उमाकांत त्रिपाठी।जिस ‘ऑफर’ को पुणे का एक कॉन्ट्रैक्टर किस्मत का तोहफा समझ बैठा, वो दरअसल ठगों की नई जेनरेशन का ऐसा हथियार निकला, जो इंसान के दिमाग और दिल दोनों को निशाना बनाता है. चाहत, लालच, भरोसा और शर्म- इन सबको जोड़कर बुनी गई इस साइबर ठगी ने न सिर्फ उससे 11 लाख ठग लिए, बल्कि यह सच भी सामने लाया कि तकनीक के इस दौर में अपराध अब सिर्फ जेब नहीं, बल्कि इमोशन्स को भी हैक करने लगा है.
दुनिया डिजिटल हो चली है, और इसी डिजिटल दुनिया में एक नई तरह की ठगी ने जन्म लिया है- न शर्म, न डर, बस लालच, झूठ और टेक्नॉलजी का घातक कॉम्बिनेशन. कहानी है पुणे के एक ठेकेदार की, एक आदमी, जिसकी जिंदगी सोशल मीडिया स्क्रोल करते-करते अचानक एक ऐसे मोड़ पर आ पहुंचती है, जहां सबकुछ बदल जाता है.
एक दिन उसने इंटरनेट पर एक अनोखा ऐड देखा
यानी, कोई ऐसा पुरुष चाहिए, जो मुझे प्रेग्नेंट कर सके, बदले में इनाम मिलेगा. ऐसा ऑफर जिसे देखकर इंसान या तो हंस दे, या जिज्ञासा में क्लिक कर दे. उसने दूसरी राह चुनी. पहले-पहले सबकुछ असली लगा. उसके फोन पर एक वीडियो आया- एक महिला का. चेहरे पर मासूमियत, आवाज में भरोसा, और बातों में दर्द की कहानी. उसने कहा कि वह बच्चा चाहती है, लेकिन समाज और हालात उसे इजाजत नहीं देते. भावनाओं का ऐसा जाल बुना गया कि सामने वाला संदेह करना छोड़ दे.और यहीं से एक्ट 2 शुरू होता है- ठगी का पर्दा उठता है. महिला के मैसेज के बाद कुछ नए नंबरों से कॉल आने लगे. बताया गया कि यह एक सीक्रेट सर्विस है, जिसे प्रेग्नेंट जॉब या प्लेबॉय सर्विस कहा जाता है. अगर वह इस काम के लिए तैयार हो, तो उसे 5 लाख से लेकर 25 लाख तक का भुगतान मिलेगा! बस पहले कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी.
और औपचारिकताएं? वो थीं- पैसा. रजिस्ट्रेशन फीस, मेंबरशिप फीस, Confidentiality शुल्क, मेडिकल जांच शुल्क, प्रोसेसिंग चार्ज. इसी के साथ हर बार नया बहाना तैयार, और हर बार नई रकम की मांग. उधर ठेकेदार के दिमाग में घूम रही थी वही महिला की आवाज, उसके शब्द- बस थोड़ा सहयोग कीजिए, बाकी सब हमारा सिस्टम संभाल लेगा. लोगों को ठगने वाली यह नई ‘क्लास’ सिर्फ पैसे नहीं लेती, बल्कि आदमी की इमोशंस को भी हैक कर लेती है.
कुछ दिनों में उसने करीब 11 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए. यह रकम किसी एक झटके में नहीं गई. भरोसे के जरिए धीरे-धीरे वसूली गई. हर भुगतान के बाद उसे कहा गया, बस ये आखिरी स्टेप है, फिर पैसा आपके अकाउंट में. लेकिन आखिरी स्टेप कभी आया ही नहीं.
इसके बाद सारे नंबर बंद हो गए, लिंक गायब हो गए और वह महिला फिर कभी ऑनलाइन नहीं आई… तब उसे एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार बना है. यह सिर्फ एक ‘लव स्कैम’ नहीं, एक ऑर्गनाइज़्ड इंडस्ट्री है. यह कोई छोटी-मोटी ठगी नहीं, बल्कि पूरे देश में फैला एक साइबर गैंग है. बिहार के नवादा जिले से शुरू हुई यह ‘प्रेग्नेंट जॉब सर्विस’ धीरे-धीरे महाराष्ट्र, यूपी, एमपी, गुजरात, राजस्थान तक फैल चुकी है.
जानिए- कैसे फंसते हैं लोग?
सोशल मीडिया, फेसबुक ग्रुप्स या वॉट्सऐप, टेलीग्राम चैनलों पर अजीबोगरीब, लेकिन आकर्षक विज्ञापन डाले जाते हैं.
महिला की वीडियो भेजी जाती है, जो असल में AI जनरेटेड या किसी अनजान लड़की की चोरी की गई क्लिप होती है.
फिर एक एजेंसी बनकर कुछ लोग संपर्क करते हैं- कस्टमर केयर की तरह बात करते हुए.
PAN, आधार, सेल्फी, बैंक डिटेल्स तक ले लिया जाता है, ताकि सामने वाला यह सोच ले कि सबकुछ ऑफिशियल है.
फर्जी कागज दिए जाते हैं- Baby Birth Agreement, स्टैम्प पेपर पर नकली हस्ताक्षर, यहां तक कि किसी सेलिब्रिटी की नकली सहमति भी.
और आखिर में- पैसा, पैसा, पैसा… जब तक व्यक्ति टूट न जाए.
पुलिस अफसर चंद्रशेखर सावंत बताते हैं कि ऐसी घटनाओं का पैटर्न एक जैसा है. पीड़ित सीधा पुलिस के पास नहीं आता, क्योंकि उसे लगता है कि लोग उसका मजाक उड़ाएंगे, या समाज उसे गलत समझेगा.
नई जेनरेशन के ठग- स्मार्टफोन, स्क्रिप्ट और शर्महीनता
इन ठगों की खासियत यह है कि ये पुरानी चालों का इस्तेमाल नहीं करते. न कोई नकली कॉल-सेंटर की बैकग्राउंड आवाज, न विदेशी लहजा. इनके पास हैं- हाई-स्पीड इंटरनेट, AI से बना वीडियो, डिजिटल पेमेंट के QR कोड, वॉट्सऐप कॉल पर दिलकश बातें, और इंसानी मानसिकता की गहरी समझ. ये ठग सिर्फ पैसा नहीं चुराते, ये इंसान के अंदर की शर्म, डर और लालच तीनों का इस्तेमाल करते हैं.















