उमाकांत त्रिपाठी।राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड में शीतकालीन पर्यटन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उद्देश्य यह कि सर्दियों में भी पर्वतीय क्षेत्र पर्यटकों से गुलजार रहें। इसके लिए तमाम प्रयास हुए। यद्यपि शीतकालीन पर्यटन स्थलों को सही प्रकार से चिह्नित न करने और उनका व्यापक प्रचार-प्रसार न होने के कारण इसमें सफलता नहीं मिल पाई।अब पीएम मोदी के दौरे ने इसकी राह दिखाई है। प्रदेश सरकार यदि नए क्षेत्रों को चिह्नित करते हुए वहां आधारभूत ढांचा विकसित करती है तो निश्चित रूप से प्रदेश में पूरे वर्ष पर्यटन के द्वार खुल जाएंगे।
उत्तराखंड पर प्रकृति ने भरपूर प्यार लुटाया है। यहां की नैसर्गिक सुंदरता को जो एक बार देख लेता है, उसका मन यहां आने को बार-बार करता है। ऐसा नहीं है कि केवल ग्रीष्मकाल में ही यहां आया जा सकता है। शीतकाल भी पर्यटकों को काफी कुछ नया दिख सकता है।
अभी तक शीतकाल के दौरान पर्यटक मसूरी, नैनीताल, औली, रानीखेत, मुनस्यारी व चकराता जैसे स्थानों पर आते हैं। इसका एक मुख्य कारण बर्फवारी देखना होता है। वैसे, यहां कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इनमें चारधाम के शीतकालीन गद्दीस्थलों के साथ ही कई शक्तिपीठ भी हैं, जहां पर्यटक और श्रद्धालु जा सकते हैं।
पीएम मोदी संग सीएम धामी
इनके अलावा कौसानी, बिनसर, मुक्तेश्वर, भीमताल, नई टिहरी, हर्षिल आदि कई ऐसे क्षेत्र हैं जो शीतकालीन पर्यटन को नए आयाम दे सकते हैं। प्रदेश सरकार यहां एस्ट्रो टूरिज्म पर जोर दे रही है। इस तरह का पर्यटन विदेशों में काफी लोकप्रिय हैं। निश्चित रूप से इसकी यहां काफी संभावनाएं हैं। प्रदेश में नए टूरिज्म सर्किट बनाए जाने की बात कही जा रही है।















