधिकारी भगवंत मान के सत्ता में आते ही 10 महीने में ही क्यों खटकने लगा. ऐसा वैसा नहीं खटका. बल्कि अभी उसके कार्यकाल के 10 महीने बचे थे लेकिन उससे पहले ही राजभवन ने उसे किनारे लगा दिया.

आखिर एक ईमानदार डैशिंग और तेजतर्रार अधिकारी क्यों राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को पसंद नहीं आया. वो कौन है जो लारेंस को उसके सही ठिकाने पर पहुंचाने वाले से बदला लेना चाहता है. सबसे पहले आपको उस ईमानदार अधिकारी के बारे में बताते हैं जिसने पंजाब के सबसे मोस्ट वांटेड गैंगस्टर को दौड़ाकर पकड़ लिया. नाम है कुलदीप चहल. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कुलदीप पंजाब काडर में साल 2009 बैच के IPS अधिकारी हैं. अचानक 13 दिसंबर को उनके पास उनके ट्रांसफर का लेटर पहुंच गया. ऐसा क्यों हुआ पूरा महकमा इसपर चुप्पी साध गया. कुलदीप चहल को लेकर राज्यपाल के फैसले पर खुद सरकार ने कई सवाल उठाए. अब पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार और पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित आमने-सामने आ गए हैं.

दरअसल, कुलदीप चहल को SSP चंडीगढ़ के पद से हटाकर हरियाणा कैडर की आईपीएस अधिकारी और ट्रैफिक एसएसपी मनीषा चौधरी को अब चंडीगढ़ बुलाया गया. मतलब ऐसी कौन सी मजबूरी या जल्दी आ गई की कार्यकाल खत्म होने के 10 महीने पहले ही पंजाब काडर के एक अधिकारी को हटाकर हरियाणा काडर के अधिकारी को लाना पड़ा. सिर्फ कुलदीप के ट्रांसफर पर सवाल नहीं है. सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि हमेशा चंडीगढ़ लॉ एंड एसएसपी पंजाब काडर का अधिकारी ही बनता रहा. इंडियन एक्सप्रेस की खबर भी ऐसा ही दावा करती है.

पहले तरीका समझिए. किसी भी अधिकारी को हटाया जाता है उससे सलाह ली जाती है या कम से उसे बताया जाता है. लेकिन यहां कुलदीप के मामले में कुछ भी नहीं हुआ. बल्कि मीडिया रिपोर्ट्स बताती है करीब 4-5 घंटे पहले उनके हाथ में रिलीव लेटर पहुंचा और कहा गया जितनी जल्दी हो आप दूसरी जगह ज्वाइन कर लीजिए.

हद तो तब हो गई कि रिलीव ऑर्डर अधिकारी के हाथ में पहुंचने से पहले सोशल मीडिया पर छाप दी गई. खबर है कि इस लेटर के टाइप होने के बाद कुछ अधिकारी राजभवन राज्य बनवारीलाल पुरोहित से मिलने गए थे. मोटे तौर पर कहें तो राज्यपाल और भगवंत मान के टकराव में एक ईमानदार अधिकारी बलि चढ़ा दिया गया. कुलदीप चहल हरियाणा के जींद जिले के उझाना गांव में साल 1981 में जन्मे थे. कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद वो अपने भाई सुरेश कुमार के साथ पंचकूला रहने लगे. पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए करने के साथ-साथ कॉम्पीटिशन की तैयारी शुरू कर दी. सबसे पहले 2005 में अस्टिटेंट सब इंस्पेक्टर के तौर पर चुने गए. सर्विस के दौरान ही यूपीएससी की परीक्षा दी और ऑल इंडिया 82वां रैंक लेकर आए. पंजाब काडर मिला.

IPS कुलदीप चहल को पंजाब में गैंगस्टरों और अपराधियों के लिए खौफ का दूसरा नाम हैं. इसके लिए उन्हें साल 2018 में पुलिस मेडल और डायरेक्टर जनरल कमेंडेशन डिस्क भी दिया गया था. साल 2012 में वे सबसे पहले लाइमलाइट में आए थे. इस साल उन्होंने गैंगस्टर शेरा खुभान के एनकाउंटर में अहम रोल निभाया था. खुभान उस वक्त पंजाब के टॉप गैंगस्टरों में से एक था और उसे गैंगस्टर जयपाल भुल्लर का संरक्षक भी माना जाता था.