मथुरा में सर्वे के आदेश, हिंदू पक्ष में खुशी माहौल, मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

मथुरा में सर्वे के आदेश, हिंदू पक्ष में खुशी माहौल, मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी

मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन के एक आदेश से हिंदू पक्ष में उत्साह और खुशी का माहौल है वहीं मुस्लिम पक्ष इस आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है… सालों से चले आ रहे मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में ये नया मोड़ मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन के उस आदेश के बाद आया है जिसमें कहा गया है कि मथुरा के विवादित शाही ईदगाह का सर्वे किया जाए… कोर्ट ने अपने आदेश में क्या-क्या कहा है उससे पहले आइए जान लेते हैं ये मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद क्या है…

मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का एक मंदिर है जिसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर कहा जाता है… इसी मंदिर के परिसर से सटी एक मस्जिद है जिसे शाही ईदगाह मस्जिद कहा जाता है… हिंदू धर्म में मथुरा को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है… दावा किया जाता है कि श्रीकृष्ण की जन्मस्थली पर प्राचीन केशवनाथ मंदिर बना था, 1669-70 में

इस 13.37 एकड़ जमीन पर बने मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने ईदगाह मस्जिद बनवाई थी… उसी समय से इस जमीन को लेकर विवाद चला आ रहा है…
अब मथुरा सिविल जज सीनियर डिवीजन ने आदेश दिया है कि 2 जनवरी से इस विवादित जमीन का सर्वे किया जाएगा… एजेंसी को 20 जनवरी तक कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पेश करनी होगी… इसके लिए मामले से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी किया गया है… बता दें कि हिंदू पक्ष ने 13.37 एकड़ की इस विवादित भूमि को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है… जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा ब्योरा पेश किया गया है… साथ ही 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताकर रद्द करने की मांग की गई है…

तथ्य बताते हैं कि 1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13.37 एकड़ की ये विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को अलॉट कर दी थी… जिससे 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली थी… 1958 में यही ट्रस्ट श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और 1977 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से रजिस्टर्ड हो गया… 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते में इस 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को दे दिया गया और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को दे दिया गया… तभी से ये विवादित भूमि जंग का अखाड़ा बना हुआ है…

हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह में स्वास्तिक का चिह्न हैं, मस्जिद के अंदर कई मंदिरों के प्रतीक हैं… साथ ही मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है और शाही ईदगाह में हिंदू स्थापत्य कला के सबूत मौजूद हैं… इससे मस्जिद के पूर्व में मंदिर होने के संकेत मिलते हैं…

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उन्हें इस आदेश की जानकारी मीडिया के जरिए मिली है जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट का रूख करने की तैयारी कर रहे हैं.
हिंदू पक्ष चाहता है कि इसकी वैज्ञानिक तरीके से पुष्टि की जाए… जिसके लिए साल भर पहले ही याचिका दाखिल की गई थी… याचिका में वीडियोग्राफी कराने की मांग भी की गई है…

इस मुद्दे से जुड़ी एक अहम सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 9 जनवरी को है जिसमें पूजा स्थल कानून पर सुनवाई होनी है…. इसमें मुकदमे से जुड़े 10 कानूनी बिंदु तय होंगे…. मतलब ये तय होगा कि सुनवाई किन मसलों पर होगी…

अब हिंदू पक्ष तो सर्वे के नतीजों के इंतजार में है वहीं मुस्लिम पक्ष आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है देखना होगा दोनों पक्षों के अपने-अपने दावों के बीच फैसला किसके पक्ष में आता है और कितनी जल्दी आता है…