हम जुडिशरी के एक शेर को खो रहे हैं: चीफ जस्टिस

हम जुडिशरी के एक शेर को खो रहे हैं: चीफ जस्टिस
जस्टिस रोहिंटन नरीमन

आज सुप्रीम कोर्ट से एक ऐसे जस्टिस की विदाई हुई जिससे सबकी आंखे नम हो गई। बड़े ही भारी मन से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन नरीमन 12 अगस्त को रिटायर हो गए। वह सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पांचवें ऐसे जज हैं जिन्हें सीधे वकील से सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया। जस्टिस नरीमन ने अपने 7 साल लंबे कार्यकाल में बतौर जज 13,565 केसों का निपटारा किया।

इनमें तीन तलाक केस, आईटी ऐक्ट की धारा 66-ए को खत्म करने और निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के दायरे में लाने जैसे जजमेंट अहम है। उनके कार्यकाल के आखिरी दिन फेयरवेल के मौके पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम जुडिशरी के एक शेर को खो रहे हैं।


चीफ जस्टिस एनवी रमना परंपरा के मुताबिक जस्टिस नरीमन के कार्यकाल के आखिरी दिन उनके साथ बेंच में बैठे। इस दौरान उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमेशा जस्टिस नरीमन की काबिलियत को मिस करेगा। उन्होंने कहा कि जस्टिस नरीमन की दक्षता और पांडित्य उनके फैसलों में दिखती रही है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरे पास शब्द नहीं है कि इस मौके पर क्या कहूं लेकिन मैं समझता हूं कि एक लाइन में यही कह सकता हूं कि जुडिशल संस्थान की रक्षा करने वाले शेरों में हम एक शेर को खो रहे है। वह बेहद मजबूत स्तंभ रहे हैं। बेहद सिद्धांतवादी और सत्यता के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहे हैं।

फेयरवेल सेशन के मौके पर सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह ने कहा कि हम पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा को धन्यवाद देना चाहते हैं कि जिन्होने जस्टिस नरीमन के नाम की सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर सिफारिश की थी। जस्टिस नरीमन जैसी शख्सियत के लिए 7 साल का कार्यकाल काफी नहीं है। उनके कार्यकाल में संस्थान का वैभव बढ़ा।


देश के दिग्गज वकील फली एस नरीमन के घर 13 अगस्त 1956 को पैदा हुए जस्टिस रोहिंटन की पढ़ाई दिल्ली में हुई। श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया और दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की। फिर एलएलएम के लिए हार्वर्ड चले गए। 1979 में उन्होंने वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें 37 साल की उम्र में सीनियर ऐडवोकेट बनाया गया और 55 साल की उम्र में 2011 में सॉलिसिटर जनरल बनाए गए।

वकालत की 35 साल की शानदार प्रैक्टिस के बाद उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया। 7 जुलाई 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर उन्हें शपथ दिलाई गई। वह पांचवे ऐसे वकील रहे जिन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया। बतौर जस्टिस उन्होंने 13565 केसों का निपटारा किया।