उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज यहां स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया। यह सम्मेलन सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस, 2022 के अवसर पर आयोजित किया गया था। इस आयोजन की थीम थी “बिल्ड द वर्ल्ड वी वांट: ए हेल्दी फ्यूचर फॉर ऑल”। झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, सिक्किम सरकार के स्वास्थ्य मंत्री एम के शर्मा, उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत और सिक्किम सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सपन राजन भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
कोविड महामारी के प्रबंधन में भारत की सफलता को रेखांकित करते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि भारत ने कोविड प्रबंधन और टीकाकरण के लिए विश्व को एक मॉडल प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि “जहां विश्वभर में लोगों ने सरकारों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का विरोध किया, भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, 140 करोड़ लोगों द्वारा कोविड दिशा-निर्देशों और नियमों का उत्साहपूर्वक पालन किया गया”। उन्होंने कहा कि भारत ने महामारी का अपने स्वास्थ्य ढांचे में तेज गति से सुधार करने के अवसर के रूप में उपयोग किया। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि भारत ने गुणवत्तापूर्ण टीके बनाए हैं जिनकी प्रभावोत्पादकता पूरी दुनिया में साबित हुई है।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछले 8 वर्षों में उल्लेखनीय रूपांतरण हुआ है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि “2014 में जहां केवल 6 एम्स थे, वर्तमान में 22 एम्स हैं जो या तो प्रचालनगत हैं या देश भर में प्रचालन आरंभ करने के कगार पर हैं”। उन्होंने आयुष्मान भारत, पोषण अभियान और मिशन इन्द्रधनुष जैसी प्रमुख योजनाओं द्वारा स्वास्थ्य प्रदान किए जाने के महत्वपूर्ण प्रभाव पर भी जोर दिया।
उत्तर प्रदेश में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) के कामकाज को और सुदृढ़ करने पर विस्तार से चर्चा करते हुए, आदित्यनाथ ने कहा कि “हर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में नियमित आधार पर टेली-परामर्श के साथ-साथ दवाएं भी उपलब्ध होंगी। इसके लिए सभी एचडब्ल्यूसी में हेल्थ एटीएम लगाए जाएंगे। उन्होंने स्वास्थ्य चाहने वाले व्यवहार और स्वास्थ्य देखभाल परिणामों को प्राप्त करने के लिए अंतर-मंत्रालयी सहयोग के बारे में जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
डॉ. मांडविया ने कहा कि दो दिवसीय विचार-मंथन सत्र भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पुनर्विचार और सुधार के लिए अतिरिक्त बढ़ावा देने में योगदान देगा। उन्होंने कहा, “वाराणसी में चिंतन और मनन के इन दो दिनों ने हमें नीतिगत सुधारों के माध्यम से एचडब्ल्यूसी को मजबूत करने के लिए विशाल ज्ञान से समृद्ध किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे समुदायों को स्वास्थ्य सेवाओं के अंतिम मील वितरण के लिए मजबूत केंद्र के रूप में कार्य करें।” एचडब्ल्यूसी की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि एचडब्ल्यूसी स्वास्थ्य और कल्याण के मंदिरों की तरह हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) और आशा कार्यकर्ताओं जैसे कार्यान्वयन स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों के काम की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि “सीएचओ अग्रणी कड़ी हैं जो अत्याधुनिक रूप से काम कर रहे हैं और जमीनी स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। वे फील्ड की स्वास्थ्य सेना हैं। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज लक्ष्यों को अर्जित करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, गोवा, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम और तेलंगाना को लक्ष्य के मुकाबले के विरुद्ध एचडब्ल्यूसी का शीघ्र प्रचालन आरंभ करने के लिए सम्मानित किया। उन्होंने एबी-एचडब्ल्यूसी में कल्याण गतिविधियों के लिए, परिचालन दिशानिर्देश, राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (टेली-मानस) पर परिचालन दिशा-निर्देश और तीव्र सरल बीमारी (एक्यूट सिम्पल इलनैस) के प्रबंधन पर सीएचओ के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल भी जारी किया और इस अवसर पर सशक्त पोर्टल लॉन्च किया।
स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन 2022 के दूसरे दिन प्रख्यात विचारकों के साथ रोग उन्मूलन और पीएमजेएवाई की प्रगति पर पैनल चर्चा हुई। इन सत्रों में नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों, प्रबंधकीय कार्यों, सामुदायिक संपर्क और आयुष समेकन और आईटी पहलों पर मुद्दों, चुनौतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा दी गई प्रस्तुतियां भी शामिल थीं। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड के लगभग 900 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी और चिकित्सा अधिकारी सम्मिलित हुए।