
उमाकांत त्रिपाठी। विवादों में फंसी प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने बड़ी कार्रवाई की है। ट्रेनी IAS पूजा खेडकर अब अफसर नहीं रहेंगी। यूपीएससी ने पूजा खेडकर की उम्मीदवारी को रद्द कर दिया है। इसके साथ आयोग ने पूजा को भविष्य में किसी भी सरकारी परीक्षा में शामिल होने पर भी रोक लगा दी है।
क्या लगे थे आरोप
पूजा पर उम्र, माता-पिता की गलत जानकारी, पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने का आरोप था। UPSC ने दस्तावेजों की जांच के बाद पूजा को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया। पूजा को एग्जाम में 2022 में 841वीं रैंक मिली थी। 2023 बैच की ट्रेनी IAS है। जून 2024 से ट्रेनिंग कर रही थी। यूपीएससी ने एक बयान में कहा है कि खेडकर को सिविल सेवा परीक्षा के नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया है।
दस्तावेजों की जांच के बाद हुआ एक्शन
आयोग ने पूजा खेडकर पर यह कार्रवाई सभी दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच के बाद की है। उन्हें सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन में दोषी पाया गया है। मालूम हो कि इससे पहले संघ लोक सेवा आयोग ने संकेत दिए थे कि अगर पूजा खेडकर मामले में दोषी पाई जाती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
खेडकर कांड के बाद हुई जांच
खेडकर के केस के चलते UPSC ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक रिकमेंड किए गए उम्मीदवारों के डेटा की जांच की। इसमें पाया गया कि उनके अलावा किसी अन्य उम्मीदवार ने CSE नियमों के तहत तय अटेम्प्ट से ज्यादा अटेम्प्ट नहीं दिए थे। मिस पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर का मामला एकमात्र मामले था। उन्होंने कई बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदलकर परीक्षा दी थी, इसलिए UPSC की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) उनके अटेम्प्ट्स की संख्या का पता नहीं लगा सकी। UPSC अपनी SOP को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि भविष्य में ऐसे मामले दोबारा न हों।