धर्मांतरण मामले के आरोपियों के परिजनों ने लगाया फंसाने का आरोप

धर्मांतरण मामले के आरोपियों के परिजनों ने लगाया फंसाने का आरोप

लगता है यूपी में धर्मांतरण का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इसी कड़ी में लखनऊ एटीएस ने धर्मांतरण कराने के आरोप में मौलाना मोहम्मद उमर गौतम और जहांगीर आलम कासमी को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद उसके परिजन सारे आरोपों को बेबुनियाद बता रहे हैं। उनका कहना है कि न तो किसी को लालच देकर और न ही बहला-फुसलाकर उनका धर्मांतरण करवाया गया है। जिन्होंने अपना धर्म परिवर्तन किया, बकायदा उन लोगों ने कोर्ट में हलफनामा देकर इसकी सूचना दी। 

इसके बाद ही उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन किया। दोनों को जानबूझकर फंसाने के लिए ऐसे आरोप लगाए गए हैं। उधर सोमवार दोपहर को बटला हाउस स्थित मौलाना उमर गौतम के इस्लामिक दावत सेंटर (आईडीसी) पर ताला लटका हुआ मिला। अलबत्ता सुबह 11 बजे उनका दफ्तर खुला जरूर था। 

दिल्ली पुलिस की एक टीम जांच के लिए उनके दफ्तर पहुंची थी। उस समय दफ्तर में कुछ लोग मौजूद भी थे। पुलिस के जाते ही सभी ताला लगाकर वहां से रफूचक्कर हो गए। ज्यादातर स्थानीय लोगों को मौलाना की गिरफ्तारी का पता नहीं था। जिन लोगों को पता भी था वह कुछ भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं थे। 

दबी जुबान में उनका कहना था कि मौलाना की गिरफ्तारी गलत हुई है। वहीं मौलाना उमर के परिवार ने इस मामले में मीडिया के सामने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। मौलाना उमर गौतम के एक करीबी मोहम्मद आरिफ कासमी ने बताया कि मूलरूप से यूपी के फतेहपुर के रहने वाले उमर गौतम का जन्म उनके पैतृक गांव में हिंदू परिवार में हुआ था। 

इनके पिता धनराज सिंह गौतम गांव में ही रहते थे। जामिया मिलिया से उमर गौतम ने इस्लामिक स्टडीज में एमए किया था। इस्लाम की किताबें पढ़ते-पढ़ते वर्ष 1984 में उमर गौतम ने इस्लाम धर्म अपना लिया। इसके बाद उमर जामिया मिलिया इस्लामिया में इस्लामिक स्टडीज विभाग में लेक्चरर हो गए। 

उमर गौतम का परिवार फिलहाल के-47, खलीलउल्लाह मस्जिद के पास, बाटला हाउस में चौथी मंजिल पर रह रहा है। इनके परिवार में पत्नी रजिया बेगम के अलावा बड़ी बेटी फातिमा तकदीस और दो बेटे मोहम्मद आदिल व मो. अब्दुल्लाह हैं। फातिमा जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में लेक्चरर है। 

वहीं दोनों बेटे पढ़ रहे हैं। वर्ष 1994 में उमर ने जामिया से अपनी नौकरी छोड़ दी। वह मरकाजुल मारीफ (मुस्लिम उलेमाओं की संस्था) के डायरेक्टर बन गए। वर्ष 2010 तक उमर ने इस संस्था के साथ जुड़कर काम किया। 2010 में इन्होंने इस्लामिक दावत सेंटर के नाम से अपनी संस्था खोल ली। 

इस संस्था का उद्देश्य इस्लाम धर्म का प्रचार करना था। लगातार वह अपनी इस संस्था के लिए काम कर रहे थे। संस्था ने बाटला हाउस के जोगाबाई में नूह मस्जिद के पास एक दफ्तर भी खोला हुआ है। वहां से सारे काम चलते हैं। वहीं गिरफ्तार किए गए दूसरा आरोपी मौलाना जहांगीर आलम कासमी परिवार के साथ 23/1, जोगाबाई, बाटला हाउस चौक के पास चौथी मंजिल पर रहता है।