दुनिया छोड़ गया फुटबॉल का ये महान प्लेयर, पेले ने ली अंतिम सांस

दुनिया छोड़ गया फुटबॉल का ये महान प्लेयर, पेले ने ली अंतिम सांस

साल का आखिरी समय कुछ अच्छा नहीं गुजर रहा है… ब्राजील के महान फुटबॉल खिलाड़ी पेले दुनिया को अलविदा कह गए। साओ पाउलो के अल्बर्ट आइंस्टीन अस्पताल के एक बयान के मुताबिक, कोलन कैंसर के कारण गुरुवार को पेले के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया जिसके चलते उनका उनका निधन हो गया. पेले को पिछले महीने श्वसन संक्रमण और पेट के कैंसर से संबंधित जटिलताओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पिछले हफ्ते जब अस्पताल ने कहा था कि कैंसर बढ़ने के साथ उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है तब से ही अनहोनी की आशंकाएं फैन्स के मन में उठने लगी थी.

फुटबॉल का मतलब- पेले

60 से अधिक सालों तक एडसन एरंटेस डो नासिमेंटो यानी कि पेले फुटबॉल का पर्याय बने रहे. पेले कुल चार विश्व कप में खेले और वह तीन बार चैम्पियन बने. लेकिन पेले की विरासत उनके ट्रॉफी कैबिनेट और उल्लेखनीय गोल स्कोरिंग रिकॉर्ड से कहीं आगे तक फैली हुई है. पेले ने कहा था, ‘मैं फुटबॉल खेलने के लिए पैदा हुआ था, ठीक वैसे ही जैसे बीथोवेन संगीत लिखने के लिए और माइकल एंजेलो पेंट करने के लिए पैदा हुए थे.’

23 अक्टूबर सन 1940 को ब्राजील के मिनास गेराइस में पैदा होने वाले पेले ने गरीबी के दिन भी देखे. पेले ने चाय की दुकानों में वेटर के रूप में भी काम कियाा. पेले का निकनेम डिको था, लेकिन स्थानीय फुटबॉल क्लब के गोलकीपर बिले की वजह से उनका नाम पेले पड़ गया. बचपन में डिको यानी कि पेले को कई मुकाबलों में गोलकीपर की भूमिका भी निभानी होती थी. जब वे शानदार बचाव करते थे तो फैन्स कहते थे कि यह दूसरा बिले है. देखते-देखते ये बिले कब पेले में बदल गया किसी को पता ही नहीं चला.

अपने पिता की तरह बनना चाहते थे पेले

पेले के फुटबॉलर पिता ने उन्हें वह सब कुछ सिखाया जो एक खिलाड़ी में होना चाहिए. पेले ने 2015 में एक चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया था, ‘मेरे पिता एक अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी थे, उन्होंने बहुत सारे गोल किए. उनका नाम डोनडिन्हो था. मैं उनके जैसा बनना चाहता था. वह ब्राजील में मिनास गेराइस में प्रसिद्ध थे. वह मेरे आदर्श थे. मैं हमेशा उनके जैसा बनना चाहता था, लेकिन मैं बन पाया या नहीं यह आज भगवान ही बता सकता है.’

एक किशोर के रूप में पेले ने 15 साल की उम्र में घर छोड़कर एफसी सैंटोस के साथ प्रशिक्षण करना शुरू कर दिया. बाद में अपने 16वें जन्मदिन से पहले उन्होंने क्लब की ओर से अपना पहला गोल भी किया. देखा जाए तो उन्होंने सैंटोस एफसी क्लब के लिए गोलों की झड़ी लगा दी थी. लेकिन ब्राजील की प्रतिष्ठित पीली जर्सी में शानदार उपलब्धि के लिए ही इस फॉर्वर्ड खिलाड़ी को सबसे ज्यादा याद किया जाता है.

जब दुनिया ने देखा पेले का कारनामा

दुनिया को पहली बार 1958 में पेले की चमकदार क्षमता की झलक मिली, जब उन्होंने 17 साल की उम्र में विश्व कप में पदार्पण किया. उन्होंने वेल्स के खिलाफ ब्राजील की क्वार्टरफाइनल जीत में ब्राजील का एकमात्र गोल किया. फिर फ्रांस के खिलाफ सेमीफाइनल में हैट्रिक और मेजबान स्वीडन के खिलाफ फाइनल में दो गोल किए. स्वीडन के सिगवर्ड पारलिंग ने कहा था, ‘ईमानदारी से कहूं… जब पेले ने फाइनल में पांचवां गोल किया, तो मुझे तालियां बजाने का मन कर रहा था.’ बाद में पेले ब्राजील के साथ 1962 और 1970 का वर्ल्ड कप जीतने में भी कामयाब रहे.

पेले में गजब का टैलेंट था…

5 फुट आठ इंच के पेले की ड्रिबलिंग स्किल गजब की थी. वह 11 सेकंड में 100 मीटर दौड़ सकते थे. वह किसी भी पैर से शूट कर सकते थे और लंबे कद काठी के डिफेंडर्स को पछाड़ सकते थे. पेले ने फुटबॉल से आधिकारिक रूप से फुटबॉल को अलविदा कहने से पहले 1977 में कॉसमॉस को नॉर्थ अमेरिकन सॉकर लीग चैम्पियनशिप जीतने में मदद की. पेले ने प्रोफेशनल करियर में कुल 1363 मैच खेले और 1281 गोल दागे. इस दौरान ब्राजील के लिए उन्होंने 92 मैचों में 77 गोल दागे. 19 नवंबर 1969 को जब पेले ने अपना 1000वां गोल दागा था तो हजारों लोग पेले से मिलने के लिए मैदान में पहुंच गए थे.

क्या पेले हैं सबसे महान फुटबॉलर?

बहस अनिवार्य रूप से इस बात को लेकर होगी कि क्या पेले अब तक के सबसे महान फुटबॉल खिलाड़ी हैं? क्या पेले की उपलब्धियों की तुलना क्रिस्टियानो रोनाल्डो, डिएगो माराडोन या लियोनेल मेसी से करना संभव है, जिन्होंने फुटबॉल जगत में रिकॉर्ड्स बनाए हैं. साल 2000 में फीफा ने संयुक्त रूप से माराडोना और पेले को सदी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में नामित किया, लेकिन काफों लोगों की नजरों में उसके एकमात्र विजेता तो पेले ही थे.