लोकसभा चुनावों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने कई मुद्दों पर दिए बेबाक जवाब, बताया कैसे रहते हैं इतना रिलैक्स

लोकसभा चुनावों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने कई मुद्दों पर दिए बेबाक जवाब, बताया कैसे रहते हैं इतना रिलैक्स

उमाकांत त्रिपाठी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धुआंधार प्रचार में लगे हुए हैं. दूसरी ओर इंडिया गठबंधन भी शुरूआती सुस्ती के बाद अब मोर्चे पर आक्रामक हो गया है. इस लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के पास मौका है कि वो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सबसे अधिक दिनों तक देश के पीएम रहने का रिकॉर्ड तोड़ सकें. भारतीय जनता पार्टी इसके लिए दिन रात एक किए हुए हैं. पीएम मोदी के मिशन 400 पार के लिए साम-दाम-दंड-भेद सभी लेवल पर काम हो रहा है. हालांकि जिस तरह पहले 2 फेज की वोटिंग से रुझान मिल रहे हैं वह बीजेपी के लिए बहुत आशाजनक नहीं है. BJP 2024 चुनाव में अब तक 432 उम्मीदवार उतार चुकी है. अभी करीब 10 सीटों पर उम्मीदवारों का फैसला होना बाकी है. इस तरह करीब 442 सीटों पर बीजेपी कुल उम्मीदवार उतार सकती है.अगर BJP को 370 सीट हासिल करना है तो इसके लिए जरूरी होगा कुल उम्मीदवारों में करीब 86% कैंडिडेट हर हाल विजयी हों. पर अभी जो सेचुएशन बन रही है उससे तो यही लगता है कि बीजेपी के लिए यह टार्गेट बहुत मुश्किल होता जा रहा है. कुछ मुद्दे और बातें बीजेपी के लिए मुश्किल बनती जा रही हैं, जैसे-

1-आरक्षण खत्म करने वाली है सरकार!
विपक्ष इस बात का नरेटिव सेट करने में सफल हुआ है कि सरकार आरक्षण खत्म करने वाली है. इसके लिए गृहमंत्री अमित शाह का फर्जी वीडियो तक जारी कर दिया गया है. मामला इतना संवेदनशील हो गया है कि तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी के खिलाफ फर्जी वीडियो जारी करने का मामला भी दर्ज हो गया है. गूगल में एक बार आरक्षण लिखिए पता चलेगा कि विपक्ष के नेता किस तरह नरेटिव सेट कर रहे हैं कि यह सरकार वापस आएगी तो आरक्षण को खत्म कर देगी. कहीं आप नेता संजय सिंह, तेजस्वी यादव,डिंपल यादव, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जैसे तमाम नेताओं ने इस दौर में ऐसे बयान दिए हैं जिसका अभिप्राय है कि बीजेपी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में आरक्षण को खत्म करने का मन बना रही है. दूसरी तरफ इस मुद्दे को बढता देख स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह आदि को बार-बार बोलना पड़ रहा है देश में कोई भी सरकार आ जाए आरक्षण नहीं खत्म कर सकती. बीजेपी ये भी उदाहरण देती फिर रही है कि प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने कोर्ट के आदेश के खिलाफ बीजेपी ने इसे कानून बनाया. जबकि इंडिया गठबंधन की कई पार्टियों ने तब विरोध किया था. बीजेपी कर्नाटक का भी उदाहारण दे रही है कि किस तरह सभी मुसलमानों को ओबीसी आरक्षण देने से पिछड़ों का हक मारा गया है.पर बीजेपी जिस तरह इस मुद्दे पर सफाई देने लगी है उससे यही लगता है कि इंडिया गठबंधन बीजेपी को घेरने में सफल रही है.

2-‘संविधान बचाओ’ नारे का मुद्दा बन जाना
अचानक पिछले 15 दिनों में देश में संविधान बचाने की बात दोनों पक्षों से होने लगी है. एक तरफ इंडिया गठबंधन यह नरेटिव सेट कर रहा है कि बीजेपी 400 पार का नारा इसलिए लगा रही है कि देश में बहुत से कानूनों को बदला जा सके.विपक्ष ने बहुत ही संगठित तरीके से इस बात को आम लोगों के बीच फैलाया गया है.सीएसडीएस के सर्वे में भी यह बात सामने आई कि गांव-गांव में यह बात मुद्दा बन रहा है कि ईडी-सीबीआई के जरिए सरकार मनमानी कर रही है. यहां तक कि विपक्ष ने बहुत अनैतिक तरीके से यह बात भी फैलाई है कि अगर बीजेपी सरकार वापस आती है तो देश में दुबारा चुनाव नहीं होंगे. जबकि ऐसी बातें आज के दौर में किसी भी दल के लिए संभव नहीं है. पर सबसे बड़ी बात यह है कि जनता इन बातों से प्रभावित हो रही है. इस मुद्दे पर बीजेपी के नेता भी बार-बार यह कह रहे हैं कि अगर विपक्ष की सरकार बनती है तो अनुसूचित जातियों और पिछड़ों के आरक्षण में मुस्लिम लोगों को भी हिस्सा दे दिया जाएगा.

