भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर कम रह सकती है। इस तरह का अनुमान जताते हुए इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 0.80 फीसदी घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया है। इससे पहले उन्होंने इसके 8.2% रहने का अनुमान लगाया था। आपको बता दें कि आरबीआई के मुताबिक जीडीपी ग्रोथ रेट के 7.2% रहने की संभावना है। आईएमएफ ने वित्तीय वर्ष 2024 के ग्रोथ अनुमान में भी कमी करते हुए 6.9% प्रतिशत के मुकाबले 6.1% प्रतिशत कर दिया है। आईएमएफ ने 26 जुलाई को जारी अपनी हालिया वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में ये जानकारी दी है। आईएमएफ ने भारत के अलावा चीन और अमेरिका के जीडीपी ग्रोथ में भी कटौती की है। इसके चलते आईएमएफ के साल 2022 के लिए ग्लोबल ग्रोथ का अनुमान भी 0.40 फीसदी घटकर 3.2 फीसदी पर आ गया है।
आईएमएफ ने भारत ही नहीं, तमाम देशों के अनुमानित विकास दर में कटौती की है। दरअसल, फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूस के हमले ने दुनिया भर में कई अहम वस्तुओं की सप्लाई को बाधित कर दिया, जिससे ग्लोबल स्तर पर कीमतें बढ़ चुकी हैं। इसके चलते कई विकसित देशों में भी महंगाई कई देशों के अपने ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। महंगाई को रोकने के लिए उन देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी मौद्रिक नीतियों को सख्त करना शुरू कर दिया है।
इससे भारतीय रुपये पर काफी दबाव पड़ा है, जो हाल के हफ्तों में कई रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। इन सब वजहों और देश में महंगाई के ऊंचे स्तर पर बने रहने के चलते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भले ही भारत में जीडीपी ग्रोथ में कमी आने की संभावना हो, लेकिन पूरी दुनिया पर छानेवाली वैश्विक मंदी का भारत पर कोई असर नहीं पड़नेवाला है। इकोनॉमिस्ट्स के बीच किए गए सर्वे में अमेरिका और चीन समेत दुनिया के कई देशों में मंदी की संभावना जताई गई है। जैसे, न्यूजीलैंड, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस में मंदी की संभावना को क्रमशः 33 फीसदी, 20 फीसदी, 20 फीसदी और 8 फीसदी आंका है। चीन की बात करें तो उसके मंदी में फंसने की संभावना 20 फीसदी है। दक्षिण कोरिया या जापान के भी मंदी के शिकार होने की संभावनाएं 25 फीसदी हैं। लेकिन भारत के आर्थिक संकट में पड़ने की संभावना बिल्कुल भी नजर नहीं आती हैं।