अखिलेश जब यूपी के मुख्यमंत्री थे तो वो बुंदेलखंड का मिनी मुख्यमंत्री कहलाता था… जब छात्रसंघ का अध्यक्ष बना तो उस समय के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुला लिया था… एक वक्त यूपी में खनन पट्टे से लेकर बालू सप्लाई तक के कारोबार में उसकी तूती बोलती थी… समाजवादी पार्टी को जब पैसों की जरुरत होती है तो वो मदद करने में सबसे आगे खड़ा रहता है… मुलायम सिंह और अखिलेश यादव दोनों के राज में सत्ता के सबसे करीबी नेताओं में शुमार इस नेता पर योगी सरकार की काली छाया पड़ गई है… तीन महीने से जेल में बंद है और यूपी पुलिस, विजिलेंस और ईडी एक-एक करके सारी काली कमाई का पता लगाने में जुटी है…अखिलेश ने आज अपने इस लाडले विधायक दीप नारायण यादव से झांसी जेल में मुलाकात की…
मीडिया में इसकी खुब चर्चा हुई… लेकिन इससे सीएम योगी की कानों पर जूं तक नहीं रेंगने वाली है… इस मुलाकात से योगी की जीरो टारलेंस वाली नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है… जिसने भी काली कमाई करके अकूत संपत्ति बनाई है वो चाहे कितना भी रसूखदार क्यों ना हो वो योगी के पंजे से नहीं बच सकता है… बुंदेलखंड में समाजवादी पार्टी का बड़ा चेहरा माने जाने वाले दीप नारायण यादव के बारे में जरा जान लेते हैं कि उनमें ऐसी क्या खास बात है कि उनसे मिलने खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव झांसी जेल गए हैं…
कौन है दीप नारायण यादव?
1998 में उत्तर प्रदेश लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष बने
2000 में झांसी समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष बने
2002 में समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के प्रदेश सचिव बने
2003 में लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने
2007 और 2012 में गरौठा सीट से विधायक चुने गए
अब अखिलेश के इस दुलरुआ विधायक की कुंडली एक-एक करके खुलती जा रही है… जरा ये भी जान लीजिए कि आखिर दीप नारायण यादव जेल में क्यों बंद हैं… झांसी पुलिस ने दीप नारायण यादव को 26 सितंबर को गिरफ्तार किया है… आरोप है कि दीप नारायण ने 17 सितंबर को झांसी के सबसे दुर्दांत अपराधी लेखराज सिंह यादव की कोर्ट में पेशी के दौरान साथियों के साथ मिलकर पुलिस हिरासत से छुड़ाकर रिहा करने की कोशिश की… इस मामले में पुलिस ने दीपनारायण सहित कुल 19 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है… तबसे दीप नारायण जेल में ही बंद है…
गिरफ्तार होते ही अलग-अलग एजेंसियों ने दीपनारायण पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है… इसी कड़ी में झांसी के भगवांतपुरा और करगुआजी में दीप नारायण यादव की 130 करोड़ की संपत्ति गैंगस्टर एक्ट में कुर्क की जा चुकी है… कई और संपत्तियों को खंगाला जा रहा है… 30 जुलाई को उत्तर प्रदेश की विजिलेंस टीम ने आय से अधिक संपति का केस दर्ज किया था… बताया जाता है कि विधायक रहते दीपनारायण की आय 14 करोड़ 30 लाख तो वहीं खर्च 37 करोड़ 32 लाख का था…
इन कार्रवाईयों को देखकर यही लगता है कि यूपी में सचमुच वो दिन लद गए जब माफिया और अपराधी राजनीतिक संरक्षण पाकर बच जाते थें… अब काली संपत्ति बनाने वाले किसी भी तुर्रम खान की एक नहीं चलने वाली है… ये योगी की यूपी पुलिस ने साबित किया है… राजनीतिक संरक्षण में पलने-बढ़ने वाले अपराधियों के बुरे दिन आ गए हैं और देर-सबेर हर किसी की बारी आएगी चाहे वो कितनी भी तिकड़म कर ले… योगी के बुलडोजर से बचने वाला नहीं है…