उमाकांत त्रिपाठी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नवनिर्वाचित सांसदों के एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि- दुनिया के सामने अपने देश के लोकतंत्र की प्रतिष्ठा बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं की वैश्विक प्रतिष्ठा पर बोलते हुए उन्होंने- सांसदों से सदन के अंदर अपने आचरण में संयम बरतने की अपील की।
निर्वाचित सांसदों को संबोधित करते हुए बिरला ने कहा- “दुनिया के सामने अपने देश के लोकतंत्र की प्रतिष्ठा बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। चाहे जो भी घटना हो, कुछ ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में आपको सावधान रहने की जरूरत है। आपको सदन में एंट्री करते समय टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, संसद की मर्यादा को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि- “जब आपका नाम पुकारा जाए तो खड़े हो जाएं…अध्यक्ष कभी भी पार्टी और विचारधारा के आधार पर भेदभाव नहीं करते, स्पीकर के लिए सभी एक समान हैं और सभी विचारधाराएं एक जैसी हैं।
एक्स पर पोस्ट कर ओम बिरला ने लिखा- आज संसद परिसर में 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम में माननीय सदस्यों को संबोधित किया। संसदीय लोकतंत्र संविधान निर्माताओं द्वारा प्रदत्त राष्ट्र की अनमोल धरोहर है। भारत की संसद लोकतंत्र की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं और मूल्यों को प्रतिबिम्बित करती है, इन्हें पोषित करती है। मुझे आशा है कि पहली बार चुनकर आए सभी माननीय सांसद हमारी संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को और अधिक सशक्त एवं समृद्ध बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगे। इस प्रबोधन कार्यक्रम के माध्यम से नवनिर्वाचित सांसद संसदीय कार्य के विविध पहलुओं को निकटता से समझेंगे। संसद की नियम-प्रक्रियाओं, प्रस्ताव, संकल्प, समितियों के कार्यों आदि के बारे में जानेंगे। इसी के साथ सदन में अपनी बात रखने के प्रक्रियात्मक उपायों का ज्ञान प्राप्त करेंगे।
बिरला ने बताया कि सत्र के दौरान 86 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। शून्यकाल के दौरान सदस्यों ने कुल 400 मामले उठाए गए और नियम 377 के तहत कुल 358 मामले उठाए गए। बिरला ने बताया कि सत्र के दौरान 12 सरकारी विधेयक पेश किए गए और चार विधेयक पारित किए गए।