सच हो रहा लोगों का डर, बिहार में वारदातों पर प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार के साथ जाने पर फिर रखी शर्त

सच हो रहा लोगों का डर, बिहार में वारदातों पर प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार के साथ जाने पर फिर रखी शर्त
प्रशांत किशोर

नीतीश कुमार से मुलाकात को लेकर प्रशांत किशोर ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। पीके ने मुलाकात के बाद नीतीश कुमार के साथ एक बार फिर से जाने के कयासों को खारिज किया है। इसके साथ ही हाल में हुईं आपराधिक घटनाओं के लिए सीधे नीतीश कुमार पर हमला बोला है। चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि बिहार में जिस तरह से घटनाएं हो रही हैं, उससे लोगों की आशंकाएं सच साबित होती दिख रही है। बेगूसराय में 24 राउंड फायरिंग और 10 लोगों को गोली मारे जाने पर प्रशांत किशोर ने कहा कि इससे पता चलता है कि लोगों की आशंकाओं को बल मिल रहा है। जब से यह सरकार बनी है, तब से कानून व्यवस्था को लेकर लोगों का डर बढ़ा है और आशंकाएं सही साबित होती दिख रही हैं। हर जिले से आपको ऐसी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं। 

वहीं एक बार फिर नीतीश कुमार के साथ जाने की अटकलों को भी खारिज किया है। एक टीवी चैनल से बातचीत में पीके ने कहा, ‘मैं अपने रास्ते पर कायम हूं। वह बिहार के सीएम हैं और मैं भी इसी राज्य का रहने वाला हूं। कुछ लोग बता रहे हैं कि मैंने रात के अंधेरे में मुलाकात की। ऐसा कुछ नहीं है। मैं उनसे शाम को 4:30 बजे मुलाकात की थी और यह मीटिंग सरकारी आवास में ही हुई थी। मैंने उन्हें बताया कि पिछले 4 से 5 महीने में बिहार में क्या देखा है।’ प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं अपनी स्थित से पीछे हटने वाला नहीं हूं। मैंने 2 अक्टूबर से जन सुराज यात्रा का ऐलान किया है और इससे पीछे नहीं हटूंगा। उन्होंने कहा कि हमारे कॉमन फ्रेंड हैं पवन वर्मा, उन्होंने कहा था कि मिल लेने में कोई बुराई नहीं है।

प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरे और उनके बीच कुछ विवाद की बात आपने सुनी होगी। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर को बिहार की राजनीति का एबीसी भी नहीं पता है। यह उनकी समझ है। मैं दोहराता हूं कि यदि वह एक साल में 10 लाख नौकरियां दे दें तभी मेरे साथ आने की कोई बात हो सकती है। जनसुराज यात्रा की मेरी तैयारी है और उसमें कोई फेरबदल नहीं हो सकता। क्या आरजेडी के साथ नीतीश का हाथ मिलाना गलत फैसला है? इस पर पीके ने कहा कि बीते कुछ सालों से बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती गई है। बिहार में जब से शराबबंदी लागू हुई है, तब से प्रशासन का बड़ा हिस्सा इसमें लगा है। यह प्रशासन का मूल काम नहीं है। पुलिस और एजेंसियां यदि इस काम में लगेंगी तो फिर वे अपने मूल काम को कैसे करेंगी।