उमाकांत त्रिपाठी । दिल्ली उच्च न्यायालय में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई जब वकील किम्मी बरारा ने अदालत में एक झूठा आरोप लगाया कि जज सौरभ बनर्जी, विपक्षी वकील के रिश्तेदार हैं।
यह बयान उन्होंने 29 अगस्त 2025 को कोर्ट में दिया, जब उन्होंने खुद अपने केस की पैरवी की।
जज ने क्या कहा?
जज सौरभ बनर्जी ने इस बयान पर गंभीर आपत्ति जताई और किम्मी बरारा को “खुला झूठा” (Blatant Liar) करार दिया।
उन्होंने कहा:
“कोई खुलेआम कहे कि मैं किसी का रिश्तेदार हूं – ये सरासर झूठ है और अदालत की गरिमा के खिलाफ है। अगर इसे रोका नहीं गया, तो न जाने कितने रिश्तेदार सामने आ जाएंगे।”
क्या हो सकते हैं परिणाम?
* किम्मी बरारा को कोर्ट में पेश होने से प्रतिबंधित किया जा सकता है।
* उनका वकालत का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
क्यों किया गया यह दावा?
जानकारों के अनुसार, किम्मी बरारा ने यह झूठा आरोप इसलिए लगाया ताकि कंटेम्प्ट केस (अवमानना याचिका) से बचा जा सके और केस किसी दूसरे जज को ट्रांसफर हो जाए।
माफीनामा भी खारिज
* अदालत ने उन्हें एक सचेत माफीनामा (एफिडेविट) देने को कहा।
* लेकिन जो एफिडेविट दिया गया, उसे जज ने अस्वीकार कर दिया।
* अब उन्हें 2 हफ्तों के अंदर नया, सही एफिडेविट दाखिल करना होगा।