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बनना चाहते हैं बागेश्वर बाबा या जया किशोरी, कथावाचक बनने के लिए करनी पड़ती है कौन सी पढ़ाई, जानिए

खबर इंडिया की।कथावाचक बनने का सपना रखने वालों के लिए अब बड़ा मौका सामने आ रहा है, क्योंकि देश में पहली बार इस अनोखे और तेजी से लोकप्रिय होते करियर के लिए बाकायदा पढ़ाई और डिग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है. आजकल कथावाचक सिर्फ धार्मिक कार्यक्रमों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि- सोशल मीडिया और लाइव इवेंट्स के जरिए नए जमाने में इनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है.

राम कथा, भागवत कथा और पुराणों का पाठ सुनाने वाले कई बड़े कथावाचक देशभर में लाखों-करोड़ों लोगों द्वारा फॉलो किए जाते हैं. यही वजह है कि युवा भी अब इसे एक प्रोफेशनल करियर के तौर पर अपनाने लगे हैं. लेकिन कम ही लोगों को पता है कि कथावाचक बनने के लिए अब प्रोफेशनल पढ़ाई भी की जा सकती है.

कथावाचन को लेकर सबसे बड़ा कदम वाराणसी की संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी ने उठाया है. यह यूनिवर्सिटी देश की पहली ऐसी संस्था है जहां कथावाचक बनने के लिए बाकायदा कोर्स चलाए जा रहे हैं. यूनिवर्सिटी ने कथावाचन से जुड़े 10 ऑनलाइन कोर्स शुरू किए हैं, जिनके जरिए विद्यार्थी घर बैठे कथावाचक बनने की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. इन कोर्स में छात्रों को न सिर्फ कथा कहने की कला सिखाई जाती है, बल्कि यह भी बताया जाता है कि कथा का संचालन कैसे किया जाए, दर्शकों से कैसे जुड़ा जाए और पुराणों व अन्य हिंदू ग्रंथों की समझ कैसे बढ़ाई जाए.

यूनिवर्सिटी का मानना है कि- कथावाचन सिर्फ धार्मिक संदेश देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण कला है जिसके लिए विशेष प्रशिक्षण की जरूरत होती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए संपूर्णानंद यूनिवर्सिटी ने कथावाचक के लिए दो नए सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किए हैं. इनमें पहला कोर्स है ‘मंदिर प्रबंधन’, जिसमें विद्यार्थियों को मंदिरों में होने वाले धार्मिक आयोजनों और उनकी व्यवस्था के बारे में जानकारी दी जाती है. दूसरा कोर्स है ‘पुराण प्रवचन प्रवीण’, जिसमें विद्यार्थियों को शास्त्र, पुराण, कथा कहने की शैली और श्रोताओं से जुड़ने की तकनीकें सिखाई जाती हैं.

आगे बढ़ने में करता है मदद
इन कोर्स का फायदा उन लोगों को भी है जो पहले से कथावाचन कर रहे हैं या फिर जो संस्कृत और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन कर रहे हैं. ऐसे लोगों के लिए यह सर्टिफिकेट उनके करियर को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है. इसके अलावा देश की अन्य कई संस्कृत यूनिवर्सिटीज भी अब कथावाचन से जुड़े कोर्स शुरू कर चुकी हैं, जिससे यह करियर धीरे-धीरे मुख्यधारा में आ रहा है.

जानें- अलग-अलग फीस
कथावाचक बनने के लिए फीस हर संस्था में अलग-अलग होती है. यह कोर्स के प्रकार और उसकी अवधि पर निर्भर करता है. उदाहरण के तौर पर, इस्कॉन में ‘श्रीमद्भागवत कथा’ कोर्स की फीस 2499 रुपये से शुरू होती है, जबकि कुछ संस्कृत विश्वविद्यालयों में यह फीस इससे ज्यादा भी हो सकती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोर्स कितने समय का है और उसमें कौन-कौन से विषय पढ़ाए जा रहे हैं.

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