IPC-CrPC और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीनों नए बिल मंजूर, गृह मंत्रालय की संसदीय कमेटी ने किया स्वीकार

IPC-CrPC और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीनों नए बिल मंजूर, गृह मंत्रालय की संसदीय कमेटी ने किया स्वीकार

उमाकांत त्रिपाठी। भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन नए विधेयकों को गृह मंत्रालय की संसदीय कमेटी में स्वीकार कर लिए हैं। इन बिलों के मंजूर होने के साथ ही ही विपक्षी सदस्यों ने अपने असहमति वाले नोट भी जमा कर दिए हैं। गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति की 27 अक्टूबर की बैठक में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीनों विधेयकों के मसौदे पर मुहर नहीं लग सकी थी। कुछ विपक्षी सदस्यों ने ड्राफ्ट पढ़ने के लिए और समय मांगा था। कमेटी ने उनकी मांग मान ली थी। जिसके बाद तीनों बिल मंजूर कर लिए गए।

11 अगस्त को गृहमंत्री शाह ने लोकसभा में पेश किए थे बिल

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में 163 साल पुराने 3 मूलभूत कानूनों में बदलाव के बिल लोकसभा में पेश किए थे। सबसे बड़ा बदलाव राजद्रोह कानून को लेकर है, जिसे नए स्वरूप में लाया जाएगा। तीनों बिल जांच के लिए संसदीय कमेटी के पास भेजे गए हैं। इसके बाद ये लोकसभा और राज्यसभा में पास किए जाएंगे। आपको बता दें कि चार साल की चर्चा और इस दौरान 158 बैठकों के बाद सरकार ने बिल को पेश किया है। इससे पहले कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम समेत विपक्षी सदस्यों ने कमेटी के अध्यक्ष बृज लाल से ड्राफ्ट पर फैसला लेने के लिए दिए गए समय को तीन महीने बढ़ाने का आग्रह किया था। सदस्यों ने कहा था कि चुनावी लाभ के लिए इन विधेयकों को उछालना सही नहीं है।

क्या है ये 3 विधेयक जिससे होगा बड़ा बदलाव

इन तीन विधेयकों के लागू होने के साथ ही मोदी सरकार की देश के लिए एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ जाएगी। इसके तहत कई धाराएं और प्रावधान अब बदल जाएंगे। IPC में 511 धाराएं हैं, अब 356 बचेंगी। 175 धाराएं बदलेंगी। 8 नई जोड़ी जाएंगी, 22 धाराएं खत्म होंगी। इसमें सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम 3 साल में देना होगा। आपको बता दें कि देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं। ब्रिटिश काल के शब्द राजद्रोह को हटाकर देशद्रोह शब्द आएगा। प्रावधान और कड़े किए। अब धारा 150 के तहत राष्ट्र के खिलाफ कोई भी कृत्य किया हो तो 7 साल से उम्रकैद तक सजा संभव होगी। देश की एकता एवं संप्रभुता को खतरा पहुंचाना अपराध होगा। पहली बार छोटे-मोटे अपराधों के लिए 24 घंटे की सजा या एक हजार रु. जुर्माना या सामुदायिक सेवा करने की सजा हो सकती है।