जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और नियम जानिए, आज से हो रही है चैत्र नवरात्रि की शुरुआत

जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और नियम जानिए, आज से हो रही है चैत्र नवरात्रि की शुरुआत

आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है… बड़े धूमधाम से माता की पूजा की तैयारियां की गई है सभी भक्तगण अपने मां की अराधना कर रहे हैं… चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर घर-घर में घटस्थापना की जाती है. इसके बाद पूरे नौ दिन तक देवी के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है. नवरात्रि में कलश स्थापित किए बगैर कभी देवी मां की पूजा नहीं करनी चाहिए.

आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर घर-घर में घटस्थापना की जाती है. इसके बाद पूरे नौ दिन तक देवी के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है. नवरात्रि में जो इंसान देवी मां की सच्चे मन से आराधना करता है, उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. नवरात्रि में कलश स्थापित किए बगैर कभी देवी मां की पूजा नहीं करनी चाहिए. आइए आपको कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, विधि और नियम बताते हैं.

घटस्थापना का मुहूर्त

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च यानी आज सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. यानी घटस्थापना के लिए आपको कुल 01 घंटा 09 मिनट की अवधि मिलेगी. कलश स्थापित करने के लिए यह अबूझ मुहूर्त ही उत्तम रहेगा.

कलश स्थापना की विधि

इसके बाद कलश में आम के पत्ते लगाकर उस पर नारियल रखें और फिर इस कलश को दुर्गा की प्रतिमा की दाईं ओर स्थापित करें. कलश को स्थापित करने के बाद आप देवी मां की उपासना कर सकते हैं.

घटस्थापना या कलश स्थापना के दौरान कुछ विशेष नियमों को ध्यान में रखना चाहिए. सबसे पहले देवी मां की चौकी सजाने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा का स्थान चुनें. इस स्थान को साफ कर लें और गंगाजल से शुद्ध करें. एक लकड़ी की चौकी रखकर उस पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर देवी मां की मूर्ति की स्थापना करें. इसके बाद प्रथम पूज्य गणेश जी का ध्यान करें और कलश स्थापना करें.

अब कलश स्थापना या घटस्थापना के लिए नारियल में चुनरी लपेट दें और कलश के मुख पर मौली बांधें. कलश में जल भरकर उसमें एक लौंग का जोड़ा, सुपारी हल्दी की गांठ, दूर्वा और रुपए का सिक्का डालें.

घटस्थापना के वक्त न करें ये गलतियां

1. घटस्थापना के वक्त कलश का मुंह खुला ना रखें. उसे किसी चीज से ढककर रखें. अगर कलश ढक्कन से ढका है तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रख दें.

2. कलश स्थापना गलत दिशा में करने से बचें. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं की दिशा होती है और इसी दिशा में देवी के नाम पर कलश को स्थापित किया जाता है.

3. कलश के पास ही माता की अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है. इसे यूं ही कहीं दाएं-बाएं स्थापित ना करें. इसे हमेशा आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें. पूजा करते समय अपना चेहरा भी पूर्व या उत्तर दिशा में रखें.

4. देवी की चौकी या पूजा स्थल के पास गंदगी ना होने दें. इसमें साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है. पूजा स्थल के सामने थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए, जहां बैठकर ध्यान व पाठ आदि किया जा सके.

5. घटस्थापना स्थल के आस-पास शौचालय या बाथरूम नहीं होना चाहिए. पूजा स्थल के ऊपर यदि कोई आलमारी या खांचा बना हो तो उसे साफ-सुथरा रखें.