तीन साल बाद अखिलेश को मिला मायावती का साथ, क्या फिर साथ आएंगे सपा-बसपा?

तीन साल बाद अखिलेश को मिला मायावती का साथ, क्या फिर साथ आएंगे सपा-बसपा?
अखिलेश यादव & मायावती

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जोर-शोर से जुटे हैं। एक तरफ विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। इस बीच अखिलेश यादव को बसपा प्रमुख मायावती का भी साथ मिला है। करीब तीन साल बाद ऐसा मौका आया है जब मायावती ने अखिलेश के पक्ष में कोई बात कही है।

इससे पहले 2019 में सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन चुनाव के बाद ही दोनों दलों की राहें अलग हो गई थीं। अब एक बार फिर मायावती का अखिलेश के समर्थन में ट्वीट करने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या एक बार फिर सपा-बसपा साथ आएंगे और अगला लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे।

मामला क्या है

यूपी विधानसभा सत्र के पहले दिन समाजवादी पार्टी के विधायकों ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में कानून व्यवस्था, महंगाई जैसे मुद्दों पर पैदल मार्च निकाला। सभी विधायक विधानसभा तक आना चाहते थे लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग करके इस मार्च को रोक दिया। इसके बाद अखिलेश यादव समेत तमाम विधायक धरने पर बैठ गए। इसी को लेकर मायावती का ट्वीट आया है।

मायावती ने क्या लिखा

मायावती ने मंगलवार को एक के बाद एक तीन ट्वीट किए। इसमें उन्होंने भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया तो वहीं बिना अखिलेश या सपा का नाम लिए धरना प्रदर्शन का समर्थन किया। सपा नेताओं को पुलिस के बल पर रोकने पर भाजपा को घेरने की भी मायावती ने कोशिश की।

मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा कि विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता और जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है। साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी और विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक है।

मायावती का दूसरा ट्वीट इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के पक्ष में था। इसमें उन्होंने लिखा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आन्दोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है वह अनुचित व निंदनीय। यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब मांगों पर सहानुभतिपूर्वक विचार करे, बीएसपी की मांग है।