पीएम मोदी ने किया मतदाताओं का शुक्रिया, तीनों पूर्वोत्तर राज्यों में बनेगी एनडीए की सरकार

पीएम मोदी ने किया मतदाताओं का शुक्रिया, तीनों पूर्वोत्तर राज्यों में बनेगी एनडीए की सरकार

पीएम मोदी का जादू एक बार फिर से पूर्वोत्तर के राज्यों में चला है… विपक्ष पूरी तरह से फेल साबित हुआ है और इन तीन राज्यों के मतदाताओं ने मोदी पर भरोसा जताते हुए सत्ता एनडीए गठबंधन को सौंप दी है… जिसके बाद लगभग तीनों राज्यों में एनडीए गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है… दिल्ली में पीएम ने लोगों का शुक्रिया अदा किया है…

नॉर्थ-ईस्ट के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे जहां बीजेपी के लिए खुशी लाए, वहीं देश की सियासत में कई संदेश भी दे गए। 2023 का यह चुनावी आगाज था। इसी साल कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के भी विधानसभा चुनाव हैं। जिसके बाद अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले होने वाले ये विधानसभा चुनाव और उनके नतीजे इसलिए भी अहम हैं क्योंकि इससे राजनीतिक दल कितने पानी में हैं इसका अंदाजा तो लगेगा ही साथ ही सभी दलों को अपनी कमियां समझने और दूर करने का भी मौका मिलेगा।

नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में जहां एक दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम होने के बावजूद बीजेपी चुनावी फ्रंट पर कुछ कर नहीं पाती थी, वहीं अब पार्टी ने अपनी जड़ें मजबूत की हैं। पिछले बार के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पहली बार यहां 25 साल की लेफ्ट सरकार को हटाकर अपनी जगह बनाई। इस बार फिर बीजेपी ने बहुमत का जादुई आंकड़ा पार किया है। नॉर्थ-ईस्ट की तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काफी ध्यान भी दिया। यहां इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट का काफी काम हुआ और बीजेपी ने लोगों को बताया भी किस तरह पहले जहां सड़कें नहीं थी वहां सड़कें बनी हैं और किस तरह कई नई सड़कों पर काम हो रहा है। मोदी का नॉर्थ-ईस्ट पर लगाया गया दांव बीजेपी को फायदा भी दे रहा है। पिछले 8 बरसों में पीएम मोदी उत्तर-पूर्व के 50 से अधिक दौरे किये हैं। उसका अब राजनीतिक लाभ भी मिलता दिख रहा है।

हाल के वर्षों में कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हारकर अपना जनाधार खोती जा रही है। लेकिन इस चुनाव में उनके लिए चिंता करने वाला ट्रेंड जारी रहा कि बार-बार हार के बाद अब उनके सियासी स्पेस को लेने दूसरे दल सामने आ गए हैं। हालांकि, त्रिपुरा में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जिस बुरी स्थिति में पहुंच गई थी उससे वह थोड़ा संभली है। इस बार वहां कांग्रेस और लेफ्ट का गठबंधन था तो कांग्रेस के खाते में भी कुछ सीटें आई हैं जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में वह जीरो पर आ गई थी। हालांकि, किस दौर में कांग्रेस का माने जाना वाला जनजातीय वोट अब उसके साथ नहीं है। त्रिपुरा में जनजातीय पार्टी टिपरा मोथा ने कांग्रेस के इस वोट बैंक को अपनी तरफ कर लिया है तो मेघालय में टीएमसी ने कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाई है। पहली बार मेघालय में चुनाव लड़ रही टीएमसी के आगे बढ़ने से कांग्रेस की मुसीबत यहां बढ़ी है।

बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस ने कई गठबंधन किए हैं। ऐसा ही था त्रिपुरा में लेफ्ट के साथ गठबंधन करने का फैसला। लेकिन चुनाव परिणाम ने साबित किया कि यह गठबंधन सफल नहीं रहा। पहले भी कांग्रेस का इस तरह गठबंधन का प्रयोग सफल नहीं हुआ है। पश्चिम बंगाल में भी टीएमसी और बीजेपी के बीच सीधे मुकाबले में लेफ्ट के साथ गठबंधन कर इसे त्रिकोणीय करने की कोशिश की लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली थी। इस परिणाम के बाद कांग्रेस को सोचना पड़ेगा कि चुनाव समय में बिना तैयारी या होमवर्क के गठबंधन करने का आनन-फानन वाला फैसला सफल नहीं होता है।

नतीजे भले ही बीजेपी के लिए जश्न का मौका लाए हैं लेकिन इस जीत में भी चिंता है। यह चिंता है ट्राइबल वोट बैंक की। बीजेपी पिछले काफी वक्त से इस वोट बैंक को अपनी तरफ करने की कोशिश कर रही है। पार्टी की हर बैठक में इसका जिक्र होता है साथ ही हर जनसभा में बीजेपी नेता बताते हैं कि किस तरह केंद्र की मोदी सरकार ने आदिवासियों के लिए काम किया है। आदिवासी वोट बैंक को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच खींचतान तो है ही लेकिन स्थानीय स्तर पर उभरती जनजातीय पार्टियां भी बीजेपी के लिए चिंता का सबक हैं। त्रिपुरा में टिपरा मोथा जिस तरह उभरी है वह बीजेपी के लिए चिंता का सबब है। चुनाव से पहले टिपरा मोथा को साथ लाने की बीजेपी ने कोशिश की थी लेकिन बात नहीं बनी। अभी भी वहां बीजेपी कह रही है कि वह टिपरा मोथा कि ग्रेटर टिपरालैंड छोड़कर बाकी बातें मानने को तैयार हैं।

गुरुवार को आए उपचुनाव के नतीजे भी चौंकाने वाले हैं। दिलचस्प बात रही कि ज्यादातर राज्यों में हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी ने अपनी सीट गंवाई जो कि अमूमन कम होता है। झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस, महाराष्ट्र में बीजेपी-शिंदे गुट और पश्चिम बंगाल में TMC उन सीटों पर हारी जो पहले उनके पास थीं। पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कांग्रेस की जीत अहम है जबकि झारखंड में कांग्रेस की हार जेएमएम-कांग्रेस सरकार के लिए चिंता की बात हो सकती है।