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इस वजह से क्रिकेट का बादशाह है आस्ट्रेलिया, ढाई करोड़ की आबादी वाले देश ने कैसे बना 27 बार चैंपियन

खबर इंडिया की।तीन पूर्व कप्तानों के ये बयान ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट की फिलोसॉफी बताते हैं। खेलो ऐसे जिसमें हारना कोई विकल्प ही न हो। टीम उतारो ऐसी जिससे प्रतिद्वंद्वी खौफ खाएं। और जीतो इस तरह कि उसकी गूंज भविष्य में होने वाले मुकाबलों में भी सुनाई दे।पूरे ऑस्ट्रेलिया में करीब-करीब उतने ही लोग रहते हैं जितने दिल्ली या मुंबई जैसे हमारे एक शहर में। इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की दुनिया का डॉन है।इस समय भारतीय टीम क्रिकेट के डॉन को उसके डैन में चैलेंज करने गई है। दौरे पर तीन वनडे और पांच टी-20 मैच खेले जाने हैं। पहला मैच कल खेला जाएगा। आज पढ़िए क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के डोमिनेंस की पूरी कहानी। इस कहानी को तीन हिस्सों में जानेंगे।

 

 

पार्ट-1: ऑस्ट्रेलिया का डोमिनेंस
27 ICC ट्रॉफी, नंबर-2 के पास इससे आधी यह जानने से पहले कि ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट में इतना डोमिनेंट क्यों है, इसकी थाह लगाना जरूरी है कि आखिर ऑस्ट्रेलिया कितना डोमिनेंट है।ऑस्ट्रेलियन मेंस टीम ने 1100 से ज्यादा मैच जीते मेंस क्रिकेट में सिर्फ ऑस्ट्रेलिया की टीम ही अब तक एक हजार से ज्यादा मैच जीत पाई है। ऑस्ट्रेलिया की टीम जितने मैच हारती है, उससे करीब दोगुना जीतती है।

 

विमेंस क्रिकेट में भी सबसे ज्यादा जीत ऑस्ट्रेलिया के नाम मेंस की तरह विमेंस इंटरनेशनल क्रिकेट में भी ऑस्ट्रेलिया के नाम सबसे ज्यादा जीत है। ऑस्ट्रेलिया की महिलाओं ने अब तक तीनों फॉर्मेट मिलाकर 469 मैच जीते हैं। हार सिर्फ 131 मिली है। यानी ऑस्ट्रेलियन विमेंस टीम हर 1 हार पर 3 मैच जीतती है।

पार्ट-2: ऑस्ट्रेलिया के डोमिनेंस के पीछे 3 वजहें
वजह-1: मेंटालिटी, माइंडसेट और लिगेसी कंगारुओं की विन एट एनी कॉस्ट (किसी भी कीमत पर जीतना) वाला रवैया मैदान पर उनके कॉन्फिडेंस को दिखाता है। डॉन ब्रैडमैन और रिकी पोंटिंग जैसे खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के ‘DNA’ में बस गए हैं। सर डॉन ब्रैडमैन ने टेस्ट क्रिकेट में 99.94 की औसत से 6996 रन बनाए। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में आज भी वे सबसे ऊपर रखे जाते हैं।

2000 के शुरुआती दौर में स्टीव वॉ ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को जुझारू और कभी हार न मानने वाला तेवर दिया। रिकी पोंटिंग क्रिकेट में अटैकिंग अप्रोच लेकर आए। उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 2 वर्ल्ड कप और 2 चैंपियंस ट्रॉफी जीती। टीम ने टेस्ट में लगातार 16 मैच जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया।

वजह-2: स्पॉर्टिंग कल्चर- रग्बी, हॉकी में भी वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया एक स्पॉर्टिंग नेशन है। यहां स्कूलों में क्रिकेट के साथ हॉकी, रग्बी, बास्केटबॉल, स्विमिंग, टेनिस और फुटबॉल जैसे दुनिया के टॉप स्पॉर्ट्स का क्रेज भी रहता है। इन खेलों में एथलीट तैयार करने के लिए देश के हर बड़े शहर में वर्ल्ड क्लास स्टेडियम और मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। जिनमें ट्रेनिंग लेकर एथलीट्स ऑस्ट्रेलिया को कॉमनवेल्थ और ओलिंपिक लेवल पर भी हर बार मेडल दिलाते हैं।

कॉमनवेल्थ- 1001 गोल्ड के साथ नंबर-1 72 देशों के बीच हर 4 साल में एक बार होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में ऑस्ट्रेलिया नंबर-1 टीम है। यह ओलिंपिक के बाद सबसे बड़ा मल्टिनेशन टूर्नामेंट है। इसमें ऑस्ट्रेलिया के नाम 832 सिल्वर और 763 ब्रॉन्ज मिलाकर कुल 2596 मेडल हैं।

ओलिंपिक- 188 गोल्ड, टॉप-10 में शामिल 206 देशों में होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा मल्टिनेशन एथलीट टूर्नामेंट ओलिंपिक गेम्स है। इसमें भी ऑस्ट्रेलिया टॉप-10 टीमों का हिस्सा है। समर ओलिंपिक्स में 182 गोल्ड समेत 600 मेडल जीतकर देश 9वें नंबर पर है। वहीं विंटर ओलिंपिक्स मिलाकर ऑस्ट्रेलिया ने 188 गोल्ड समेत 619 मेडल जीते हैं।

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