क्या वित्त मंत्री के पास नहीं है चुनाव लड़ने के पैसे, जानिए क्या है वित्त मंत्री की रणनीति

क्या वित्त मंत्री के पास नहीं है चुनाव लड़ने के पैसे, जानिए क्या है वित्त मंत्री की रणनीति

उमाकांत त्रिपाठी।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। एक टीवी चैनल टाइम्स नाउ समिट में उन्होंने बताया कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं है।
सीतारमण ने कहा- पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुझे लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछा था। उन्होंने आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु से चुनाव लड़ने की पेशकश की थी। हालांकि, इस बारे में सोचने के बाद मैंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।

वित्त मंत्री बोलीं
निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘एक हफ्ते या दस दिन तक सोचने के बाद मैंने जवाब दिया… नहीं। मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए उस तरह का धन नहीं हैं। मुझे यह भी समस्या है कि आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु। जीतने लायक अलग-अलग मानदंडों का भी सवाल है…आप इस समुदाय से हैं या आप उस धर्म से हैं? मैं बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मेरी दलीलों को स्वीकार कर लिया इसलिए मैं चुनाव नहीं लड़ रही हूं।जब उनसे सवाल किया गया कि देश की वित्त मंत्री के पास भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त धन क्यों नहीं है तो उन्होंने कहा कि भारत की संचित निधि उनकी अपनी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मेरी सैलरी, मेरी कमाई, मेरी बचत मेरी है, लेकिन भारत की संचित निधि मेरी नहीं है।

निर्मला ने की इन मुद्दों पर बात

पुरानी पेंशन: राज्यों को पुरानी पेंशन स्कीम के नाम पर वोटर्स को लालच देने का काम नहीं करना चाहिए।
राज्य और केंद्र साथ काम करें: देश के विकास के लिए केंद्र और राज्य को साथ मिलकर काम करना होगा, क्योंकि सुधार करना सिर्फ केंद्र का काम नहीं है। सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाना होगा। केंद्र और राज्य को कोई नीति लागू करने में भेदभाव नहीं करना होगा।विपक्षी नेताओं पर ED-CBI का एक्शन: एक भी ऐसा मामला नहीं है, जिसके सबूत न हों। नेताओं के घरों से पैसे जब्त हो रहे हैं। लोग कहते हैं कि यह सब मोदी सरकार के इशारे पर हो रहा है। वे भूल जाते हैं कि 2014 से पहले इन्हीं एजेंसियों को पिंजरे में बंद तोता कहा जाता था। तब एजेंसियां सिर्फ गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के पास पूछताछ करने जाती थी।

विपक्षी नेताओं पर ED-CBI का एक्शन

एक भी ऐसा मामला नहीं है, जिसके सबूत न हों। नेताओं के घरों से पैसे जब्त हो रहे हैं। लोग कहते हैं कि यह सब मोदी सरकार के इशारे पर हो रहा है। वे भूल जाते हैं कि 2014 से पहले इन्हीं एजेंसियों को पिंजरे में बंद तोता कहा जाता था। तब एजेंसियां सिर्फ गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के पास पूछताछ करने जाती थी।

इलेक्टोरल बॉन्ड के लिए बना कानून
इलेक्टोरल बॉन्ड के लिए कानून बना और संसद में पास हुआ। उस कानून के तहत बॉन्ड खरीदे गए और कैश कराए गए। सभी पार्टियों को बॉन्ड मिले। सभी ने इसे कैश कराया। जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया, तब कहा जाने लगा कि बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी दीजिए। डेटा सामने के बाद सब साफ हो गया है। विपक्ष के पास बोलने के लिए कुछ बचा नहीं है। इसलिए सब चुप हैं।