
देशभर में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछली बार भी छात्र बोर्ड परीक्षा देने से वंचित हो गए थें। इस बार लग रहा था कि शायद बोर्ड परीक्षाएं होंगी। परंतु कोरोना के बढ़ते रफ्तार ने छात्रों के भविष्य पर ग्रहण लगा दिया है। कोरोना के बढ़ते रफ्तार के बीच सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने की मांग तेज हो गई है।
हालांकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजूकेशन (सीबीएसई) ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। परंतु दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र से परीक्षा रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि परीक्षा केंद्र सुपरस्प्रेडर बन सकते हैं।
इसके साथ ही दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि जब पूरे साल परंपरागत तरीके से पढ़ाई नहीं हो सकी तो फिर हम पुराने तरीके से परीक्षा कराने पर क्यों जोर दे रहे हैं? परीक्षा रद्द करने की बढ़ती मांग पर सीबीएसई की गवर्निग बॉडी की सदस्य और माउंट आबू स्कूल की प्रधानाचार्या ज्योति अरोड़ा ने कहा कि बोर्ड केंद्र सरकार के फैसले के साथ है।
बोर्ड छात्रों के हितों को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लेता है। सीबीएसई ने परीक्षाओं को टाले जाने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है, क्योंकि बोर्ड छात्रों के भविष्य और स्वास्थ्य, दोनों को ध्यान में रख रहा है।
ये परीक्षाएं छात्रों के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस बीच सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, बोर्ड परीक्षाएं ऑनलाइन कराना संभव नहीं हैं। हां, अगर स्थिति और खराब होती है तो परीक्षाएं स्थगित करने का फैसला जरुर लिया जा सकता है।
फिलहाल कोई भी फैसला अब तक नहीं लिया गया है। आपको मालूम हो कि बोर्ड परीक्षाएं 4 मई से आरंभ हो रही हैं। कोरोना के गहराते संकट के कारण करीब दो लाख छात्रों ने एक ऑनलाइन पिटीशन पर हस्ताक्षर करके बोर्ड परीक्षाएं रद्द किए जाने की मांग की थी।
पिछले दिनों कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का आग्रह किया था। शिवसेना ने भी शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों को बदलने की मांग की थी।
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब समेत कई राज्य पहले ही अपनी बोर्ड परीक्षा की तिथियों में बदलाव की घोषणा कर चुके हैं।