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10 करोड़ की रिश्वत लेने वाला कलेक्टर, पत्नी भी है IAS अफसर, जानें कैसे शुरू हुई थी दोनों की लव स्टोरी.?

उमाकांत त्रिपाठी।भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की सबसे चर्चित जोड़ियों में से एक सृष्टि देशमुख (Srushti Deshmukh) और डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा (Nagarjun B Gowda) की प्रेम कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। मसूरी की लबसना (LBSNAA) ट्रेनिंग एकेडमी में शुरू हुई उनकी दोस्ती कब प्यार में बदल गई उन्हें खुद पता नहीं चला। लेकिन अब, उनके इस खूबसूरत जीवन में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। AD सृष्टि देशमुख के पति डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा का करियर माइनिंग फाइन को लेकर उठे एक गंभीर सवाल के कारण मुश्किलों में घिर गया है, जिसके चलते उन्हें सफाई देने के लिए मीडिया के सामने आना पड़ा है।

यह मामला एक IAS अधिकारी की ईमानदारी और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, जिसने इस हाई-प्रोफाइल कपल को सुर्खियों के केंद्र में ला दिया है। क्या है माइनिंग फाइन में कमी का पूरा मामला? आईएएस अधिकारी डॉ. नागार्जुन (बैच 2019, एमपी कैडर) वर्तमान में खंडवा जिला पंचायत के CEO के पद पर कार्यरत हैं।

AD विवाद का मूल: एक आरटीआई कार्यकर्ता आनंद जाट ने आरोप लगाया है कि हरदा में एडीएम रहते हुए डॉ. गौड़ा ने एक कंपनी (पथ इंडिया) पर लगाए गए ₹51 करोड़ के अवैध खनन जुर्माने को घटाकर केवल ₹4,032 कर दिया।

प्रशासनिक प्रक्रिया: यह मामला इंदौर-बैतूल नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट से संबंधित है। आरोप था कि कंपनी ने अंधेरीखेड़ा गांव में बिना अनुमति के 3.11 लाख क्यूबिक मीटर बजरी का अवैध उत्खनन किया था, जिसके लिए तत्कालीन एडीएम ने ₹51.67 करोड़ का नोटिस जारी किया था।

डॉ. गौड़ा ने पद संभालने के बाद जुर्माने की राशि को संशोधित किया। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, संशोधित आकलन में पाया गया कि कंपनी ने केवल 2,688 क्यूबिक मीटर का उत्खनन किया था, जिसके परिणामस्वरूप जुर्माना घटकर ₹4,032 हो गया। डॉ. गौड़ा ने आरोपों पर क्या कहा? आरटीआई कार्यकर्ता आनंद जाट ने इस भारी कमी पर अनियमितता और कंपनी को फेवर करने का आरोप लगाया है, जबकि डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है।

अधिकारी का स्पष्टीकरण: डॉ. गौड़ा ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि- यह फैसला पूरी तरह से उपलब्ध दस्तावेजों और कानूनी प्रक्रियाओं पर आधारित था। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘पिछली एडीएम ने केवल नोटिस जारी किया था, जुर्माना नहीं लगाया था। मेरे पद संभालने से पहले ही फाइनल सुनवाई हो चुकी थी। तहसीलदार की रिपोर्ट प्रक्रियात्मक रूप से कमजोर थी, पंचनामा बिना ठोस सबूत के था, और खनन का कोई ठोस प्रमाण नहीं था।

कानूनी आधार: उन्होंने यह भी बताया कि- उनके निर्णय के बाद दो साल तक इस फैसले के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की गई, जो उनके आदेश के कानूनी रूप से सही होने को बल देता है। फिलहाल, इस मामले में कोई औपचारिक जांच शुरू नहीं हुई है, लेकिन सार्वजनिक दबाव बढ़ रहा है। नागार्जुन गौड़ा ने इंस्टा स्टोरी पर भी दिया जवाब आईएएस नागार्जुन ने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी में जवाब देते हुए अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि- एक ऐसा आरटीआई कार्यकर्ता जिस पर पहले से आपराधिक मामले दर्ज हैं, वह पूरी तरह से निराधार आरोप लगा रहा है, और गैर-जिम्मेदार मीडिया इन आरोपों को सनसनीखेज बनाकर पेश कर रही है। AD

 

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