मां की ममता को कौन नहीं जानता। एक मां के लिए उसके पुत्र से बढ़कर कुछ नहीं होता। अगर उसके बेटे को छोटी सी खरोच भी आती है, तो मां की जान निकल जाती है।
गुजरात के जूनीरोह गांव के एक मां की दास्तान से सभी गांववासी स्तब्ध हैं। जूनीरोह गांव के मंगूबेन चौहान के पुत्र महेश की 4 माह पहले एक सड़क दुर्घटना में जान चली गई। वो तो अपनी मां को छोड़कर चला गया। लेकिन उसकी मां अब भी मानने को तैयार नहीं है कि उसका पुत्र इस दुनिया में नहीं है।
उसके पुत्र का अंतिम संस्कार गांव के ही पास हुआ है। लेकिन अपने बेटे की असमय मौत से अब भी उसकी मां नहीं उबर पाई है। इसलिए जब भी उसे अपने पुत्र की याद आती है, वो उसे याद करते हुए वहां चली जाती है। वहां जाकर वो अपने पुत्र के राख पर सर रखकर सो जाती है और उसे याद कर भावुक हो जाती है।
घर वालों को सब पता है। इसलिए वह जब घर पर नहीं होती है, तो घरवाले उसे वहां जाकर खोज लेते हैं जहां उसके पुत्र का अंतिम संस्कार हुआ है। फिर उसकी मां को किसी तरह समझा-बुझा कर घर वापस ले आते हैं।
कई बार समझाने के बाद भी मां नहीं मानती है और जब भी उसे अपने बेटे की याद आती है वो उसे ढूंढ़ते –ढूढ़ते वहां पहुंच जाती है।