कौशल विकास से राष्ट्र का विकास संभव- केंद्रीय शिक्षा मंत्री ‘निशंक’

कौशल विकास से राष्ट्र का विकास संभव- केंद्रीय शिक्षा मंत्री ‘निशंक’
डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय शिक्षा मंत्री

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कौशल विकास के क्षेत्र में अपार संभावनाएं व्यक्त करते हुए पारस्परिक संबंधों को मजबूत करने के लिए कोपरेशन के साथ-साथ कोलैबोरेशन पर जोर दिया है।    

कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग को सुगम बनाने के उद्देश्य से बुधवार को आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ‘निशंक’ ने कहा कि कौशल विकास के द्वारा हम राष्ट्र विकास की गति को तेज कर सकते हैं। वेबिनार के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया इंडिया बिज़नेस कॉउंसिल और ऑस्ट्रेलिया के सरकारी प्रतिनिधि एक साथ आए और कौशल विकास पर विस्तृत चर्चा की।

इस वेबिनार के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया इंडिया बिज़नेस कॉउंसिल और ऑस्ट्रेलिया के सरकारी प्रतिनिधि एक साथ आए और कौशल विकास पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री श्री जेफ़ ली, भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त श्री बैरी ओ फार्रेल, राष्ट्रीय वीईटी नियामक और ऑस्ट्रेलियाई कौशल गुणवत्ता प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुश्री सैक्सन राइस, न्यू साउथ वेल्स के शिक्षा क्षेत्र के निदेशक श्री पीटर मैके, आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो वी के तिवारी, ऑस्ट्रेलिया इंडिया बिज़नेस कॉउंसिल के अध्यक्ष श्री जिम वर्गीज ए एम, ऑस्ट्रेलिया इंडिया बिज़नेस कॉउंसिल के एजुकेशन एंड स्किल्स चैप्टर के चेयर डॉ. पार्थ मुखर्जी, ऑस्ट्रेलिया इंडिया बिज़नेस  निदेशक श्री विनोद मीरचंदानी एवं व्यापर व उद्योग जगत के जाने माने व्यक्ति, शिक्षण संस्थान एवं छात्र- छात्राएं वेबिनार से जुड़े।

अपने संबोधन में कोरोना पीड़ितों के लिए संवेदना व्यक्त करते माननीय मंत्री जी ने कहा कि हम सभी कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहे हैं लेकिन कोपरेशन, कोलैबोरेशन, कंसल्टेशन और कम्युनिकेशन के मंत्र को अपना कर हम इस चुनौती पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

दोनों देशों के संबंधों के बारे में बात करते हुए डॉ निशंक ने कहा, “हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारे संबंधों को “हमारे साझा मूल्यों और आकांक्षाओं से उत्पन्न एक स्वाभाविक साझेदारी” के रूप में वर्णित किया है। ग्लोबल विलेज के रूप में जिस प्रकार दुनिया का स्वरुप बदल रहा है, इस परिवेश में ज़रूरी है की हम कौशल विकास के क्षेत्र में भी कोपरेशन के साथ-साथ कोलैबोरेशन को भी पारस्परिक संबंधों को मजबूत करने के लिए उपयोग में लाएं। दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।”

इसके अलावा उन्होनें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में भी विस्तार से सभी को बताते हुए कहा कि यूनेस्को की डीजी ऑड्रे अज़ोले ने इस नीति को न केवल दूरदर्शी बल्कि पूरे शिक्षा क्षेत्र को बदलने में सक्षम बताया। उन्होनें कहा, “कौशल विकास को बढ़ावा देते हुए, हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूल-शिक्षा के स्तर से ही ‘स्किलिंग’, ‘रि-स्किलिंग’ और ‘अप-स्किलिंग’ पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।” कौशल विकास के बारे में बात करते हुए डॉ निशंक ने कहा, “इस शिक्षा नीति के माध्यम से हम कक्षा 6 से ही विद्यार्थियों के लिए वोकेशनल शिक्षा के साथ इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप की व्यवस्था करेंगे। साथ ही छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए, माध्यमिक स्कूलों को आईटीआई, पॉलिटेक्निक और स्थानीय उद्योगों से जोड़ा जाएगा। छात्रों को तकनीकी क्षेत्रों में हुनरमंद बनाने हेतु स्किल लैब भी स्थापित किए जाएंगे।