बीजेपी से टकराने का अंजाम भुगत रहे राजभर, नहीं मिल रहा किसी भी पार्टी में भाव

बीजेपी से टकराने का अंजाम भुगत रहे राजभर, नहीं मिल रहा किसी भी पार्टी में भाव

साल 2019 से राजभर पहली-पहली बार जीत का स्वाद चखकर यूपी विधानसभा में दाखिल हुए…  लेकिन कहते हैं न जो मेहनत से मिलती है उसी से संतोष करना चाहिए… किसी के रहमोकरम पर मिली सफलता ज्यादा दिन तक नहीं टिकती… राजभर को ऐसा लगने लगा कि बीजेपी को यूपी में पहली बार इतनी प्रचंड जीत दिलाने में उनका ही योददान है इसी भ्रम में वो बीजेपी की योगी सरकार पर ऐसे हमले बोलने लगे मानो उनके भरोसे ही योगी की सरकार चल रही हो फिर क्या था हुआ वही जो होना था चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात पहली बार चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री बने राजभर को सरकार विरोधी बयानों के चलते योगी सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया…

लेकिन इसे उन्होंने ऐसे प्रचारित किया जैसे उन्हे योगी की सरकार से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया बल्कि उन्होंने खुद ही सरकार से इस्तीफा दे दिया… अपने बड़बोलेपन के चलते सरकार से बाहर हुए राजभर ने उसके बाद सपा का दामन थाम लिया है और अखिलेश यादव को दिन में ही मुख्यमंत्री बनाने का ख्वाब दिखाने लगे… राजभर ने तब कहा था ‘नतीजों के दिन 10 बजते बजते ही यूपी में चल संन्यासी मंदिर में और मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है जैसे गाने बजेंगे…. जब नतीजे आए तो राजभर लाख ढ़ूढ़ने के बाद भी नहीं मिली… अपनी बेइज्जती करवाने के बाद उनको मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही थी…

 लेकिन अभी तो और बेइज्जती होनी बाकी थी जो बची-खुची कसर थी वो जून 2022 में यूपी विधान परिषद के लिए हो रहे 13 सीटों के चुनाव में पूरी हो गई… अपने बेटे अरविंद को विधान परिषद भेजने के लिए राजभर अखिलेश की चरण वंदना करते रहे इसके बावजूद अखिलेश यादव ने राजभर के इस मंसूबे पर भी पानी फेर दिया… जिसके बाद ठगे-ठगाए राजभर ने अपनी मन की भड़ास निकालते हुए अखिलेश पर बरसने लगे और कहा अगर सपा ने अपने एक सहयोगी को राज्यसभा भेजा, तो सुभासपा को विधान परिषद भेजना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया…

सपा पर इस टिप्पणी का कोई असर नहीं पड़ा और यहां भी राजभर की ही बेइज्जती हुई… जब उन्होंने भांप लिया कि अब तो अखिलेश पर न किसी दबाब का असर होगा न ही वो उन्हें भाव देंगे तो उसके तुरंत बाद ही राजभर ने मायावती की तारीफ करनी शुरु कर दी… लेकिन यहां तो राजभर के लिए पहले से ही राजभर के लिए दरवाजे बंद थे… बीएसपी के साथ गठबंधन करने की अटकलों पर बीएसपी के नेशनल को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने बड़ा झटका दे दिया… और बिना नाम लिए राजभर की मंशा पर पानी फेर दिया… इसी के साथ साफ कर दिया है कि बीएसपी फिलहाल किसी के साथ गठबंधन पर विचार नहीं कर रही है… मायावती की पार्टी की ओर से फटकारे जाने के बाद राजभर ने एक बार फिर से योगी की तारीफ करनी शुरु कर दी…

राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू को वोट देने के ऐलान के बाद राजभर को योगी सरकार ने वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की… जिसके बाद माना जाने लगा कि बीजेपी राजभर को रिटर्न गिफ्ट दे सकती है लेकिन मन में गिफ्ट की लालसा लिए राजभर को यहां भी खाली हाथ ही रहना पड़ा… और 11 अगस्त को 2 सीटों पर हो रहे विधानपरिषद के चुनाव के लिए राजभर को बेटे को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया… यूपी में सभी हथकंडे अपना चुके राजभर इतने पर ही नहीं रुके और बेइज्जती पर बेइज्जती होने के बाद भी वो लखनऊ से पटना तक की सावधान यात्रा निकालने में जुट गए…

पूरे यात्रा में राजभर ने मोदी और योगी की जमकर तारीफ की और नीतीश को निशाने पर लेकर बीजेपी आलाकमान को संदेश देने लगे कि नीतीश के साथ लड़ाई में वो बीजेपी के साथ खड़े हैं… बात तब भी नहीं जिसके बाद राजभर यूपी बीजेपी के बड़े नेताओं के घर के चक्कर काटने लगे… जिनमें ब्रजेश पाठक और दयाशंकर सिंह प्रमुख नाम हैं हालांकि इन मुलाकातों का ओपी राजभर को कोई फायदा नहीं हुआ और वो जो चाहते थें बीजेपी ने ऐसा कुछ नहीं किया और ओपी राजभर हाथ ही मलते रह गए… इस दौरान राजभर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तारीफ भी करते रहें… लेकिन कांग्रेस की तरफ से ओपी राजभर को कोई खास तवज्जो नहीं मिली…

18 जनवरी को लगभग सभी बीजेपी विरोधी बडे दलों के नेता तेलंगाना के खम्मम में केसीआर की ओर से आयोजित रैली में मोदी को 2024 में हटाने की योजना बना रहे थें तभी उत्तर प्रदेश में बैठे ओपी राजभर को ये दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ कि 2024 में मोदी को हटाने की मुहिम कांग्रेस के बिना साथ आए पूरी नहीं हो सकती… राजभर के इस बयान से साफ हो गया कि वो फिर से बीजेपी को हटाने वाली गठबंधन में शामिल होने की लालसा लिए बैठे हैं… तभी तो जिस गठबंधन में अखिलेश भी शामिल हो सकते हैं उसमें भी राजभर को शामिल होने से कोई गुरेज नहीं है…