जिनपिंग के काम न आई ये तरकीब, मोदी-शाह ने नाकाम कर दिया

जिनपिंग के काम न आई ये तरकीब, मोदी-शाह ने नाकाम कर दिया

चीन की कथनी और करनी में कितना अंतर है ये किसी से छिपा नहीं है। अपने रणनीति और कुटनीतिक में भी चीन अक्सर कुंग फू के कुछ तकनीक का इस्तेमाल करता है। हालांकि ये इस्तेमाल किसी को मारने या सेल्फ डिफेंस में नहीं बल्कि रणनीति तौर पर दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है। आप सोच रहे होंगे ये कैसे मुमकिन है, लेकिन ये सच है। और इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, चीन अपने रणनीति को सफल बनाने के लिए सैग डोग जी सी (SHENG DONG JI XI) का इस्तेमाल करता है। ये मार्शल आर्ट का एक सफल फॉर्मेंट है। इसका इस्तेमाल दुश्मन को चकमा देने के लिए किया जाता है। चीन इसी फॉर्मेंट का इस्तेमाल सदियों से करता रहा है। ये तकनीकी रूप से बहुत ही कारगर रणनीति है।

सैग डोग जी सी का अंग्रेजी अनुवाद होता है

THE ACT TO CONFUSE OR MISLEAD THE ADVERSARY NY SAYING ONE THING WHILE DOING ANOTHER

हिंदी में  इसका मतलब होता है। शोर किसी और चीज की। लेकिन करना कुछ और। मतलब दिखाना कुछ करना कुछ। यानी बहलाना, फुसलाना और मौका पड़ने पर हमला भी करना।

इस फॉर्मेंट के 36 तरीके होते हैं लेकिन हम आपको तीन-चार कुछ महत्वपूर्व तरीकों के बारे में बताते हैं। ये तरीके चीनी भाषा में है जिसका हमने आपके लिए हिंदी अनुवाद किया है।

पहला- हमले में हमेशा दूसरे के हथियार का इस्तेमाल करना। यानी दुश्मन के हथियार को खुद के फायदे में लाना। 

दूसरा- वांग को बचाने के लिए यूं का इस्तेमाल करें। यानी कभी भी सीधी लड़ाई नहीं लड़ना। दूश्मन के उस हिस्से पर हमला करे जहां वो मौजूद है ही नहीं है। दुश्मन कही हो हमला कही और किया जाएगा।

तीसरा- आसमान को धोखा देकर समुद्र पार करें- यानी ऐसे हमला करो की कोई आपके असल मकसद को पकड़ न पाए। ऐसा नाटक करें की आपकी रणनीति को समझना नामुमकिन हो या फिर बेहदमुश्किल हो।

चौथा है- तब तक इंतजार करें जबतक दुश्मन खुद को थका ना लें। यानी दुश्मन को गुमराह करते रहे।

अब इन सभी परिस्थिति का आकलन पिछले कुछ वर्षों से चीन के करतूतों पर दें। चीन इसी तरह से अपने मकसद को अंजाम देता आ रहा है। जैसे लड़ाई के लिए अलग तरीके के हथियार का इस्तेमाल करना। कभी भी सीधी लड़ाई नहीं लड़ना। कई पॉइन्ट पर अचानक विवाद खड़ा करना। अचानक से उन इलाकों में पेट्रोलिंग करना जो कभी चीन के अधीन था ही नहीं। कैंपों में सैनिकों की संख्या बढ़ा देना।

ऐसा करके चीन दूसरे देशों को अपने असल मकसद से भटकाता है। और जानबूझकर ऐसे जगहों पर विवाद करता है जहां से उसका कुछ लेना देना नहीं है।  चीन सदियों से ऐसा करता आया है। और इस तकनीक के लिए उसे कोई खास सलाह या प्लान बनाने की भी जरूरत नहीं है। लद्दाख से अरुणाचल तक चीन इसी नीति पर काम करता रहा है।

विवाद के बाद कमांडर लेवल की बैठक होती है। बैठक में कुछ नतीजे निकलते हैं। सैनिकों को वापस बुला लेता हैं। और फिर किसी और पॉइन्ट पर विवाद करता है। चीन ऐसे ही गुमराह करने का काम करता है ताकि असर मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाया जा सकें।

आपको याद होगा तो चीन अक्सर ऐसा काम उस समय करता है जब उसके देश में कोरोना का स्थिति बिगड़ रही होती है। जैसे 2021 जून के महीने में गलवान, या फिर तवांग में 9 दिसंबर की घटना। चीन पर जानकारी रखने वाले अक्सर चीन के इस तकनीक के बारे में बतलाते हैं।