हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम आते ही राज्य में सीएम के नाम पर मंथन तेज हो गई है। इस चुनाव में बीजेपी ने 25, कांग्रेस ने 40 और अन्य ने 3 सीटें हासिल की है। इस तरह 68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस ने 40 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया है। इससे पहल राज्य में बीजेपी की सरकार थी। जिसे 5 साल बाद कांग्रेस ने सत्ता से बाहर कर दिया है।
हालांकि बीजेपी ने ये दावा किया था कि हम रिवाज बदल देंगें। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। ऐसा माना जाता है कि हिमाचल प्रदेश की जनता हर 5 साल में सरकार बदल देती है। इसबार भी हिमाचल की जनता ने रिवाज बनाते हुए बीजेपी को सत्ता से बाहर कर कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका दिया।
परिणाम आते ही कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई जिसमें सीएम पद के लिए किसी एक नेता के नाम पर सहमति नहीं बन पाई। बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि हिमाचल प्रदेश के सीएम पद का फैसला आला कमान करेगा। इसलिए अब सबकी नजरें दिल्ली पर टिक गई हैं। क्योंकि सीएम पद का फैसला अब दिल्ली के हाथों में आ गया है। ये जानकारी हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने दी। साथ ही उन्होंने मीडिया में चल रही उन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि हिमाचल के अंदर पार्टी एकजुट नहीं है और सीएम के नाम पर पार्टी बंट गई है। उन्होंने कहा कि पार्टी पूरी तरह से एकजूट है और सीएम के नाम पर फैसला जल्द ही आला कमान करेगा।
बता दें कि सीएम के रेस में सबसे आगे प्रतिभा सिंह को माना जा रहा था। लेकिन राजीव शुक्ला ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। प्रतिभा सिंह पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी है। उनके नाम पर सहमति इसलिए भी नहीं बन पाई कि उनके सीएम बनते ही दो सीटों पर उपचुनाव करवाने पड़ते एक लोकसभा उपचुनाव दूसरा विधानसभा उपचुनाव। कांग्रेस अभी जीत से उत्साहित है। मंडी क्षेत्र में बीजेपी ने 10 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की है ऐसे में कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती इसलिए इनके नाम पर फिलहाल तो सहमति नहीं बन पा रही है।
सीएम पद की रेस में फिलहाल 3 नाम आगे चल रहे हैं उनमें सुखविंदर सिंह सुक्खू, सीपीएल नेता मुकेश अग्निहोत्री और पार्टी नेता राजिंदर राणा का नाम प्रमुख है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि राज्य को सीएम कोई विधायकों के बीच में से ही होगा इसलिए फिलहाल ये तीन नाम रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।