राज्यपाल कलराज मिश्र ने 22 मंत्रियों को दिलाई शपथ,साथ ही भजनलाल सरकार मंत्रिमंडल का हुआ विस्तार।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने 22 मंत्रियों को दिलाई शपथ,साथ ही भजनलाल सरकार मंत्रिमंडल का  हुआ विस्तार।

उमाकांत त्रिपाठी।
भाजपा ने श्रीकरणुपर सीट से प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बनाया है। यह राजस्थान में पहला मामला है, जब चलते चुनाव के बीच प्रत्याशी को मंत्री बनाया गया है। श्रीकरणपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण चुनाव कैंसिल हो गए थे, वहां 5 जनवरी को वोटिंग है। नियमानुसार कोई भी वयस्क भारतीय नागरिक बिना विधायक बने छह महीने तक मंत्री बना रह सकता है।
सीएम भजनलाल शर्मा और राज्यपाल कलराज मिश्र के साथ मंत्रिमंडल के सदस्य।
सीएम भजनलाल शर्मा और राज्यपाल कलराज मिश्र के साथ मंत्रिमंडल के सदस्य।
सांसद पद छोड़कर विधायक बने किरोड़ीलाल मीणा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और दो डिप्टी सीएम को मिलाकर अब सरकार के मंत्रियों की संख्या 25 हो गई है। राजस्थान में कोटे के हिसाब से 30 मंत्री बन सकते हैं, अब 5 मंत्रियों की जगह खाली है। जिन 22 विधायकों ने शपथ ली है, उनमें 17 पहली बार मंत्री बने हैं। इसके साथ ही डिप्टी सीएम दीया कुमारी सहित भजनलाल सरकार में 2 महिला विधायकों को ही जगह मिली है।

इन्होंने ली कैबिनेट मंत्री की शपथ
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा सवाईमाधोपुर, गजेंद्र सिंह खींवसर लोहावट (जोधपुर), राज्यवर्धन सिंह राठौड़ झोटवाड़ा (जयपुर), बाबूलाल खराड़ी झाड़ोल (उदयपुर)

1. किरोड़ीलाल मीणा : विपक्ष में रहते सबसे मुखर रहे, एसटी का मुखर चेहरा
क्यों मंत्री बनाया : राज्यसभा सांसद रहते हुए राजस्थान में कांग्रेस राज के दौरान सबसे मुखर रहे। पेपर लीक से लेकर हर मुद्दे पर सड़क​ पर आंदोलन किए, संसद से लेकर हर मोर्चे पर घेरा। एसटी समुदाय के मुखर चेहरे के तौर पर उनकी पहचान है। बेबाकी से बोलने और मुद्दे उठाने के लिए जाने जाते हैं। संघ से जुड़े रहे हैं, इमरजेंसी के दौरान जेल गए। पूर्वी राजस्थान के सियासी समीकरण साधे गए हैं। सबसे पहले शपथ दिलाकर किरोड़ीलाल मीणा को सबसे सीनियर मंत्री के तौर पर जगह दी गई है।

2. गजेंद्र सिंह खींवसर : वसुंधरा राजे खेमे के गजेंद्र सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाकर एकजुटता का मैसेज
क्यों मंत्री बनाया : गजेंद्र सिंह खींवसर वसुंधरा राजे की दोनों सरकारों में मंत्री रहे। पिछली वसुंधरा सरकार में वे कैबिनेट मंत्री थे, उन्हें दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बनाया है। गजेंद्र खींवसर को वसुंधरा राजे का नजदीकी माना जाता है। मारवाड़ के सियासी समीकरणों को साधने के अलावा उन्हें मंत्री बनाकर पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को भी साधा गया है। इससे एकजुटता का मैसेज दिया गया है। खींवसर की छवि पार्टी के सौम्य राजपूत चेहरे के तौर पर रही है। दो बार मंत्री रहने के कारण प्रशासनिक अनुभव है।

3. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ : ​​​​​​राजधानी जयपुर से चौथे नेता, जो कैबिनेट में
क्यों मंत्री बनाया : राज्यवर्धन सिंह राठौड़ केंद्र में मंत्री रहे हैं। दो बार सांसद रहे। पहली बार विधायक बने और कैबिनेट मंत्री बनाकर दो मैसेज दिए गए हैं। पूर्व फौजी अफसर और ओलंपिक चैंपियन को कैबिनेट मंत्री बनाकर और जातीय समीकरणों के हिसाब से भी राजपूत वर्ग से एक उभरते चेहरे को महत्व देने का मैसेज दिया है। उन्हें हाईकमान का नजदीकी माना जाता है। राजधानी से वे चौथे नेता हैं जो कैबिनेट में हैं। सीएम भजनलाल, डिप्टी सीएम दिया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा के बाद वे चौथे चेहरे हैं जो जयपुर से हैं।
4. बाबूलाल खराड़ी : कच्चे घर में रहने वाले बाबूलाल खराड़ी को मंत्री बनाकर नया मैसेज
क्यों मंत्री बनाया : झाड़ोल से विधायक बाबूलाल खराड़ी को मंत्री बनाकर आदिवासी इलाके के लोगों को एक मैसेज दिया गया है कि उनके जैसे ही आम आदमी को मंत्री बनाया है। खराड़ी अब भी कच्चे घर में रहते हैं। पिछली बार उन्हें राजस्थान विधानसभा का सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना गया था।
5. मदन दिलावर :मुखर दलित हिंदुवादी चेहरा, आरएसएस की पसंद
क्यों मंत्री बनाया : मदन दिलावर की गिनती बीजेपी में मुखर हिंदुवादी चेहरे की रही है। बेबाक और उग्र रूप से बोलने के लिए जाने जाते हैं। पार्टी का प्रमुख दलित चेहरा है। भैरासिंह शेखावत सरकार और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रह चुके हैं
6. जोगाराम पटेल : पटेल वोट बैंक को साधने का प्रयास
क्यों मंत्री बनाया : मारवाड़ में पटेल समाज के मुखर और पढ़े लिखे चेहरे के तौर पर मौका दिया गया है। आंजना, पटेल बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है। हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील रहे हैं।
7. सुरेश सिंह रावत : कोर वोट बैंक को मैसेज
क्यों मंत्री बनाया : अजमेर, राजसमंद के मगरा क्षेत्र में रावत समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है। इस समाज से मंत्री बनाकर कोर वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है। सुरेश सिंह रावत वसुंधरा सरकार में ससंदीय सचिव रह चुके हैं, पहली बार मंत्री बने हैं।
8. अविनाश गहलोत : बीजेपी के गढ़ में मूल वोटर्स को साधा
क्यों मंत्री बनाया : अविनाश गहलोत सैनी समाज से पार्टी का प्रमुख चेहरा है। पाली जिला बीजेपी का गढ़ माना जाता है। सैनी समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है
9. जोराराम कुमावत : कुमावत समाज को मैसेज
क्यों मंत्री बनाया : कुमावत समाज परंपरागत रूप से बीजेपी का वोटर रहा है। वसुंधरा राजे सरकार में कुमावत समाज से एक मंत्री रहा है। इस बार भी कुमावत समाज से जोराराम कुमावत को कैबिनेअ मंत्री बनाकर मैसेज दिया है। पाली के सुमेरपुर से दूसरी बार के विधायक कुमावत संघ से जुड़े रहे है।
10. हेमंत मीणा : आदिवासी बेल्ट को साधने का प्रयास, पहले पिता अब बेटा मंत्री
क्यों मंत्री बनाया : आदिवासी बेल्ट में बीजेपी का प्रदर्शन इस बार बीएपी के प्रभाव की वजह से उतना अच्छा नहीं रहा। प्रतापगढ़ से बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा के बेटे हेमंत मीणा के जरिए क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधे गए हैं।