नरेन्द्र मोदी सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के साथ भेदभाव खत्म किया

नरेन्द्र मोदी सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के साथ भेदभाव खत्म किया

प्रधानमंत्री मोदी को जम्मू-कश्मीर में बसे पाकिस्तानी शरणार्थियों को न्याय दिलाने के लिए इतिहास में याद रखा जाएगा, जो नागरिकता और संपत्ति के मालिकाना हक के संवैधानिक अधिकारों से वंचित थे: डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि पिछले 9 वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करते हुए सभी के लिए न्याय सुनिश्चित किया है। उन्होंने पूर्व की सभी केंद्र और जम्मू-कश्मीर की पिछली सरकारों पर गलत निर्णय को प्राथमिकता दिए जाने का भी आरोप लगाया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीमा जागरण मंच के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करते हुए  कहा कि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर में सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछली सरकारों द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों और नौकरियों में 4 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने में किया गया घोर भेदभाव उनके फैसले से स्पष्ट था। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों, खासकर कठुआ और सांबा जिलों को इन सुविधाओं से वंचित किया गया है।

उन्होंने पूछा कि युवाओं के एक वर्ग और दूसरे वर्ग के बीच, सीमा के एक हिस्से और दूसरे हिस्से के बीच, अमानवीय भेदभाव का इससे बुरा उदाहरण क्या हो सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद ही इस विसंगति को ठीक किया गया और अंतर्राष्ट्रीय सीमा के युवाओं को भी समान लाभ दिया गया। डॉ. जितेंद्र सिंह कठुआ-उधमपुर-डोडा का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा सांसद भी हैं।

“जम्मू-कश्मीर में पिछली सरकारों द्वारा किया गया घोर भेदभाव उनके फैसले से स्पष्ट था,  जबकि सीमावर्ती क्षेत्रों के पास रहने वाले लोगों को उच्च शिक्षा संस्थानों और नौकरियों में 4 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ कठुआ और सांबा जिले के पास रहने वाले ज्यादातर लोगों को इससे वंचित किया गया।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को जम्मू-कश्मीर में बसे पाकिस्तानी शरणार्थियों को न्याय दिलाने के लिए इतिहास में याद रखा जाएगा, जो नागरिकता और संपत्ति के मालिकाना हक के संवैधानिक अधिकारों से वंचित थे। जम्मू-कश्मीर में बसे शरणार्थियों को मतदान का अधिकार भी नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा कि पश्चिम-पाक से आए शरणार्थियों को भी प्रति परिवार 5 लाख रुपए मंजूर किए गए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में 8 व्यक्तियों की क्षमता वाले 13,029 व्यक्तिगत बंकरों और 40 व्यक्तियों की क्षमता वाले 1,431 सामुदायिक बंकरों के निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत की है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में अंतिम पंक्ति के आखिरी व्यक्ति तक विकास पहुंचाया गया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जिन सीमावर्ती क्षेत्रों को पहले उपेक्षित किया गया था वे अब विकास के मॉडल बन गए हैं, इसका सबसे अच्छा उदाहरण सीमावर्ती जिला कठुआ है जिसे अब विकसित किया जा रहा है। यह ऐसे अभूतपूर्व विकास का उदाहरण है, जो पहले कभी नहीं देखा गया।

“आज अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अंतिम छोर तक सड़क संपर्क है, जो पिछले 9 वर्षों में किया गया है। उन्होंने कहा कि अपनी सांसद निधि से कठुआ जिले में सीमावर्ती क्षेत्र के घरों के परिसर में 300 से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुलिस में महिलाओं के रोजगार के लिए 2 महिला बटालियन सहित नौ नई बटालियन बनाने की स्वीकृति दी है। 9 नई बटालियनों में से दो विशेष रूप से सीमा क्षेत्र के युवाओं के लिए हैं और अन्य 5 में 60 प्रतिशत सीमा क्षेत्र के युवाओं के लिए आरक्षित हैं।

उन्होंने कहा  कि नए एसपीओ की भर्ती की जा रही है, जिनमें से 50 प्रतिशत सीमावर्ती क्षेत्रों से हैं। सीमा पर गोलाबारी से नष्ट हुई फसलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मुआवजे में शामिल किया गया है और गोलीबारी से पीड़ितों के लिए मुआवज़ा बढ़ाया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने सीमा पर गोलाबारी में जान गंवाने वाले प्रत्येक मवेशी/पशुधन- के लिए 50,000 रुपये के मुआवजे का प्रावधान किया है और इसके लिए मवेशियों की संख्या की कोई सीमा निर्धारित नहीं है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए 5 बुलेटप्रूफ एम्बुलेंस प्रदान की गई हैं।