3-जेडीएस नेता रेवन्ना का सेक्स स्‍कैंडल
कर्नाटक में दूसरे चरण की वोटिंग से 2 दिन पहले देश के पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के पोते सांसद प्रज्जवल रेवन्ना की सैकड़ों सेक्स सीडी वायरल हुई है. इन सीडी के वायरल होते ही रेवन्ना के घर की एक कुक ने रेवन्ना और उनके पिता के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. बताया जा रहा है सैकड़ों महिलाओं के साथ इन वीडियो क्लिप को खुद रेवन्ना ने ही शूट भी किया था.इस घटना के सामने आने के बाद कर्नाटक सरकार ने सांसद प्रज्ज्वल रेवन्ना से जुड़े कथित सेक्स स्कैंडल की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का भी फैसला किया है. बताया जा रहा है कि रेवन्ना जर्मनी भाग गए हैं. चूंकि बीजेपी और जेडीएस कर्नाटक में एक साथ चुनाव लड़ रही हैं इसलिए जाहिर है कि रेवन्ना को लेकर बीजेपी की किरकिरी होनी तय है. हालांकि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता एस प्रकाश ने प्रतिक्रिया में कहा, हमारा, एक पार्टी के तौर पर इस वीडियो से कोई लेना-देना नहीं है. न ही हमने इस मामले में राज्य सरकार द्वारा विशेष जांच दल गठित करने के फैसले पर कोई टिप्पणी की है.पर चाल-चरित्र और चेहरे की बात करने वाली बीजेपी के लिए तो मुश्किल हो गई है. इस बीच बीजेपी के एक नेता ने दावा कर दिया है कि उन्होंने जेडीएस अध्यक्ष को करीब 2976 सेक्स क्लिप की जानकारी वाला पत्र भेजा था. जिसमें स्पष्ट किया गया था कि इसमें देवगौड़ा परिवार के लोग शामिल हैं. सवाल उठता है कि यह सब जानते हुए बीजेपी ने जेडीएस से गठबंधन क्यों किया.

4- AIMIM और BSP नहीं बनीं BJP की B-टीम
बीजेपी के लिए 2014 और 2019 के चुनावों में कभी बीएसपी तो कभी AIMIM के प्रत्याशियों ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाकर बीजेपी को बहुत सी सीटों पर लाभ पहुंचाया. पर इस बार असदुद्दीन ओवैसी और मायावती से इस प्रकार का फेवर मिलता नहीं दिख रहा है.विपक्ष इन दोनों नेताओं पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाता रहा है . पर इस बार ये दोनों फैक्टर गायब हैं. ओवैसी ने पहले कहा था कि वो यूपी मे 34 और बिहार में 40 प्रत्याशी खड़ा करेंगे. पर अब AIMIM का केवल एक प्रत्याशी बिहार के किशनगंज में दिख रहा है. उसी तरह बीएसपी पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वी यूपी तक करीब डेड़ दर्जन उम्मीदवार ऐसे खड़े किए हैं जो सीधे-सीधे बीजेपी को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

5- 400 पार का फीलगुड
बीजेपी का 400 पार का नारा उल्टा पड़ गया है. एक तो इसका संदेश ये गया है कि बीजेपी को इतनी सीटें आती हैं तो यह सत्ता को निरंकुश बना सकती है. दूसरे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और कट्टर समर्थकों में इस नारे के चलते फीलगुड जैसा भाव आ गया है. इसके चलते बहुत से लोग यह मानकर चलने लगे हैं कि बीजेपी जीत रही है. इसी भाव के चलते बहुत से बीजेपी के वोटर्स मतदान केंद्र तक नहीं पहुंचे . उन्हें ये लग रहा है कि बीजेपी जीत रही है उनके एक वोट न देने से क्या होने वाला है.बीजेपी के लिए यह बिल्कुल 2004 वाली बात हो गई है. जब पूरे देश को लग रहा था कि एनडीए की सरकार की वापसी तय है.यहां तक कि उस समय विपक्ष ने भी सपने में नहीं सोचा था कि एनडीए की सरकार नहीं बन रही है. बहुत कुछ वैसी ही सेचुएशन एक बार फिर बन रही है.

6- राजपूतों की नाराजगी
राजपूत बीजेपी के हार्ड कोर वोटर रहे हैं. पर इस बार गुजरात -राजस्थान और यूपी में इस समुदाय में असंतोष देखा जा रहा है.पहले और दूसरे चरण की वोटिंग के दौरान उत्तर प्रदेश में राजपूत बाहुल्य वाले गाजियाबाद और नोएडा सबसे कम वोटिंग पर्सेंटेज शायद इसी का सबसे बड़ा सबूत है. पहले चरण में भी मुजफ्फरनगर आदि में राजपूतों की नाराजगी स्पष्ट देखी गई थी.
राजपूतों को मनाने के लिए यूपी में इसी समुदाय के 2 कद्दावर नेताओं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को पार्टी ने लगाया था पर उसका कोई फायदा मिलते अभी नहीं दिख रहा है.