राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हैदराबाद में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी के छात्रों एवं संकाय सदस्यों को संबोधित किया। उन्होंने स्थानीय स्वाधीनता सेनानियों के योगदान को प्रदर्शित करने वाले ‘हैदराबाद लिबरेशन मूवमेंट’ पर एक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा ऐसा आधार है, जिस पर एक राष्ट्र का निर्माण होता है। शिक्षा किसी भी व्यक्ति में समाहित समस्त क्षमताओं को बाहर लेकर आने की कुंजी है। उन्होंने इस तथ्य पर प्रसन्नता व्यक्त की कि केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी का विस्तार हुआ है और इसकी गतिविधियां कई गुना बढ़ चुकी हैं। इस समिति की शुरुआत 1940 में एक छोटे से स्कूल के साथ हुई थी और अब यह नौ अलग-अलग कॉलेजों के साथ एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र के रूप में उभरा है, जिसमें 11,000 से अधिक छात्र नामांकित हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की सफलता में बढ़ोतरी न्यायमूर्ति केशव राव कोराटकर के आदर्शों को श्रद्धांजलि है, जिनकी स्मृति में इस समिति की स्थापना की गई है।
हैदराबाद की मुक्ति की 75वीं वर्षगांठ का समारोह ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में आयोजित किया जा रहा है, राष्ट्रपति ने कहा कि यह अवसर और समय इस क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ पूरे देश के लिए बहुत महत्व रखता है। उन्होंने रामजी गोंड, तुर्रेबाज़ खान, कोमाराम भीम, सुरवरम प्रताप रेड्डी और शोयाबुल्ला खान सहित हैदराबाद की मुक्ति के लिए लड़ने वाले सभी बहादुर सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति ने कहा कि इन बलिदानियों की वीरता तथा त्याग हमेशा याद रखा जाएगा और उनका सम्मान किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब हम आजादी के अमृत महोत्सव की ऐतिहासिक उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं, तो हमारे लिए यह याद रखना भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारी स्वतंत्रता केवल अतीत के दमनकारी शासकों से मुक्ति से ही संबंधित नहीं है। यह आज उठाए गए सुविचारित कदमों के माध्यम से उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के बारे में भी है। अब हम भविष्य के लिए आगे बढ़ रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करना भारत के युवाओं पर ही निर्भर करता है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा रखी गई नींव पर राष्ट्र का निर्माण करें और अपने देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। इसका अर्थ है कड़ी मेहनत करना और हम जो भी कार्य करते हैं, उसमें उत्कृष्टता के लिए प्रयास करना। इसका संबंध जिम्मेदार और प्रतिबद्ध नागरिक होने से है, जो भारतीय समाज की बेहतरी के लिए योगदान देने को तैयार रहते हैं। इसका अर्थ यह भी है कि हमें अपने संविधान के मूल्यों एवं आदर्शों को बनाए रखना है और अधिक समावेशी व न्यायसंगत समाज बनाने की दिशा में कार्य करना है। इसका अर्थ है जलवायु परिवर्तन से लड़ना और आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी पृथ्वी को संरक्षित करना।
राष्ट्रपति ने पढ़ाई के महत्व पर बल देते हुए कहा कि पढ़ने की आदत आत्म-विकास के सबसे प्रभावी साधनों में से एक है। यह एक ऐसा कौशल है, जो जीवन भर छात्रों की सहायता करेगा। उन्होंने कहा कि यह इंटरनेट और सोशल मीडिया का युग है, जिस समय काल में ध्यान देने की अवधि कम होती जा रही है और पात्रों में संचार सीमित है। राष्ट्रपति ने छात्रों से समझ में सुधार करने तथा अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के लिए पढ़ाई को अधिक महत्व देने का आग्रह किया।