मादक पदार्थ उपयोग विकृति एक ऐसा विषय है जो देश के सामाजिक ताने-बाने पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। किसी भी मादक पदार्थ पर निर्भरता न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य बल्कि उनके परिवारों और पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। विभिन्न साइकोएक्टिव पदार्थों के नियमित सेवन से व्यक्ति की उन पर निर्भरता बढ़ती है। कुछ द्रव्य यौगिकों से न्यूरो-मनोवैज्ञानिक विकार, हृदय रोग के साथ ही दुर्घटना, आत्महत्या और हिंसा हो सकती है। इसलिए, ऐसे पदार्थों के उपयोग और निर्भरता को एक मनो-सामाजिक-चिकित्सीय समस्या के रूप में देखने की आवश्यकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के राष्ट्रीय औषधि निर्भरता उपचार केंद्र (एनडीडीटीसी), नई दिल्ली के माध्यम से सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा भारत में मादक द्रव्यों के उपयोग की सीमा और उसकी प्रकृति पर पहले व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, शराब भारतीयों द्वारा उपयोग किया जाने वाला सबसे सामान्य मनो-सक्रिय पदार्थ है। इसके बाद भांग और अफीम से बने घटक आते हैं।
नशीली दवाओं की मांग के खतरे को रोकने के लिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, मादक औषधि की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना ड्रग डिमांड रिडक्शन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना लागू कर रही है, जो एक व्यापक योजना है जिसके अंतर्गत राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनों को निवारक शिक्षा और जागरूकता सृजन, क्षमता निर्माण, कौशल विकास, व्यावसायिक प्रशिक्षण और नशा-मुक्त हो चुके लोगों की आजीविका सहायता के लिए प्रशासन, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मादक द्रव्यों की मांग में कमी के लिए कार्यक्रम और उसे चलाने और रखरखाव के लिए गैर सरकारी संगठन/ स्वयंसेवी संगठन नशे के आदी लोगों के लिए समन्वित पुनर्वास केन्द्रों (आईआरसीए), किशोरवय के व्यक्तियों में शुरूआत में ही नशीले पदार्थों पर रोक के लिए सम्पर्क केन्द्रों (ओडीआईसी) हेतु समुदाय आधारित प्रमुख हस्तक्षेपों (सीपीएलआई) और इसके लिए इन चिन्हित जिलों में जिला नशा-मुक्ति केन्द्रों (डीडीएसी) तथा सरकारी अस्पतालों में नशे के उपचार हेतु सुविधाओं (एटीएफ) को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ।
इसके अलावा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों, स्कूलों और युवाओं में मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से समुदायों तक पहुंचने और समुदाय की भागीदारी एवं अभियान का स्वामित्व हासिल करने के उद्देश्य से वर्तमान में देश के 372 जिलों में चल रहे महत्वाकांक्षी नशा मुक्त भारत अभियान ( एनएमबीए ) की शुरुआत की है ।
नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) की उपलब्धियां:
- जमीनी स्तर पर की गई विभिन्न गतिविधियों से अब तक 9.57 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंचा गया है
- 372 चिन्हित जिलों में अभियान गतिविधियों का नेतृत्व करने के लिए 8,000 मास्टर स्वयंसेवकों का चयन करके उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।
- अभियान की गतिविधियों में 3.13 करोड़ से अधिक युवाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया है और नशीले पदार्थों के सेवन के विरुद्ध संदेश को जमीनी स्तर पर फैलाया है। लगभग 4,000 से अधिक युवा मंडल, नेहरु युवक केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) स्वयंसेवक, युवा मंडल भी अभियान से जुड़े हैं ।
- आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम, महिला मंडलों और महिला स्वयम सेवा समूहों (एसएचजी) के माध्यम से एक बड़े समुदाय तक पहुंचने में 2.09 करोड़ से अधिक महिलाओं का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है।
- फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर हैंडल बनाकर और उन पर दैनिक अपडेट साझा करके अभियान के संदेश को ऑनलाइन फैलाने के लिए प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया है।
- जिलों और मास्टर स्वयंसेवकों द्वारा वास्तविक समय के आधार पर जमीनी स्तर पर होने वाली गतिविधियों के डेटा को कैप्चर करने के लिए एक एंड्राइड आधारित मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है। और इस एप को गूगल प्ले स्टोर पर रखा गया है।
- सभी नशामुक्ति सुविधाओं तक जनता की पहुंच में आसानी के लिए उन्हें जियो-टैग किया गया है ।
नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत एक विशेष पहल में विभिन्न गतिविधियों को चलाने और नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) के संदेश को अपने तत्वावधान में प्रचारित करने के लिए धार्मिक/ आध्यात्मिक संगठनों का सहयोग लेना है। इस दिशा में एक कदम उठाते हुए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने संत निरंकारी मंडल, बुराड़ी रोड, दिल्ली के साथ युवाओं, महिलाओं, छात्रों आदि के बीच एनएमबीए के संदेश को फैलाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके लिए एक समारोह आज डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, 15 जनपथ, नई दिल्ली में 22 मार्च 2023 को दोपहर 02:30 बजे केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, राज्य मंत्रियों, विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और संत निरंकारी मंडल प्रबंधन के वरिष्ठ सदस्यों की उपस्थिति में आयोजित किया गया।
इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग का यह मानना है कि मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) के आगे बढने से अब भारत को मादक द्रव्यों के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में बढ़ावा मिलेगा ।