दिल्ली के प्रगति मैदान के भारत मंडपम में अष्टधातु से बनी दुनिया की सबसे ऊंची नटराज प्रतिमा स्थापित

दिल्ली के प्रगति मैदान के भारत मंडपम में अष्टधातु से बनी दुनिया की सबसे ऊंची नटराज प्रतिमा स्थापित

राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान के भारत मंडपम् परिसर में लॉस्ट वैक्स तकनीक द्वारा अष्टधातु से बनी दुनिया की सबसे ऊंची नटराज प्रतिमा स्थापित की गई है। इसकी ऊंचाई 27 फीट, चौड़ाई 21 फीट और वजन लगभग 18 टन है।

नटराज की मूर्ति का निर्माण तमिलनाडु के स्वामीमलाई के पारम्परिक स्थापतियों द्वारा श्री राधाकृष्णण की अगुआई में शिल्प शास्त्र में उल्लिखित सिद्धांतों और मापों का पालन करते हुए पारंपरिक मधुच्छिष्ट विधान (लॉस्ट वैक्स तकनीक) से किया गया है।

इस विधि का चोल काल (9वीं शताब्दी ईस्वी) से नटराज प्रतिमा के निर्माण में पालन किया जाता है। श्री राधाकृष्णण का परिवार चोल काल से यह शिल्प कार्य करता रहा है। वह चोल काल के स्थापतियों के परिवार की 34वीं पीढ़ी के सदस्य हैं।

जी20 की अध्यक्षता के समय, भारत मंडपम् के सामने स्थापित नृत्य के भगवान शिव नटराज की यह प्रतिमा दुनिया में अष्टधातु से बनी सबसे बड़ी नटराज प्रतिमा है। यह ब्रह्मांडीय नृत्य व्याप्त सर्वव्यापी अनंत सत्ता का प्रतीक है। भगवान का यह स्वरूप धर्म, दर्शन, कला, शिल्प और विज्ञान का समन्वय है। आनंद कुमारस्वामी की पुस्तक ‘डांस ऑफ शिवा’ ने परमाणु भौतिकी की दुनिया में विचार की लहर पैदा कर दी।

फ्रिटजॉफ कैप्रा की प्रसिद्ध पुस्तक ‘द ताओ ऑफ फिजिक्स’ में नटराज के रूप में शिव के नृत्य पर एक पूरा अध्याय है। नाचते हुए भगवान का यह प्रतीक प्रतीकात्मकता से भरा है। मूर्तिकार के लिए प्रासंगिक शास्त्र ग्रंथों में निर्धारित समरूपता और अनुपात के विस्तृत नियमों का पालन करना भी एक चुनौती है।