चंद सेकेंड में कैसे भरभरा कर गिरा नोएडा का टि्वन टावर

चंद सेकेंड में कैसे भरभरा कर गिरा नोएडा का टि्वन टावर

नोएडा में सुपरटेक कंपनी की ओर से बनाए गए ट्विन टावर को गिरा दिया गया. दोनों इमारतों को जमींदोज होने में महज आठ सेकेंड लगे. टावर में जैसे ही ब्लास्ट शुरू हुए, धूल का गुबार उठना शुरू हो गया. कई किलोमीटर दूर तक लोगों ने इस धूल के गुबार को देखा.

आसपास की 50 से ज्यादा इमारतें पूरी तरह से धूल से पट गईं.

कैसे आगे बढ़ा पूरा मामला

  • नोएडा के सेक्टर-93ए में एक हाउसिंग सोसाइटी के निर्माण के लिए नवंबर 2004 में नोएडा विकास प्राधिकरण सुपरटेक को जमीन का एक भूखंड आवंटित किया.
  • 2005 में न्यू ओखला औद्योगिक विकास क्षेत्र भवन विनियम और निर्देश, 1986 के तहत भवन योजना को मंजूरी मिली. जिसके तहत कुल 14 टावरों और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण को मंजूरी दी गई थी.
  • सुपरटेक लिमिटेड ने नवंबर 2005 में एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) नाम से एक ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण शुरू किया.
  • जून 2006 में सुपरटेक को उन्हीं शर्तों के तहत अतिरिक्त जमीन आवंटित कर दी गई
  • दिसंबर 2006 में 11 फ्लोर के 15 टावरों में कुल 689 फ्लैट्स के निर्माण के लिए प्लान में बदलाव किया गया.
  • 2009 में सुपरटेक ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलीभगत कर ट्विन टावर का निर्माण शुरू कर दिया. ये T-16 और T-17 (Apex और Ceyane) टावर थे.
  • दोनों टावरों को लेकर स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध करना शुरू कर दिया. क्योंकि उनकी सोसाइटी के ठीक सामने, जिसे नोएडा अथॉरिटी ने पहले ग्रीन बेल्ट बताया था, वहां ये विशालकाय टावर खड़े हो रहे थे.
  • इन ट्विन टावरों के निर्माण के दौरान अग्नि सुरक्षा मानदंडों और खुले स्थान के मानदंडों का भी उल्लंघन किया गया था.
  • इन टावरों के निर्माण के दौरान NBR 2006 और NBR 2010 का उल्लंघन किया गया था. जिसके मुताबिक इन बिल्डिंगों के निर्माण के दौरान पास की अन्य बिल्डिंगों के बीच उचित दूरी का खयाल नहीं रखा गया था.
  • नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC), 2005 को भी ताक पर रखकर इनका निर्माण किया गया. NBC 2005 के मुताबिक ऊंची इमारतों के आसपास खुली जगह का प्रावधान है. टावर T-17 से सटे खुली जगह लगभग 20 मीटर होनी चाहिए थी, 9 मीटर का स्पेस गैप उससे काफी कम है.
  • सुपरटेक ट्विन टावर्स (T-16 और T-17) का निर्माण यूपी अपार्टमेंट्स एक्ट का भी उल्लंघन है. मूल योजना में बदलाव किया गया था लेकिन बिल्डरों ने मूल योजना के खरीदारों की सहमति नहीं ली थी.
  • जिस एरिया को सुपरटेक ने अपने ग्राहकों को पहले ग्रीन एरिया में दिखाया था, बाद में धोखे से उसी में दो बड़ा टावर खड़े कर दिए गए. ब्रॉशर में ग्रीन एरिया देखकर घर खरीदने वालों के लिए ये एक ठगी से कम नहीं था.

दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 37,00 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया.

उच्चतम न्यायालय ने एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था, जिसके बाद इन्हें ढहाने का काम किया गया.