GDP में 13.5% उछाल के क्या हैं मायने?

GDP में 13.5% उछाल के क्या हैं मायने?

फ़रवरी, मई, अगस्त और नवंबर की आख़िरी तारीख़ महत्वपूर्ण होती है, भारत सरकार इस दिन पिछली तिमाही की GDP के आँकड़े जारी करती है. ये आँकड़े क़रीब दो महीने की देरी से आते हैं. जून में ख़त्म तिमाही के आँकड़े 31 अगस्त को आएँ. सितंबर में ख़त्म होने वाली तिमाही के आँकड़े नवंबर में आएँगे. 

इस बार आँकड़े आए कि पहली तिमाही में 13.5% की दर से GDP बढ़ी है. हिसाब किताब में हम पहले बात कर चुके हैं कि GDP मोटे तौर पर तीन आँकड़े का जोड़ है. हम और आपके खर्चे, सरकार चलाने के खर्चे और जो पैसे नए प्रोजेक्ट में कंपनियाँ या सरकार लगाती है. 

2020 की पहली तिमाही में देश में लॉकडाउन था. आर्थिक गतिविधि ठप थी . 2021 में कोरोनावायरस की डेल्टा लहर की मार पड़ी. पूरे देश में लॉकडाउन नहीं होने के कारण आर्थिक गतिविधि होती रहीं. 2021 में GDP 20% बढ़ गई. अब 2022 की ऐसी पहली तिमाही थी जिसमें कोई संकट नहीं था. 

अब सवाल है कि ग्रोथ अच्छी है या बुरी? इस पर जितने मुँह उतनी बातें हो रही है. बाक़ी दुनिया के मुक़ाबले देखें तो ये ग्रोथ बहुत शानदार है. चीन इस तिमाही में मात्र 0.4% बढ़ा है जबकि G 20 के देशों की कुल GDP ग्रोथ निगेटिव है. ये 20 देश मिलकर दुनिया की GDP का 75% से ज़्यादा GDP देते हैं. ऐसे में भारत उजला है, लेकिन अनुमान और ज़्यादा ग्रोथ का था. इसी कारण ये आँकड़े आने  वाले ख़तरे की घंटी बजा रहा हैं.

हमारी ग्रोथ ज़्यादा लग रही हैं क्योंकि हम दो साल काफ़ी नीचे चले गए थे. 2019 सामान्य साल था उसकी तुलना में हम 3.8% ही बढ़े हैं. यूँ कहें कि जहां हम 2020 में हो सकते थे वहाँ 2022 में पहुँचे हैं. कोरोनावायरस और रुस यूक्रेन युद्ध ने हमें दो साल पीछे धकेल दिया है.GDP के ये आँकड़े देखिए 

Q1 2019 ₹35.49 लाख करोड़ 

Q1 2021 ₹32.46 लाख करोड़

Q1 2022 ₹36.85 लाख करोड़

ख़तरे की घंटी बजने का एक और कारण है बाक़ी साल में ग्रोथ घटने का अनुमान पहले से है. रिज़र्व बैंक का अनुमान था कि GDP 16.5% बढ़ेगी लेकिन बढ़ी 13.5%. बाक़ी साल क्रमशः तिमाही में 6.2%,4.1% और 4% का अनुमान है. RBI ने मान रखा है कि बाक़ी साल में ग्रोथ घटेगी. पहली तिमाही में ही अनुमान से नीचे है. इस कारण डर है कि कहीं और नीचे नहीं चले जाएँ . महंगाई भी मार्च तक कम होने का अनुमान है यानी लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है. आमदनी नहीं बढ़ेगी, ख़र्चे बढ़ेंगे.

बिज़नेस के बड़े पत्रकार टीएन नैनन ने लिखा है कि 2019 -2024 के पाँच साल में ग्रोथ 3.6% रहने का अनुमान है. 1970 के बाद से किसी पाँच साल में इतनी कम ग्रोथ नहीं हुई है. आपने ये भी पढ़ा ही होगा कि UK को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गईं हैं, मगर आपको कोई नहीं बता रहा है कि प्रति व्यक्ति आय में हमारी रैंक दुनिया में 128 है, दूसरे पैमाने पर रैंक 142 है. आबादी में हम नंबर वन हो रहे हैं. आमदनी में पहले 100 में भी नहीं है. अब सोचिए 13.5% की आय अच्छी है या बुरी ?