कोहली ने किया वो खुलासा कि धोनी ताली बजाने लगे, अनुष्का नाचने लगी

कोहली ने किया वो खुलासा कि धोनी ताली बजाने लगे, अनुष्का नाचने लगी

भारत के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने काफी लंबे समय बाद कप्तानी पर दिल का दर्द बयां किया है। कोहली ने अपनी कप्तानी में कभी कोई आईसीसी ट्रॉफी न जीतने के लिए अक्सर होने वाली आलोचना बात करते हुए कहा कि कैसे कुछ पंडितों और फैंस के एक वर्ग ने उन्हें एक विफल कप्तान करार दिया। कोहली ने कहा कि हालांकि उन्होंने अपने नेतृत्व में कई मौकों पर टीम को नॉकआउट दौर में पहुंचाया, लेकिन ट्रॉफी न जीत पाने के पहलू ने बड़े विमर्श का रूप ले लिया।

हालांकि, पूर्व कप्तान ने यह भी कहा कि होने वाली आलोचना के चलते उन्हें कभी किसी स्तर पर इस पहलू से खुद का मूल्यांकन नहीं किया। और उनके कार्यकाल में टीम इंडिया में जो भी वैचारिक बदलाव आया, उसे लेकर वह गौरवान्वित महसूस करते हैं। आलोचना के असर पर कोहली बोले कि बतौर खिलाड़ी मैंने विश्व कप जीता है। मैंने चैंपियंस ट्रॉफी जीती है। मैं उस टीम का हिस्सा रहा हूं, जिसने पांच टेस्ट मेस जीते हैं। टेस्ट मेस का मतलब हुआ कि विराट के रहते 5 बार साल के अंत में टीम इंडिया आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 रही है। अगर आप उस नजरिए से देखत हैं, तो यहां कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कभी विश्व कप नहीं जीता है।

बतौर कप्तान विराट कोहली का रिकॉर्ड शानदार है। विराट कोहली ने टीम इंडिया की कमान 68 टेस्ट मुकाबलों में संभाली है, जिसमें से उन्होंने 40 टेस्ट में जीत हासिल की है और 17 टेस्ट हारे हैं। 11 टेस्ट ड्रॉ रहे हैं। विराट के अलावा किसी भी भारतीय कप्तान ने इतने टेस्ट मुकाबले नहीं जीते हैं, यह किसी भी भारतीय कप्तान का रिकॉर्ड है। वनडे में विराट कोहली की कप्तानी रिकॉर्ड की बात करें तो टीम इंडिया ने उनके नेतृत्व में 95 मैच खेले। 65 मुकाबलों में टीम को जीत मिली। 27 मैच हारे और 3 मुकाबले बगैर किसी परिणाम खत्म हो गए। 50 टी-20 इंटरनेशनल में विराट ने कप्तानी की, जहां 30 में जीत मिली, 16 में हार और 4 मैचों का नतीजा नहीं आ सका।

विराट कोहली के नेतृत्व में, भारत ने खेले गए टेस्ट मैचों में 58.8% जीत हासिल की, जो सभी भारतीय कप्तानों में सबसे अधिक है। कोहली ने अपने टेस्ट करियर में 7 दोहरे शतक लगाए हैं। उनके सभी दोहरे शतक कप्तान के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान आए हैं। यह उन्हें किसी भी टेस्ट कप्तान के लिए सर्वाधिक दोहरे शतकों की सूची में भी पहले स्थान पर रखता है। एमएस धोनी के बाद विराट के भारतीय एकदिवसीय कप्तान (5449 रन) के रूप में दूसरे स्थान पर हैं। धोनी ने भारत के लिए कप्तान के रूप में 200 मैचों में 6641 रन एकदिवसीय रन बनाए। उन्होंने एक भारतीय कप्तान द्वारा सबसे अधिक 21 वनडे शतक बनाए हैं। कोहली केवल रिकी पोंटिंग से पीछे हैं, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के कप्तान के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान 22 शतक बनाए थे। सभी SENA देशों में T20I द्विपक्षीय श्रृंखला जीतने वाले विराट एकमात्र भारतीय कप्तान हैं। उसके तहत, भारत ने 2020 में न्यूजीलैंड में 5-0, 2020 में ऑस्ट्रेलिया में 2-1, 2018 में इंग्लैंड में 2-1 और 2018 में दक्षिण अफ्रीका में 2-1 से जीत दर्ज की।

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 के शुरू होने से पहले विराट कोहली की फ्रेंचाइजी रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर ने एक पॉडकास्ट की सीरीज रिलीज की है। जिसमें जब किंग कोहली से पूछा गया कि बतौर कप्तान वह एक भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत पाए, तो क्या उन्हें यह बात चुभती है? इस पर कोहली ने जवाब देते हुए कहा कि आप हमेशा टूर्नामेंट जीतने के लिए ही खेलते हो, मैंने चैम्पियंस ट्रॉफी 2017, वर्ल्ड कप 2019, वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप 2021, टी-20 वर्ल्ड कप 2022 में कप्तानी की। हम चैम्पियंस ट्रॉफी के फाइनल, वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल और वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे, लेकिन उसके बाद भी मुझे फेल कप्तान बताया गया।

भले ही विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी भारतीय क्रिकेट टीम को एक भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जिता पाई, लेकिन इनके कार्यकाल ने टीम इंडिया को एक अलग ऊंचाई प्रदान की है। खासकर टेस्ट क्रिकेट में कोहली की भारतीय टीम ने अपने आक्रामक खेल से कोहराम मचा रखा था। जिसके चलते वह 45 महीनों तक टेस्ट की नंबर 1 टीम बने। वहीं द्विपक्षीय सीरीज में भी टीम इंडिया घर में और विदेश जाकर पूरी तरह से डोमिनेट करती थी।

2011 विश्व कप के बारे में बात करते हुए विराट ने कहा, मैं ईमानदारी से कहना चाहूंगा कि भाग्यशाली हूं, उस टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला। जिस तरह से मेरा सिलेक्शन हुआ, वो भी कमाल ही था। मैंने पीछे कुछ अच्छी पारियां खेली थीं और रन बनाए थे तो मुझे टीम में चुन लिया गया। मैं विश्व कप की टीम में जगह बनाउंगा, सोचा भी नहीं था। तो जो होना है, वो होगा ही। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने कितने ही विश्व कप खेले थे। टीम में सचिन तेंदुलकर थे, जो अपने छठे विश्व कप में खेलने उतरे थे। उस बार में वो एक विश्व कप को जीतने में कामयाब रहे थे। मैं एक खिलाड़ी था, जो पहली बार विश्व कप टीम का हिस्सा बना और पहली बार में ही चैंपियन बनने में कामयाब हुआ।

भारतीय क्रिकेट में उनका सबसे बड़ा योगदान घर से बाहर जीत हासिल करने का उनका जुनून है। खासकर टेस्ट क्रिकेट में। कोहली की टीम के चयन के लिए अक्सर आलोचना की जाती रही है, लेकिन वह अपने कॉल्स को लेकर लगातार उत्साहित रहे हैं। मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ी आज विराट की बदौलत ही नंबर 1 ODI गेंदबाज हैं। विराट ने अपनी टीम में आत्मविश्वास का स्तर डाला है और एक सच्चे नेता के रूप में सभी मापदंडों पर आगे बढ़कर नेतृत्व किया है। भारतीय राष्ट्रीय टीम के कप्तान के रूप में सभी प्रारूपों में 63.3% जीत प्रतिशत के साथ, उन्होंने एक ऐसी विरासत छोड़ी है, जिसे शीर्ष पर रखा जा सकता है।