उमाकांत त्रिपाठी।इन दिनों लोग सेहत को लेकर ज्यादा जागरूक हो रहे हैं, खासकर इम्युनिटी बढ़ाने वाले फूड्स और अनाज के मामले में किसान अब ऐसी फसल की तलाश में हैं, जो उन्हें अच्छी आमदनी के साथ-साथ परिवार के पोषण और स्वास्थ्य में भी मदद करे. इसी क्रम में मोटे अनाज (Millets) की खेती एक बेहतर विकल्प बनकर उभर रही है.
जानिए- मोटे अनाज की खेती का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोटे अनाज का जिक्र किया था. उन्होंने इसे ‘शक्तिवर्धक अनाज’ कहा और इसके फायदों पर विस्तार से बात की. किसानों के लिए यह अनाज दोहरा लाभ दे सकता है. यह सेहत के लिए मजबूत पोषण और बाजार में अच्छी कीमत देती है.
इम्युनिटी पावरहाउस है कौनी
कौनी को इम्युनिटी पावर का पावरहाउस माना जाता है. इसमें फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं. इस फसल को जुलाई से अगस्त तक बोया जा सकता है. इसे मध्यम उपजाऊ जमीन और थोड़ी नमी वाले वातावरण की जरूरत होती है. अच्छी बात यह है कि इसे अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती और यह कम पानी में भी अच्छी फसल देती है. इसका जीवनचक्र 80 से 85 दिनों का होता है, यानी तीन महीने से भी कम समय में कटाई हो जाती है.
वैज्ञानिकों का प्रमोशन
समस्तीपुर के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पुसा, इस फसल को प्रमोट करने के लिए कौनी-वन (Rajendra Kauni-1) नामक वैरायटी पर काम कर रहा है. यह वैरायटी जल्दी तैयार होती है, पोषक तत्वों से भरपूर है और बाजार में इसकी मांग बहुत अधिक है. बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भी इसकी मांग है.
मुनाफा और बाजार मूल्य
मौजूदा बाजार में कौनी की कीमत ₹40 से ₹60 प्रति किलो तक है. प्रति हेक्टेयर जमीन से औसतन 30 से 35 क्विंटल तक उपज मिलती है, यानी न्यूनतम 20–25 हजार रुपए की आमदनी हो सकती है. अगर इसे ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जाए, तो बाजार में इसका मूल्य और बढ़ जाता है. कौनी आने वाले समय का फ्यूचर फूड माना जा रहा है.
जानें स्वास्थ्य लाभ
कौनी डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, मोटापा और पाचन से जुड़ी समस्याओं में बेहद फायदेमंद होता है. आयुर्वेद विशेषज्ञों, डॉक्टरों और न्यूट्रिशनिस्ट्स भी अब मिलेट्स को डायट में शामिल करने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में यह फसल खेती करने वाले किसानों के लिए स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ का बेहतरीन जरिया बन सकती है.















